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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

एफडीआई को आकर्षित करने हेतु एफआईपीबी को समाप्त करने का फैसला लिया गया है

  • 02 Feb 2017
  • 7 min read

पृष्ठभूमि

1 फरवरी, 2017 को जारी किये गए बजट 2017-18 में वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा कुछ उल्लेखनीय सुधारात्मक उपायों की घोषणा की गई है| इन सुधारों के अंतर्गत विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (Foreign Investment Promotion Board - FIPB) की समाप्ति, चुनावी प्रक्रिया के वित्त पोषण तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) के क्षेत्र में लगने वाले कर की दरों में एकाएक 5% तक की कमी की गई है| हालाँकि, इन सभी उपायों के अलावा बजट में अत्यधिक ऋणग्रस्त कंपनियों (Over-Indebted Companies) की दोहरे तुलन-पत्र (Twin Balance Sheet) की समस्या तथा दबाव वाली परिसंपत्तियों (Stressed Assets)  द्वारा बैंकिंग क्षेत्र को पंगु (hamstrung) बनाने संबंधी उपायों को अपनाने से परहेज़ भी किया गया है|

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि इस समय देश में तकरीबन 90% से भी अधिक के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्रस्ताव  (Foreign Direct Investment Proposals) स्वचालित मार्ग (Automatic Route) के माध्यम से आते हैं|
  • इन्ही आँकड़ों को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि एफडीआई के बढ़ते प्रवाह को नियमित एवं बाधामुक्त बनाने के लिये यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि अब विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाए|
  • ध्यातव्य है कि विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड एक ऐसा निकाय है जिसके माध्यम से 5,000 करोड़ रुपए तक के योजनागत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को मंज़ूरी प्रदान की जाती है|
  • यहाँ गौर करने लायक बात यह है कि सरकार द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये अन्य उपायों की घोषणा करने पर भी विचार किया जा रहा है| संभवतः इन उपायों के अंतर्गत श्रम कानूनों में सुधार करने तथा डिजिटल भुगतानों की ओर झुकाव को बढ़ाने पर विशेष बल दिये जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है| 
  • इस दिशा में कार्यवाही करते हुए भारत सरकार द्वारा अगले कुछ महीनों में ही विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड के उन्मूलन हेतु एक रोडमैप जारी किये जाने संबंधी घोषणा किये जाने की सम्भावना है|
  • ध्यातव्य है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड का गठन 1990 के आर्थिक उदारीकरण के दौरान किया गया था|
  • दरअसल, शुरुआत के कई वर्षों तक भारत सरकार द्वारा बिना किसी पूर्व अनुमोदन के ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को भारत में आने की अनुमति प्रदान की गई थी|

वर्तमान स्थिति

  • ध्यातव्य है कि वितीय वर्ष 2016-17 के अप्रैल–सितम्बर माह के दौरान देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में तकरीबन 30% (21.62 बिलियन डॉलर) की वृद्धि दर्ज़ की गई है|
  • रेटिंग एजेंसी मूडीज़ द्वारा बजट 2017-18 के संबंध में जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया इस वर्ष का बजट आर्थिक दृष्टि से न केवल एक विवेकपूर्ण बजट है, बल्कि यह एफडीआई के स्तर में वृद्धि करने हेतु उठाए गए कदमों को स्थिरता प्रदान करने के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास को भी आधार प्रदान करने का कार्य करेगा| 
  • ध्यातव्य है कि डिजिटल भुगतानों की ओर जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिये इस बजट में इलेक्ट्रोनिक लेन-देनों (Electronic Transactions) के लिये उपयोग की जाने वाली विभिन्न मशीनों पर शुल्क की समाप्ति, आधार आधारित भुगतान व्यवस्था (Aadhaar Pay) का आरम्भ करने, भुगतान अवसंरचना को मज़बूती प्रदान करने तथा अन्य उपायों के साथ-साथ भुगतान संबंधी शिकायतों के निपटान हेतु एक प्रभावकारी तंत्र की स्थापना करने का भी प्रस्ताव जारी किया गया है| 
  • उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा श्रम कानूनों को चार श्रेणियों- मज़दूरी, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा तथा कल्याण एवं सुरक्षा तथा काम करने की स्थिति के रूप में सरलीकृत किया जाएगा|
  • राज्य के स्वामित्व वाली उच्च गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की समस्या से जूझ रहे बैंकों को पूंजी समर्थन प्रदान करने की आशा के विपरीत, वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बैंकों की स्थिति में सुधार करने के लिये मौजूदा इंद्रधनुष योजना (Indradhanush plan) पर ही भरोसा व्यक्त किया गया है।
  • ध्यातव्य है कुछ समय पूर्व ही भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 के साथ-साथ वित्तीय वर्ष 2018-19 में भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 10,000 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी|
  • हालाँकि, बैंकों के पुनर्पूंजीकरण (Recapitalisation) के लिये आवंटित की जाने वाली इस 10,000 करोड़ रुपए की निरर्थक धनराशि (Piffling Amount) से यह स्पष्ट होता है कि सरकार अभी भी इस समस्या के केंद्र में नहीं पहुँच पाई है, क्योंकि बैंकों को इस समस्या से बाहर निकालने हेतु आवश्यक पूंजी की तुलना में यह एक बहुत ही तुच्छ आवंटन है|
  • हालाँकि, खराब ऋणों की समस्या से निपटने के लिये सरकार द्वारा एक नए कानून की स्थापना के संबंध में विचार किया जा रहा है ताकि ऋण न चुकाने वाले लोगों की सम्पत्ति को ज़ब्त किया जा सके|  
  • सरकार द्वारा परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (Asset Reconstruction Companies) द्वारा जारी की जाने वाली प्रतिभूति रसीदों की सूचियाँ तैयार करने तथा व्यापार करने संबंधी अनुमति प्रदान की जाएगी ताकि गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों की समस्या से निपटने में सहायता प्राप्त हो सके|
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