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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कल्याणकारी योजनाओं के लिये दालों के वितरण की अनुमति

  • 11 Nov 2017
  • 5 min read

संदर्भ

हाल ही में आर्थिक मामलों की केंद्रीय समिति ने यह निर्णय लिया है कि वह अपने दालों के 1.8 मिलियन टन बफर स्टॉक का वितरण कई कल्याणकारी योजनाओं (जैसे मध्याह्न भोजन योजना) में करेगी। विदित हो कि इस निर्णय के बाद सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को उनकी योजनाओं में उचित बदलाव और संशोधन करने की आवश्यकता होगी। 

प्रमुख बिंदु

  • हालाँकि, संबंधित मंत्रालाय अब अपनी योजनाओं में आवश्यक बदलाव करेंगे और तीन महीनों के भीतर दालों की आवश्यकता का आकलन करेंगे।  केंद्रीय बफर स्टॉक से दालों का निर्यात मंत्रालयों और विभागों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही किया जाएगा।
  • सरकार का कहना है कि संबंधित मंत्रालय या विभागों को यह सुनिश्चित कराना होगा कि बफर स्टॉक से की जाने वाली दालों का उपयोग इन योजनाओं में केंद्र के योगदान के रूप में ही किया जाएगा।
  • संबंधित विभागों को पोषण उपलब्धता के वर्तमान नियमों में बदलाव करने की आवश्यकता होगी क्योंकि वर्तमान नियमों के तहत योजनाओं के बफर में दालों की अनुपलब्धता के कारण ही सरकार द्वारा पोषण उपलब्ध कराया जाएगा।
  • सरकारी एजेंसियों को भी उनके वाणिज्यिक समझौते (टेंडर्स, कॉन्ट्रैक्ट्स) में आवश्यक बदलाव करने होंगे, ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि इन कार्यों के लिये दालों की आवश्यकताओं की पूर्ति केन्द्रीय बफर स्टॉक द्वारा की जाएगी। बफर स्टॉक का निपटान एक स्थायी बफर स्टॉक के संचालन के लिये महत्त्वपूर्ण है। सरकार का यह कदम निश्चित ही दालों के बफर स्टॉक के कुशल प्रबंधन को बढ़ावा देगा।
  • पिछले वर्ष पहली बार सरकार ने दालों के एक बफर स्टॉक का सृजन करने का निर्णय लिया था कि ताकि किसानों को अच्छे मूल्य प्राप्त हो सकें और यदि मूल्यों में वृद्धि होती हैं तो इस स्टॉक का प्रयोग आपूर्ति के लिये भी किया जा सकता है। स्थानीय खरीद और आयातों के माध्यम से 2 मिलियन टन के बफर स्टॉक का सृजन किया गया था।

बफर स्टॉक क्या है?

  • बफर स्टॉक एक व्यवस्था अथवा योजना है जिसमें अच्छी फसल होने के दौरान उसका भंडारण कर लिया जाता है, ताकि फसलों का मूल्य निर्धारित न्यूनतम सीमा से कम न हो और इसे उस समय उपलब्ध कराया जाता है जब फसल अच्छी नहीं होती तथा मूल्यों वृद्धि होने की संभावना बनी रहती है।  
  • बफर स्टॉक को केंद्रीय पूल भी कहा जाता हैं। इसका प्रयोग लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरण के साथ-साथ सूखे या फसल की बर्बादी अथवा‍ऐसी ही किसी अन्य आपात स्थिति से निपटने के लिये किया जाता है। 
  • देश में खाद्यान्नों का न्यायपूर्ण वितरण व उनके मूल्यों में स्थायित्व लाने के उद्देश्य से भारतीय खाद्य निगम की स्थापना 1965 में की गई थी। निगम अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सरकार के लिये खाद्यान्नों की खरीद करता है तथा खाद्यान्न का बफर स्टॉक बनाए रखता है। इस खाद्यान्न को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य की दुकानों पर विक्रय के लिये उपलब्ध कराया जाता है। 
  • आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 16 जनवरी 2015 को केंद्रीय पूल में खाद्यान्‍न के बफर मानक नियमों में संशोधन को मंजूरी दी थी। सीसीईए ने इसकी भी मंज़ूरी दे दी है कि यदि केंद्रीय पूल में खाद्यान्‍नों का स्टॉक संशोधित बफर मानकों से अधिक होता है तो खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग अतिरिक्‍त स्टॉक को खुली बिक्री के जरिये  घरेलू बाज़ार में बेच सकता है अथवा उसका निर्यात भी कर सकता है।
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