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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संभव होगा एचआईवी से संक्रमित 50% लोगों का इलाज

  • 21 Jul 2017
  • 6 min read

संदर्भ 
एचआइवी/एड्स महामारी की वैश्विक शुरुआत के पश्चात् पहली बार सभी आँकड़े रोगियों के पक्ष में प्राप्त हुए हैं। हाल ही में जारी की गई यूएनएड्स (UNAIDS) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि अब एचआईवी से संक्रमित आधे लोगों के लिये अपने संक्रमण का उपचार कराना संभव होगा। 

प्रमुख बिंदु

  • विश्व स्तर पर एड्स से होने वाली मौतों में वर्ष 2005 के बाद से उल्लेखनीय कमी दर्ज़ की गई है।
  • संयुक्त राष्ट्र एड्स कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक के अनुसार,वे वर्ष 2015 तक 15 मिलियन लोगों के उपचार के लक्ष्य को पूरा कर चुके हैं और अब वे वर्ष 2020 के लक्ष्य को पूरा करने के लिये 30 मिलियन लोगों को एचआईवी के उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना बना रहे हैं। 
  • वर्ष 2016 में, 36.7 मिलियन एचआईवी पॉजिटिव रोगियों में से 19.5 मिलियन रोगियों को उपचार सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। एड्स के परिणामस्वरूप होने वाली मौतों में 2005 (1.9 मिलियन) की तुलना में 2016 (1 मिलियन) में गिरावट दर्ज़ की गई थी।
  • निराशाजनक यह है कि वर्ष 2016 में एचाईवी रोगियों के अधिकतर मामले (तकरीबन 95%) केवल 10 देशों में ही देखे गए थे। इन 10 देशों में भारत भी शामिल था। 
  • वर्ष 2016 के आँकड़ों के अनुसार, भारत में एचआईवी संक्रमित लोगों की संख्या 2.1 मिलियन है जबकि यहाँ प्रतिवर्ष एचआईवी संक्रमण के लगभग 80,000 नए मामले दर्ज़ किये जाते हैं। वर्ष 2005 में एचआईवी संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या 1,50,000 थी।
  • यद्यपि विश्व वर्ष 2020 तक 30 मिलियन लोगों को उपचार सुविधा उपलब्ध कराने के अपने लक्ष्य की दिशा में कदम बढ़ा रहा है परन्तु उसके इस लक्ष्य में रोगियों की दवाओं तक पहुँच न होना एक सबसे बड़ी बाधा है और भारत इसमें एक विशेष भूमिका निभाता है।
  • ‘एड्स की समाप्ति : 90-90-90 के लक्ष्य की ओर प्रगति’ (Ending AIDS: Progress towards the 90–90–90 target) नामक रिपोर्ट इस प्रगति का वर्षिक स्कोर कार्ड है।
  • वर्ष 2016 में, 1.8 मिलियन लोग एचआईवी से संक्रमित थे। यद्यपि यह संख्या वर्ष 1997 (इस वर्ष 3.2 मिलियन लोग इससे संक्रमित हुए) की तुलना में बहुत कम थी परन्तु विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 2010 से नए संक्रमणों की संख्या में केवल 16% की ही कमी आई थी। 
  • इस स्थिति को देखते हुए वर्ष 2020 तक इस संख्या को 500,000 (इसे वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र एड्स कार्यक्रम द्वारा वैश्विक लक्ष्य के रूप में अपनाया गया था) तक लाने का वैश्विक लक्ष्य प्राप्त करना असंभव प्रतीत होता है।

भारत की स्थिति

  • वर्ष 2016 के आँकड़ों के अनुसार, भारत में एचआईवी संक्रमित लोगों की संख्या 2.1 मिलियन है जबकि यहाँ प्रतिवर्ष एचआईवी संक्रमण के लगभग 80,000 नए मामले दर्ज़ किये जाते हैं। वर्ष 2005 में एचआईवी संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या 1,50,000 थी।
  • भारत एक ऐसा देश है जहाँ एचआईवी संक्रमण के अधिकांश नए मामले एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ही देखे जा रहे हैं। यद्यपि भारत ने इतनी प्रगति कर ली है कि यहाँ एचआईवी संक्रमण के मामलों में कमी आ रही है। एचआईवी संक्रमण का कुछ ऐसे स्थानों में उद्भव हुआ है जो पहले इससे मुक्त थे, यह चिंता का विषय बन गया है।
  • यद्यपि विश्व वर्ष 2020 तक 30 मिलियन लोगों को उपचार सुविधा उपलब्ध कराने के अपने लक्ष्य की दिशा में कदम बढ़ा रहा है परन्तु उसके इस लक्ष्य में रोगियों की दवाओं तक पहुँच न होना एक सबसे बड़ी बाधा है और भारत इसमें एक विशेष भूमिका निभाता है।
  •  बौद्धिक संपदा अधिकार और नवाचार के संबंध में जागरूकता, लोगों के स्वास्थ्य,दवाओं के विकास और विनिर्माण,अनुसंधान और मूल्यों के संबंध में बाज़ारों की असमर्थता को दूर करने का एक बेहतर माध्यम हो सकते हैं।  
  • भारत के जेनरिक दवा उद्योग ने वर्ष 2015 में निम्न और मध्यम आय-वर्ग वाले देशों में 90% एंटीरेट्रोवायरल दवाओं की आपूर्ति की थी।

निष्कर्ष 

  • 90-90-90 के लक्ष्य के पीछे एचआईवी पॉजिटिव लोगों में से 90% लोगों के रोग की जाँच करना,जाँच किये गए एचआईवी पॉजिटिव लोगों में से 90% को एंटीरेट्रोवायरल उपचार देना जबकि एंटीरेट्रोवायरल उपचार प्राप्त लोगों में से 90% को इस संक्रमण से मुक्त करना है। यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब एचआईवी पॉजिटिव रोगी का संक्रमण एक ऐसे स्तर पर पहुँच जाए जहाँ पर उसे नियंत्रित किया जा सकेगा। 
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