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कर्नाटक में अंगूर की कृषि और COVID- 19

  • 20 Apr 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

वर्ष 2019 के प्रमुख GI टैग, बंगलौर ब्लू 

मेन्स के लिये:

भौगोलिक संकेतक का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

COVID- 19’ महामारी के कारण कर्नाटक राज्य में जूस तथा शराब बनाने वाली इकाइयों के बंद हो जाने के कारण लगभग 3,500 टन फलों की अभी तक कटाई/हार्वेस्टिंग नहीं की गई है।

मुख्य बिंदु: 

  • किसान जिनको पिछले वर्ष अंगूर की कृषि से आय हुई थी, उन्हें इस वर्ष भी अच्छी आय की उम्मीद थी लेकिन उनकी उम्मीदें COVID-19 महामारी के तहत लगाए गए लॉकडाउन के कारण धूमिल हो गईं।
  • बंगलूरु ब्लू किस्म, ज़्यादातर जूस और शराब/स्प्रिट बनाने के काम आती है।

बंगलौर ब्लू (Bangalore Blue):

  • प्रसिद्ध बंगलौर ब्लू/नीले अंगूर की किस्म है जो मुख्यत: कर्नाटक की राजधानी बंगलूरु के आस-पास उगाई जाती है। 
  • बंगलौर ब्लू की कृषि मुख्यत: बंगलूरु के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा चिकबल्लापुर (Chickballapur) और कोलार ज़िलों के लगभग 4,500 हेक्टेयर में 150 वर्षों से की जा रही है।
  • भौगोलिक रूप से विशिष्ट फसल किस्म होने के कारण बागवानी विभाग ने इस स्थानिक किस्म के लिये ‘भौगोलिक संकेतक’ (Geographical Indications- GI) की मांग के बाद वर्ष 2013 में GI टैग प्रदान किया गया।
  • राज्य सरकार ने शराब नीति 2012 के तहत बंगलौर ब्लू से बनी शराब को फोर्टिफाइड शराब के रूप में मान्यता दी है।  
  • फोर्टीफाइड वाइन (Fortified Wine):  
    • यह फ्रूट वाइन से अलग होती है क्योंकि इसमें फलों से निकली शराब में अतिरिक्त स्प्रिट मिलाई जाती है।

भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication):

  • GI टैग का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है। इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। 

GI टैग की वैधता:

  • एक GI टैग एक दशक के लिये वैध होता है, जिसके बाद इसे अगले 10 वर्षों के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।

भारत में GI टैग को मंज़ूरी: 

  • भारत में GI टैग को ‘भौगोलिक संकेतक (माल पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम’ (Geographical Indication of Goods (Registration and Protection) Act) द्वारा नियंत्रित किया जाता है,जो वर्ष 1999 में अस्तित्त्व में आया।

2019 के प्रमुख GI टैग

  • 'पालनी पंचतीर्थम' (Palani Panchamirtham), तमिलनाडु:
    • एक प्रकार का 'प्रसादम' या मंदिरों में दिया जाने वाला धार्मिक प्रसाद है। 
  • तावलोहपुआन (Tawlhlohpuan), मिजोरम:  
    • एक उत्तम गुणवत्ता की कपड़ा बुनाई प्रणाली।   
  • मिज़ो पुंची (Mizo Puanchei)- मिज़ोरम:
    • एक प्रकार की शॉल, जिसका कपड़ा सबसे रंगीन माना जाता है। 
  • तिरूर (Tirur) पान, केरल:  
    • औषधीय तथा सांस्कृतिक उपयोग 

2019 के अन्य GI टैग:

GI टैग का नाम 

संबंधित राज्य 

उड़ीसा रसगुल्ला

उड़ीसा 

कंधमाल हल्दी (कृषि)

उड़ीसा 

कोडाइकनाल मलाई पूंडु (कृषि)

तमिलनाडु 

पांडूम (हैंडीक्राफ्ट)

मिज़ोरम

नागोतेरह (हैंडीक्राफ्ट)

मिज़ोरम

हमाराम (हैंडीक्राफ्ट) 

मिज़ोरम

गुलबर्गा तूर (कृषि

कर्नाटक

आयरिश व्हिस्की (विनिर्माण) 

आयरलैंड 

खोला मिर्च (कृषि)

गोवा 

मिशमी टेक्सटाइल (हैंडीक्राफ्ट)

अरुणाचल प्रदेश

डिंडीगुल ताला (विनिर्माण)

तमिलनाडु

कंडांगी साड़ी (हैंडीक्राफ्ट)

तमिलनाडु

श्रीविल्लिपुत्तुर पलकोवा (खाद्य वस्तु)

तमिलनाडु 

काजी नेमू (कृषि)

असम 

GI टैग और ट्रिप्स समझौता:

  • ‘भौगोलिक संकेतक’ को ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं’ (Trade Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) के अंतर्गत शामिल किया जाता है।
  • विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization-WTO) के सदस्य के रूप में भारत ने ‘भौगोलिक संकेतक (माल और पंजीकरण) अधिनियम, 1999’ को लागू किया है जो 15 सितंबर, 2003 से प्रभावी हो गया है। 

GI टैग का महत्त्व:

  • बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे कॉपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क आदि के समान ही भौगोलिक संकेतक टैग धारकों को भी समान अधिकार तथा सुरक्षा प्रदान की जाती है।
  • यह संकेत प्राप्त होने पर उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता सुनिश्चित होती है।
  • GI टैग प्रदान करना किसी विशिष्ट उत्पाद के उत्पादक को संरक्षण प्रदान करता है जो कि घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में उनके मूल्यों को निर्धारित करने में सहायता करता है। 

स्रोत: द हिंदू

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