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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सकल घरेलू उत्पाद दर में उछाल : मज़बूत होती अर्थव्यवस्था

  • 01 Dec 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था में तेज़ी देखी गई है, जिसका कारण यह है कि 1 जुलाई से जी.एस.टी. (Goods and Services Tax) के कार्यान्वित होने के बाद से विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि देखने को मिली है, जिसके परिणामस्वरूप सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product - GDP) पिछली तिमाही की तुलना में 5.7% से बढ़कर 6.3% पर पहुँच गया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • हालाँकि, पिछली तिमाही (अप्रैल से जून) के दौरान जीडीपी 5.7% की दर (तीन सालों का निम्नतम स्तर) पर थी, जबकि पहली तिमाही में जी.वी.ए. (Gross Value Added - GVA) वृद्धि दर 5.6% से बढ़कर 6.1% हो गई।
  • पी.आई.बी. से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस तिमाही में वृद्धि दर में तेज़ी को विनिर्माण में तेज़ बढोतरी से सहायता मिली है जो पहली तिमाही के 1.2% के मुकाबले दूसरी तिमाही के दौरान 7% तक पहुँच गई। 
  • दूसरी तिमाही के दौरान, बिजली एवं अन्‍य उपयोगी वस्तुओं में भी 7.6% की मज़बूत बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसके अतिरिक्त व्‍यापार, परिवहन एवं संचार में 9.9% की वृद्धि दर्ज़ की गई है। कुल मिलाकर दूसरी तिमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में 7.1% की वृद्धि हुई है।  

विमुद्रीकरण एवं जीएसटी

  • उक्त विवरण से ऐसा प्रतीत होता है कि अर्थव्‍यवस्‍था इस वर्ष के प्रारंभ में आए रूपांतरकारी बदलावों (विमुद्रीकरण एवं जीएसटी) के दौर का दृढ़ता से मुकाबला कर आगे बढ़ चुकी है, साथ ही निकट भविष्‍य में भी इसमें स्‍थायी सुधार आने की संभावनाएँ हैं। 

कृषि अभी चिंता का कारण बनी हुई है

  • हालांकि, कृषि क्षेत्र में अभी भी बहुत सी चुनौतियाँ चिंता का कारण बनी हुई हैं। इस समयावधि में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बहुत संतोषजनक नहीं रहा है। इस क्षेत्र में मात्र 1.7% की वृद्धि हुई है।
  • इसमें भी कृषि क्षेत्र में गैर-फसल क्षेत्र का योगदान अधिक रहा है। हालाँकि, इस वर्ष फसल उत्पादन पिछले पाँच साल के औसत से अधिक रहा है, तथापि पिछले साल के मुकाबले यह कम रहा है। 
  • कृषि क्षेत्र में पहली तिमाही में 2.3% की वृद्धि हुई, जबकि साल की पहली अवधि में 4.1% की वृद्धि हुई थी।

पूंजी निर्माण एवं निवेश में भी वृद्धि 

  • इसके अलावा सकल अचल पूंजी निर्माण (gross fixed capital formation) में उछाल दर्ज़ किया गया। पहली तिमाही में यह 1.6% के स्तर पर था, जबकि दूसरी तिमाही में इसमें 4.7% की वृद्धि दर्ज़ की गई। 
  • स्पष्ट रूप से अर्थव्यवस्था में सुधार की स्थिति जहाँ एक ओर वैश्विक स्तर पर इसकी दृढ़ता और निश्चितता को साबित करती है, वहीं दूसरी ओर इससे निवेश में भी वृद्धि होती है।
  • हालाँकि, इस समयावधि में सेवा जैसे महत्त्वपूर्ण पूंजी अर्जक क्षेत्र में मंदी देखने को मिली है, विशेष रूप से वित्त, परिवहन और होटल, इन सभी की पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में विकास धीमा रहा है।
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