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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रियाद में G-20 देशों की बैठक

  • 24 Feb 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

G-20 देश, कोरोना वायरस

मेन्स के लिये:

कोरोना वायरस से संबंधित मुद्दे, G-20 देशों का वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सऊदी अरब के रियाद में G-20 देशों के केंद्रीय वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक का आयोजन किया गया। ध्यातव्य है कि किसी अरब देश में पहली बार इस बैठक का आयोजन किया गया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस बैठक का आयोजन वैश्विक अर्थव्यवस्था और कोरोना वायरस महामारी के खतरों पर चर्चा करने के लिये किया गया।
  • भारतीय वित्त मंत्री ने 23 फरवरी, 2020 को आह्वान किया कि अंतर्राष्ट्रीय राजस्व एजेंसियों के बीच करीबी सहयोग स्थापित किया जाए ताकि कर जाँच से बचने के लिये सीमा पार करने वाले अपराधियों के कर मामलों की जाँच की जा सके।
  • इस बैठक की थीम ‘सभी के लिये 21वीं सदी के अवसरों का एहसास’ (Realising Opportunities of the 21st Century for All) थी।

भारत द्वारा दिये गए सुझाव

  • भारतीय वित्त मंत्री ने बैठक में कॉर्पोरेट बॉण्ड मार्केट (Corporate Bond Market) को मज़बूत करने और निजी ऋण एवं सरकारी प्रतिभूति बाज़ार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को आकर्षित करने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला।
  • उनका मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के पास लागत कुशल विवाद निवारण तंत्र (Cost Efficient Dispute Prevention Mechanism) के साथ डिजिटलीकरण की चुनौतियों से निपटने के लिये एक नई अंतर्राष्ट्रीय कर प्रणाली (International Tax System) को डिज़ाइन/तैयार करने का एक अनूठा अवसर है।
  • बुनियादी ढाँचे के विकास के संबंध में वित्त मंत्री ने सभी राष्ट्रों को किसी भी सामान्य निर्धारित दृष्टिकोण को विकसित करने से परहेज करने का सुझाव दिया क्योंकि विभिन्न देश बुनियादी ढाँचे में प्रौद्योगिकी को अपनाने के विभिन्न चरणों में हैं।

पूंजी बाज़ार को सशक्त करने हेतु किये गए भारतीय प्रयास

  • ध्यातव्य है कि भारत द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों की पहचान की गई श्रेणियों के लिये पूंजी नियंत्रण को समाप्त करने और कॉर्पोरेट बॉण्ड बाजार पर FPI की सीमा में वृद्धि जैसे महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
  • 1 फरवरी को घोषित केंद्रीय बजट 2020-21 में वित्तमंत्री ने कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी प्रतिभूति बाज़ार को विस्तृत और मज़बूत करने के लिये कई कदमों की घोषणा की थी।
  • केंद्र सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfilio Investors- FPIs) के लिये निवेश सीमा को 9 प्रतिशत से बढ़ाकर कॉर्पोरेट बॉण्ड के बकाया स्टॉक के 15 प्रतिशत तक कर दिया है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने पिछले साल दिसंबर में सरकारी प्रतिभूतियों के साथ-साथ अल्पकालिक बॉण्ड में FPI निवेश की सीमा बढ़ा दी है। सरकार ने क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप मार्केट (Cradit Default Swaps Market) के विस्तार के लिये एक कानून बनाने का भी प्रस्ताव दिया है।
  • केंद्र सरकार ने एक नया डेट एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (Debt Exchange Traded Fund) बनाए जाने का भी प्रस्ताव किया है जिसमें सरकारी प्रतिभूतियाँ (Government Securities) शामिल होंगी, ताकि खुदरा निवेशकों को प्रस्तावित Debt ETF में इकाइयों के माध्यम से सरकारी बॉण्ड की एक बास्केट खरीदने में आसानी हो। ध्यातव्य है कि खुदरा निवेशक वे हैं जिन्होंने अभी तक सरकारी प्रतिभूति मार्केट (G-Sec Market) में ज़्यादा निवेश नहीं किया है।

बैठक का महत्त्व

  • बैठक में वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक चर्चा की गई जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था में समन्वय स्थापित करने में मदद मिलेगी।
  • विभिन्न देशों द्वारा आर्थिक सुधारों की दृष्टि से किये गए घरेलू प्रयासों को साझा किया गया जो अन्य देशों को चुनौतियों से निपटने में मदद करेंगे।
  • कोरोना वायरस जैसी बीमारी की पहचान, प्रभाव, प्रसार एवं रोकथाम पर चर्चा की गई जो कि इस बीमारी पर नियंत्रण पाने में सहायक सिद्ध होगा।
  • बैठक में उल्लिखित नई अंतर्राष्ट्रीय कर प्रणाली वैश्विक स्तर पर कर चोरी की समस्या को दूर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • इसके अतिरिक्त G-20 देशों की यह बैठक इन देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। ध्यातव्य है कि वर्ष 2020 का G-20 सम्मेलन भी रियाद में ही 21-22 नवंबर, 2020 को आयोजित किया जाना है।

आगे की राह

  • सभी देशों को मिलकर कोरोना वायरस जैसी बीमारी से निपटने एवं उसके प्रभाव को कम करने की दिशा में व्यापक प्रयास करना चाहिये।
  • इसके अलावा बैठक में चर्चित नई अंतर्राष्ट्रीय कर प्रणाली को विकसित करने की दिशा में कार्य करना चाहिये जिससे वैश्विक स्तर पर कर चोरी पर अंकुश लगाया जा सके।
  • इसके अतिरिक्त सभी देशों को मिलकर विश्व कल्याण को ध्यान में रखते हुए आगामी योजनाओं को क्रियान्वित करना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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