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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ग्राम पंचायत द्वारा जारी प्रमाण-पत्र नागरिकता का प्रमाण नहीं

  • 24 Nov 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी एक व्यक्तव्य में यह स्पष्ट किया गया है कि ग्राम पंचायत द्वारा जारी निवास प्रमाण-पत्र नागरिकता का दस्तावेज़ नहीं होता है  और यदि इसे किसी अन्य वैध रिकॉर्ड के समर्थन से एन.आर.सी. (National Register of Citizenship – NRC) में शामिल करने का दावा किया जाता है तो वह अर्थहीन है।

मामला क्या है?

  • गौरतलब है कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने एनआरसी के तहत दावा करने के लिये ग्राम पंचायत द्वारा जारी दस्तावेज़ को अवैध माना। इसी मामले के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई के दौरान यह व्यक्तव्य जारी किया गया। हालाँकि, इस मामले में अभी अंतिम निर्णय आना बाकी है।  

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा क्या पक्ष रखा गया ?

  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका की सुनवाई के दौरान  यह स्पष्ट किया कि ग्राम पंचायत (ग्राम परिषद) सचिव द्वारा जारी किये गए निवास प्रमाण-पत्र को नागरिकता के दावे के लिये प्रस्तुत करना न तो कानूनी है और न ही यह एक मान्य दस्तावेज़ ही है।
  • द हिंदू समाचार पत्र के अनुसार, असम में अवैध प्रवासियों की पहचान करने के संबंध में किये गए अध्ययन में यह बात सामने आई कि एन.आर.सी. में शामिल होने के लिये प्रस्तुत कुल 3.29 करोड़ दावों में से तकरीबन 48 लाख दावे ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा जारी प्रमाण-पत्रों के ज़रिये किये गए।
  • एन.आर.सी. के लिये किये गए 48 लाख दावों में से 20 लाख स्वदेशी लोग थे। जहाँ तक बात राज्य के मूल निवासियों की स्थापना की तो इस संबंध में किसी और सत्यापन की आवश्यकता नहीं है। 

वास्तविक स्थिति क्या है?

  • यहाँ इस बात पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है कि इस क्षेत्र में नागरिकता के संबंध में दावा करने वाले लोगों में से बहुत से लोग निरक्षर हैं।
  • साथ ही तब तक मुस्लिम विवाह पंजीकृत भी नहीं थे जब तक कि विवाह पंजीकरण को अनिवार्य नहीं बना दिया गया। ऐसी ही स्थिति यहाँ जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के संबंध में भी है।
  • यह दस्तावेज़ एन.आर.सी. में शामिल होने के लिये सिर्फ एक समर्थन दस्तावेज़ का काम करता है। भले ही न्यायालय का अंतिम निर्णय जो भी हो, उक्त दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता की जाँच अवश्य की जानी चाहिये। 
  • साथ ही ऐसे लोग जिन्होंने पहले से इस दस्तावेज़ के आधार पर दावा किया हुआ है, उन्हें एन.आर.सी. को अपने दावे के समर्थन में और अधिक प्रमाणिक साक्ष्य जोड़ने का अवसर दिया जाना चाहिये। 
  • ग्राम पंचायत द्वारा जारी प्रमाण-पत्र को इसलिये मानक नहीं माना जा सकता है क्योंकि इन दस्तावेज़ो पर केवल पिता के नाम और निवास स्थान के अलावा अन्य कोई जानकारी निर्दिष्ट नहीं होती है। 
  • ऐसी स्थिति में इनकी प्रमाणिकता स्वतः ही संदेह के दायरे में आ जाती है। 

निष्कर्ष

स्पष्ट रूप से जिस प्रकार से देश में शरणार्थियों के आगमन एवं अवैध प्रवासन की स्थितियाँ बनी हुई हैं, आए दिन इस संबंध में कोई न कोई नई जानकारी प्राप्त होती रहती है, ऐसी स्थिति में देश की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा को सुनिश्चित किये जाने पर विशेष बल दिया जाना चाहिये। ऐसे किसी भी प्रमाण-पत्र को मान्यता प्रदान नहीं की जानी चाहिये जिसके संबंध में प्रमाणिकता, विश्वसनीयता और पारदर्शिता का अभाव हो। इसका एक कारण यह भी है कि इस प्रकार की घटनाओं का प्रभाव केवल हमारी सामाजिक संरचना पर ही नहीं पड़ता है बल्कि इसका प्रत्यक्ष असर देश की आर्थिक संवृद्धि एवं विकास पर भी परिलक्षित होता है।

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