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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

ग्लोबल सल्फर कैप

  • 30 Nov 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये

ग्लोबल सल्फर कैप क्या है, इसे लागू करने वाली संस्था

मेन्स के लिये

प्रदूषण तथा जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में ग्लोबल सल्फर कैप की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के पोत परिवहन महानिदेशालय (Directorate General of Shipping) ने 1 जनवरी, 2020 से ग्लोबल सल्फर कैप (Global Sulphur Cap) के अनुपालन के लिये विभिन्न हितधारकों को अधिसूचित किया।

मुख्य बिंदु:

  • ग्लोबल सल्फर कैप के तहत जहाज़ों के ईंधन में प्रयोग होने वाले सल्फर के प्रयोग में 0.50% m/m (mass by mass) की कटौती की जाएगी।
  • कच्चे तेल के आसवन (Distillation) के बाद बचे हुए अवशेष से जहाज़ों में प्रयोग होने वाला बंकर ऑयल प्राप्त किया जाता है। इसमें भारी मात्रा में सल्फर पाया जाता है तथा इसके दहन पर यह सल्फर ऑक्साइड बनाता है।
  • सल्फर ऑक्साइड मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। यह श्वसन तथा फेफड़ों से संबंधित बीमारियों को जन्म देता है।
  • पर्यावरण में यह अम्लीय वर्षा के लिये उत्तरदायी है जिससे फसल, जंगल तथा जलीय जीवों को नुकसान पहुँचता है। साथ ही यह समुद्र के अम्लीकरण के लिये भी ज़िम्मेदार है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन (International Maritime Organisation-IMO) ने जहाज़ों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम पर अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय (International Convention for the Prevention of Pollution from Ships) या मारपोल अभिसमय 1973 (MARPOL Convention) द्वारा वर्ष 2005 में जहाज़ों से होने वाले सल्फर ऑक्साइड के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिये दिशा-निर्देश जारी किये थे। भारत इस अभिसमय का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
  • IMO ने पर्यावरणीय प्रभाव तथा जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए 1 जनवरी, 2020 से सल्फर ऑक्साइड के उत्सर्जन में और अधिक कटौती करने का निर्णय लिया है। इसके द्वारा निर्धारित उत्सर्जन नियंत्रण क्षेत्र (Designated Emission Control Area) से बाहर संचालित किसी जहाज़ में प्रयुक्त ईंधन में सल्फर की मात्रा में 0.50% m/m (mass by mass) की कमी की जाएगी।

स्रोत: पी.आई.बी.

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