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डेली न्यूज़

कृषि

कृषक उत्पादक संगठनों की स्थापना और संवर्द्धन

  • 21 Feb 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

FPOs, कृषक उत्पादक संगठनों की स्थापना और संवर्द्धन

मेन्स के लिये:

किसानों के लिये अर्थव्यवस्था के व्यापक लाभ, किसानों की आय को दोगुना करना, विकास एवं संवृद्धि

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने किसानों के लिये अर्थव्यवस्था के व्यापक लाभ को सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2019-2022 से वर्ष 2023-24 की अवधि के दौरान 10,000 नए FPOs के गठन को स्वीकृति दी है।

लाभ

  • छोटे और सीमांत किसानों के पास मूल्य संवर्द्धन सहित उत्पादन तकनीक, सेवाओं और विपणन को अपनाने के लिये आर्थिक क्षमता नहीं होती है। FPOs के गठन से, किसान सामूहिक रूप से अधिक सुदृढ़ होने के साथ-साथ अधिक आय अर्जित करने हेतु अर्थव्यवस्था के व्यापक स्तरों के लाभ के माध्यम से ऋण और बेहतर विपणन एवं गुणवत्तायुक्त उत्पाद और प्रौद्योगिकी तक पहुँच बनाने में सक्षम होंगे।

कार्यान्वयन एजेंसियाँ

प्रारंभिक तौर पर, FPOs के गठन और प्रोत्साहन के लिये तीन कार्यान्वयन एजेंसियाँ होंगी:

  • स्मॉल फारमर्स एग्री-बिज़नेस कन्सोर्टियम (Small Farmers Agri-business Consortium-SFAC),
  • नेशनल कोओपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (National Cooperative Development Corporation-NCDC),
  • नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (National Bank for Agriculture and Rural Development-NABARD)

प्रमुख बिंदु

  • पाँच वर्ष की अवधि (2019-2022 से 2023-24) के लिये 4496.00 करोड़ रुपए के कुल बजटीय प्रावधान के साथ 10,000 नए FPOs के गठन और संवर्द्धन के लिये “कृषक उत्पादक संगठनों की स्थापना और संवर्द्धन” नामक केंद्रीय क्षेत्र की एक नवीन योजना।
    • इसमें प्रत्येक FPOs को पाँच वर्षों के लिये आवश्यक सहयोग देने के लिये वर्ष 2024-25 से 2027-28 की अवधि के लिये 2369 करोड़ रुपए की प्रतिबद्ध देनदारी भी शामिल है।
  • DAC&FW एजेंसियों को कार्यान्वित करने के लिये समूह/राज्यों का आबंटन करेगा, जो इसी क्रम में राज्‍यों में समूह आधारित व्‍यापारिक संगठन का गठन करेगा।
  • FPOs को कार्यान्‍वयन एजेंसियों के द्वारा राज्‍य/समूह स्‍तर पर जुड़े समूह आधारित व्‍यापार संगठनों (Cluster Based Business Organizations-CBBOs) के माध्‍यम से गठित और प्रोत्‍साहित किया जाएगा।
    • CBBOs में फसल कृषि कर्म, कृषि विपणन/मूल्‍य संवर्द्धन एवं संसाधन, सामाजिक संग्रहण, विधि और लेखा एवं सूचना प्रौद्योगिकी/MIS जैसे क्षेत्रों से विशेषज्ञों की पाँच श्रेणियाँ होगी।
  • एकीकृत पोर्टल और सूचना प्रबंधन एवं निगरानी के माध्‍यम से समग्र परियोजना दिशा-निर्देश, डाटा-संग्रहण और रखरखाव जैसी सुविधा प्रदान करने के लिये SFAC के स्‍तर पर एक राष्‍ट्रीय परियोजना प्रबंधन एजेंसी (National Project Management Agency-NPMA) होगी।
  • प्रारंभ में मैदानी क्षेत्र में FPOs में सदस्‍यों की न्‍यूनतम संख्‍या 300 और पूर्वोत्‍तर एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 100 होगी। हालाँकि DAC&FW केंद्रीय कृषि मंत्री की स्‍वीकृति के साथ आवश्‍यकता और अनुभव के आधार पर न्‍यूनतम सदस्‍यों की संख्‍या में संशोधन कर सकता है।
  • देश में आकांक्षी ज़िलों के प्रत्‍येक ब्‍लॉक में कम-से-कम एक FPOs के साथ आकांक्षी ज़िलों में FPOs के गठन को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • FPOs द्वारा विशेष और बेहतर प्रसंस्‍करण, विपणन, ब्रांडिंग और निर्यात को प्रोत्‍साहन देने के लिये ‘एक ज़िला एक उत्‍पाद’ समूह के अंतर्गत FPOs को प्रोत्‍सा‍हन दिया जाएगा।
  • FPOs के इक्विटी आधार को मज़बूत करने के लिये इसमें इक्विटी अनुदान का भी प्रावधान होगा।
  • DAC&FW और नाबार्ड द्वारा समान योगदान के साथ नाबार्ड में 1,000 करोड़ रुपए तक का ऋण गारंटी कोष और DAC&FW तथा NCDC द्वारा समान योगदान के साथ NCDC में 500 करोड़ रुपए का ऋण गारंटी कोष होगा, ताकि FPOs को ऋण प्रदान करने के मामले में वित्‍तीय संस्‍थानों के जोखिम को न्‍यूनतम करते हुए FPOs को संस्‍थागत ऋण के निरंतर प्रवाह हेतु उपयुक्‍त ऋण गारंटी प्रदान की जा सके।
  • राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता प्रदान करने के लिये वैध श्रेणी के रूप में FPOs के लिये समान सुविधा केंद्र/कस्‍टम हायरिंग सेंटर सहित विपणन एवं संबद्ध बुनियादी ढाँचे द्वारा GrAMs में कृ‍षि विपणन और संबद्ध बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये नाबार्ड में गठन के लिये स्‍वीकृत कृषि-बाज़ार अवसंरचना कोष (Agri-Market Infrastructure Fund-AMIF) के अंतर्गत राज्‍य/संघ शासित प्रदेश निर्धारित ब्‍याज की रियायती दरों पर ऋण की प्राप्ति को स्‍वीकृति देंगे।
  • FPOs को पर्याप्‍त प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की जाएगी। CBBOs शुरूआती प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।

पृष्‍ठभूमि

किसानों की आय को दोगुना करने की नीति आयोग की रिपोर्ट में वर्ष 2022 तक 7,000 FPOs के गठन की सिफारिश और ‘किसानों की आय को दोगुना’ करने पर बल दिया गया है। केंद्रीय बजट 2019-20 में सरकार ने 10,000 नए FPOs के सृजन की घोषणा की थी ताकि आगामी पाँच वर्षों में किसानों के लिये अर्थव्‍यवस्‍था के व्‍यापक लाभ को सुनिश्चित किया जा सके। इसके लिये एक समर्पित सहायता और समग्र योजना के रूप में केंद्रीय क्षेत्र की योजना को FPOs के लक्षित विकास और इसकी दीर्घकालिकता के लिये प्रस्‍तावित किया गया है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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