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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत में जुए को लेकर बढ़ती स्वीकार्यता

  • 31 Jul 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

  • भारत में जुए की स्वीकार्यता तेज़ी से बढ़ रही है।  देश का एक बड़ा तबका सट्टेबाजी और जुए को वैध बनाने की वकालत करता नज़र आ रहा  है। विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल भारतीय क्रिकेट बोर्ड बनाम क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के मामले में लॉ कमीशन से कहा था कि वह अध्ययन करे कि क्या सट्टेबाजी को भारत में कानूनी मंज़ूरी मिलनी चाहिये ? 
  • अब सरकार जुआ एवं सट्टा को कानूनी मान्यता देकर उसे टैक्स में दायरे में लाने पर विचार कर रही है। इसके लिये हाल ही में आम नागरिकों से सलाह मांगी गई थी। लॉ कमीशन ने लोगों से राय मांगी थी कि क्या भारत में सट्टेबाजी और जुए को कानून के दायरे में लाया जाए?

पक्ष में तर्क

  • भारत में खेल और सट्टा एक सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों का बड़ा बाज़ार है। सट्टे और जुए को कानूनी मान्यता मिलने से लाखों की तादाद में रोज़गार के नए मौके पैदा होंगे, सुनियोजित अपराध कम होंगे, सरकारी खज़ाने के राजस्व और सकल घरेलू उत्पाद में इज़ाफा होगा और मनी लॉन्डरिंग पर शिकंजा कसेगा।
  • कानूनी मान्यता न होने से बहुत से खेलों में सट्टा, जुआ और मटका खेल के ज़रिये काला धन लगाया जाता है, जो समाज को सीधे तौर पर न केवल अपराध की काली दुनिया से जोड़ता है, बल्कि सरकार को चूना भी लगाता है।
  • भारत में सट्टे को कानूनी मान्यता देना, राज्य सरकारों के कार्यक्षेत्र में आता है। देश में कई राज्यों में सट्टे या जुए को कानूनी मान्यता मिली हुई है। जैसे गोवा, सिक्किम और अन्य पूर्वोत्तर राज्य।
  • जुए के परंपरागत तरीकों को छोड़ दें तो अब कैसीनो, ऑनलाइन लॉटरी, ऑनलाइन रमी, घुड़दौड़ आदि में लोग पैसा लगाते हैं। यद्यपि भारत में कैसीनो को सिर्फ गोवा में मान्यता मिली हुई है।

विपक्ष में तर्क

  • वर्तमान में जुआ और सट्टेबाज़ी से कारण कई घर नीलाम हो रहे हैं और कई लोग जेल में हैं।  ऑनलाइन जुआ खेलना और सट्टेबाज़ी एक ऐसा क्षेत्र है, जिससे छुटकारा पाना आसान नहीं है।
  • दरअसल, ऐसा माना जाता है कि गैर-कानूनी जुआ कारोबार में अवैध तरीके से कमाया हुआ धन लगाया जाता है, जिससे लगभग एक समानांतर अर्थव्यवस्था (parallel economy) का सृजन हो रहा है, जिसमें वैध तरीके से प्राप्त की गई आय को काले धन में बदला जा रहा है।
  • जुआ और सट्टेबाज़ी का एक-दूसरे से निकट संबंध है। जुआ और सट्टेबाज़ी के विरुद्ध बनाए गए सख्त नियम भी मुश्किल से ही ऐसी गुप्त गतिविधियों से बचाव करेंगे।
  • सट्टेबाजी के कारण मैच फिक्सिंग जैसी घटनाएँ सामने आती हैं और कई खिलाड़ियों का कैरियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाता है।

क्या है ‘जुआ’ ?

  • जुआ खेलने से तात्पर्य किसी अवसर पर किसी व्यक्ति (जिसे हितधारक कहा जाता है) द्वारा धन और कीमती सामान की बाजी लगाने से है, जिसमें व्यक्ति पहले से ही यह अपेक्षा रखता है कि वह धन या कीमती सामान को जीत लेगा।
  • उल्लेखनीय है कि जुए को एक पुराने कानून ‘सार्वजानिक जुआ अधिनियम,1867’ के अंतर्गत परिभाषित किया गया है।
  • यद्यपि संविधान में सभी राज्यों को उनके स्वयं के जुआ कानून को लागू करने की शक्ति प्रदान की गई है, लेकिन विभिन्न राज्यों के कानूनों में कोई समरूपता नहीं होती है।
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