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“ग्रेडेड सर्विलांस मीज़र” से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • 26 Sep 2017
  • 7 min read

ग्रेडेड सर्विलांस मीज़र (Graded Surveillance Measure) क्या है?

  • इस आकलन की शुरुआत सेबी द्वारा की गई है। विदित हो कि इसकी शुरुआत के पीछे सेबी का उद्देश्य उन प्रतिभूतियों के व्यापार में कमी लाना है, जिनकी कीमतों में असामान्य दर से वृद्धि हो रही है और इनकी कीमतों  में हो रही यह वृद्धि कंपनी की वित्तीय अवस्था और मूल तत्त्वों जैसे-आय, पुस्तक की कीमत, मूल्य व आय के अनुपात आदि के अनुरूप नहीं है।

सेबी ने इस आकलन की शुरुआत क्यों की है?

  • ग्रेडेड सर्विलांस फ्रेमवर्क के पीछे मूल निहितार्थ यह है कि निवेशकों को किसी भी प्रतिभूति में व्यापार करने से रोका जाए तथा उन्हें इसके जोखिमों के विषय में भी सचेत किया जाए। इस आकलन के तहत सेबी संदेहास्पद मूल्य हेराफेरी या 'शेल कंपनियों’ के दायरे में आने वाली कंपनियों के शेयर अपने पास रख सकती है। 
  • यह आकलन स्टॉक बाज़ार में निवेश करने वाले निवेशकों के लिये लाभकारी सिद्ध होगा, क्योंकि इससे उन्हें यह जानकारी प्राप्त होगी कि उन्हें सर्विलांस के तहत ऐसी प्रतिभूतियों के साथ व्यापार करने में अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।

ग्रेडेड सर्विलांस मीज़र कैसे कार्य करता है?

  • एक बार यदि किसी फर्म की पहचान निगरानी के लिये कर ली जाती है, तो यह निगरानी कार्यों के साथ छह चरणों से होकर गुजरेगी।
  • इसके प्रथम चरण में इन प्रतिभूतियों को व्यापार से व्यापार अनुभाग (trade-to-trade segment) में रखा जाएगा। इसका अर्थ यह है कि इसमें किसी भी प्रकार के सट्टा व्यापार की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही इसमें शेयर का वितरण और कंसीडरेशन राशि (consideration amount) का भुगतान अनिवार्य हो जाएगा। 
  • दूसरे चरण में, व्यापार से व्यापार अनुभाग में प्रतिभूति के खरीदार को व्यापार मूल्य का 100% ‘अतिरिक्त निगरानी जमा’ (additional surveillance deposit) के रूप में रखना होगा। इस जमा राशि को लेन-देनों के माध्यम से पाँच महीने तक इसी प्रकार रखा जाएगा तथा इसके बाद व्यवस्थित तरीके से खरीदार को लौटा दिया जाएगा।
  • इसके तीसरे चरण में, एक सप्ताह में एक ही बार (जैसे- सोमवार को) व्यापार की अनुमति दी जाएगी। इसके अतिरिक्त इसे खरीदार द्वारा ‘अतिरिक्त निगरानी जमा’ के रूप में रखी गई 100% धनराशि से अलग रखा जाएगा।
  • चौथे चरण में एक सप्ताह में एक ही बार व्यापार करने की अनुमति दी जाएगी और ‘अतिरिक्त निगरानी जमा’ राशि व्यापार मूल्य का 200% हो जाएगी।
  • पाँचवें चरण में 200% की अतिरिक्त जमा के साथ एक महीने में एक बार (माह के पहले सोमवार को) ही व्यापार की अनुमति दी जाएगी।
  • छठे और अंतिम चरण में, कंपनियों पर अधिकतम प्रतिबन्ध लगाए जाएंगे। इस चरण में एक माह में एक बार ही व्यापार की अनुमति दी जाएगी तथा इसमें कीमतों में वृद्धि की अनुमति दी जाएगी। इसमें अतिरिक्त निगरानी जमा राशि 200% होगी।

क्या ग्रेडेड सर्विलांस सूची में प्रतिभूतियाँ स्थाई तौर पर बनी रहेंगी?

  • प्रतिभूतियों की त्रैमासिक समीक्षा होगी। मापदंड के आधार पर प्रतिभूतियाँ उच्च स्थान से निम्न स्थान पर व्यवस्थित तरीके से ले जाई जाएंगी। 

ग्रेडेड सर्विलांस मीज़र के विषय में छोटे निवेशकों को किन बातों का ध्यान रखना होगा ? 

  • जैसे ही और जब भी किसी प्रतिभूति को निगरानी के विभिन्न स्तरों पर भेजा जाएगा तो प्रतिदिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट पर सार्वजानिक तौर पर इसकी घोषणा की जाएगी। 
  • इसके अतिरिक्त ये एक्सचेंज इन कंपनियों के बही खातों की लेखापरीक्षा करने के लिये स्वतंत्र लेखापरीक्षकों की नियुक्ति करेंगे और जहाँ आवश्यकता हो वहाँ इनकी फोरेंसिक लेखापरीक्षा (forensic audit) भी की जाएगी।
  • यह अप्रत्यक्ष रूप से इस बात का संकेत होगा कि व्यापार की मात्रा अथवा मूल्यों में होने वाली एकाएक वृद्धि तथाकथित कंपनी के मूल सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है और इसलिये छोटे रिटेल निवेशकों को ऐसे स्टॉकों अथवा किसी गलत सलाह में पड़ने से उनका संरक्षण किया जा रहा है। 

निष्कर्ष

यद्यपि यह व्यवस्था उचित हैं, परन्तु इसमें छोटे निवेशकों के लिये एकमात्र चुनौती यह है कि इनके लिये प्रायः छोटा सा नोटिस जारी किया जाता है और इसे अगले ही दिन से लागू कर दिया जाता है। अतः वे लोग जो पहले से ही इस स्टॉक में प्रवेश कर चुके हैं उन्हें इससे बाहर निकलने का भी पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। 

बेशक, यह भी एक प्रकार का जोखिम ही है। उदाहरण के लिये, यदि उन्हें पर्याप्त समय दे दिया जाए तो अगले दिन स्टॉक की कीमतें गिर सकती हैं, जिससे मूल्य व्यवस्था में बिखराव आ जाएगा और निवेशकों के लिये बाहर निकलने का कोई मार्ग शेष नहीं बचेगा।

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