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सामाजिक न्याय

विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल

  • 12 Feb 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये

महिलाओं और बालिकाओं की पहुँच से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय दिवस

मेन्स के लिये

विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल के संबंध में प्रमुख बिंदु व कारण

चर्चा में क्यों?

प्रतिवर्ष 11 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की पहुँच से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Women and Girls in Science) मनाया जाता है।

पृष्ठभूमि

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 22 दिसम्बर 2015 को एक संकल्प पारित कर विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की पहुँच से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय दिवस का शुभारंभ किया गया। यह विज्ञान और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की भूमिका का मूल्यांकन करेगा।
  • इसका क्रियान्वयन यूनेस्को और यूएन वुमेन के सहयोग से कई अन्य अंतर-सरकारी संगठनों और संस्थाओं के द्वारा सामूहिक रूप से किया जा रहा है।

उद्देश्य

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की समान पहुँच एवं भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • इसके अतिरिक्त यह लैंगिक अंतराल को कम करने तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी कार्य करेगा।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व के महान वैज्ञानिक और गणितज्ञों की सूची में कुछ महिलाओं का नाम प्रमुखता से लिया जाता है परंतु उन्हें विज्ञान से जुड़े उच्च अध्ययन क्षेत्रों में शीर्ष वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल करने वाले अपने पुरुष समकक्षों के सापेक्ष कम प्रतिनिधित्व प्राप्त होता है।
  • यूनेस्को द्वारा वैश्विक रूप से विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी पर तैयार की गई वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्त्ताओं में सिर्फ 28.8% महिलाएँ हैं। यह शोधकर्त्ताओं को "नए ज्ञान की अवधारणा या निर्माण में लगे पेशेवरों" के रूप में परिभाषित करता है।
  • भारत के संदर्भ में शोध के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की भागीदारी गिरकर 13.9% पर पहुँच गई है।
  • वर्ष 1901 से 2019 के बीच भौतिकी, रसायन और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में 616 विजेताओं को 334 नोबेल पुरस्कार दिये गए हैं, जिनमें से 20 नोबेल पुरस्कार सिर्फ 19 महिलाओं को प्राप्त हुए हैं।
  • वर्ष 2019 तक भौतिकी के क्षेत्र में 3 महिलाओं, रसायन के क्षेत्र में 5 महिलाओं तथा चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में 12 महिलाओं को नोबेल पुरस्कार प्रदान किये गए हैं, जिनमें मैडम क्यूरी को भौतिकी व रसायन विज्ञान दोनों ही क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
  • वर्ष 2019 में अमेरिकी गणितज्ञ केरेन उहलेनबेक (Karen Uhlenbeck) गणित के क्षेत्र का प्रतिष्ठित ‘एबेल पुरस्कार (Abel Prize)’ प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं।
  • वर्ष 1936 से 2019 के बीच 59 पुरुष समकक्षों के सापेक्ष वर्ष 2014 में फील्ड्स मेडल प्राप्त करने वाली ईरान की एकमात्र महिला गणितज्ञ मरयम मिर्जाखानी (Maryam Mirzakhani) थी।

विज्ञान के पाठ्यक्रम में महिलाओं का प्रतिनिधित्व

  • यूनेस्को के अनुसार, वर्ष 2014 से 2016 के बीच केवल 30% छात्राओं ने उच्च शिक्षा में STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स) से संबंधित क्षेत्रों का चयन किया है।
  • छात्राओं की नामांकन दर सूचना प्रोद्योगिकी (3%), प्राकृतिक विज्ञान, गणित, सांख्यिकी (5%) तथा इंजीनियरिंग व संबंधित क्षेत्रों (8%) में अपेक्षाकृत रूप से कम है।
  • भारत में वर्ष 2016-17 की नीति आयोग की रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2015-16 तक पिछले पांँच वर्षों में विभिन्न विषयों में महिला नामांकन की तुलना की गई है।
  • वर्ष 2015-16 में स्नातक के इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में 15.6% नामांकन दर के सापेक्ष छात्राओं की भागीदारी 9.3% रही। वहीं चिकित्सा विज्ञान में नामांकन दर 4.3% रही।
  • रिपोर्ट के अनुसार कला के क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी प्राथमिकता प्रदर्शित की परंतु वित्तीय वर्ष 2010-11 से 2015-16 के बीच विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगातार बढ़ा है।
  • रिपोर्ट में ये तथ्य प्रकाश में आए हैं कि 620 से अधिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों (IIT, NIT, ISRO और DRDO समेत) में महिलाओं की उपस्थिति वैज्ञानिक और प्रशासनिक कर्मचारियों के बीच 20.0%, पोस्ट-डॉक्टोरल फैलोशिप में 28.7% और पीएचडी विद्वानों के बीच 33% है।

विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल क्यों?

  • विभिन्न अध्ययनों में यह पाया गया है कि बालिकाएँ स्कूल में गणित और विज्ञान-उन्मुख विषयों में उत्कृष्टता प्राप्त करती हैं लेकिन आत्मविश्वास की कमी के कारण इन विषयों को उच्च शिक्षा के स्तर पर नहीं अपनाती हैं, जबकि बालकों में यह आत्मविश्वास होता ​​है कि वे बेहतर कर सकते हैं। यही आत्मविश्वास उन्हें उच्च शिक्षा के स्तर पर गणित और विज्ञान-उन्मुख विषय अपनाने के लिये प्रेरित करता है।

आगे की राह

  • नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि विज्ञान उन्मुख विषयों में महिलाओं के प्रवेश की समस्या प्रत्येक क्षेत्र में एक समान नहीं है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्कूल स्तर पर बालिकाओं के बीच इंजीनियरिंग या भौतिक विज्ञान या रसायन विज्ञान जैसे विषयों को लोकप्रिय बनाने के लिये हस्तक्षेप किया जा सकता है।
  • बालिकाओं के बीच विज्ञान उन्मुख विषयों के प्रति आत्मविश्वास को बढ़ने के लिये गैर सरकारी संगठनों की सहायता प्राप्त की जा सकती है, जिससे उनकी समय-समय पर काउंसलिंग की जा सकती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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