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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

फिनलैंडाइज़ेशन

  • 22 Mar 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फ़िनलैंडाइज़ेशन, फिनलैंड की स्थिति, YYA संधि, NATO, वारसॉ पैक्ट, मार्शल प्लान।

मेन्स के लिये:

द्विपक्षीय समूह और समझौते, फिनलैंडाइज़ेशन, YYA संधि, नाटो, वारसॉ संधि, मार्शल प्लान।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में फ्राँस के राष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त होने पर फिनलैंडाइज़ेशन (Finlandization) यूक्रेन के लिये एक वास्तविक परिणाम हो सकता है।

फिनलैंडाइज़ेशन:

  • यह मॉस्को (रूस) और पश्चिम के बीच सख्त तटस्थता की नीति को संदर्भित करता है जिसका पालन फिनलैंड ने शीत युद्ध के दशकों के दौरान किया था।
  • तटस्थता का सिद्धांत मित्रता, सहयोग और पारस्परिक सहायता के समझौते (या YYA संधि फिनिश में “Ystävyys-, yhteistyö-ja avunantosopimus”) में निहित था, जिसे फिनलैंड ने अप्रैल 1948 में USSR के साथ हस्ताक्षरित किया था।
  • संधि के अनुच्छेद 1 में लिखा है: “फिनलैंड या फिनिश क्षेत्र के माध्यम से सोवियत संघ, जर्मनी या किसी भी राज्य द्वारा सशस्त्र हमले का लक्ष्य बनना (अर्थात् अनिवार्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका) , फिनलैंड, एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अपने दायित्वों के लिये हमले को रोकने के लिये संघर्ष करेगा।
  • फिनलैंड ऐसे मामले में अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिये अपने सभी उपलब्ध बलों (थल सेना, नौसेना और वायु सेना ) का उपयोग करेगा और फिनलैंड की सीमाओं के भीतर वर्तमान समझौते में परिभाषित दायित्वों के अनुसार सोवियत संघ की सहायता से ऐसा करेगा। 
    • ऐसे मामलों में सोवियत संघ अनुबंध करने वाले पक्षों के बीच आपसी समझौते के अधीन फिनलैंड को वह सहायता प्रदान करेगा जिसकी उसे आवश्यकता है।

Finlandization

रूस के साथ युद्ध समाप्त होने के बाद फिनलैंड का रुख: 

  • जब फिनलैंड ने सोवियत रूस के बाद एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किये तो वर्ष 1948 की संधि ने वर्ष 1992 तक फिनलैंड-रूस संबंधों का आधार निर्मित किया।
  • यह विशेष रूप से वर्ष 1946 से वर्ष 1982 तक फिनलैंड की विदेश नीति के सिद्धांत के केंद्र में था तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन में इसे "पासिकीवी-केकोनेन लाइन" (Paasikivi-Kekkonen Line) के रूप में जाना जाता है।
  • फिनलैंड के दृष्टिकोण से, जिसकी राजधानी हेलसिंकी है तथा फिनलैंड की खाड़ी में स्थित है। संधि ने इसे बाल्टिक और पूर्वी यूरोपीय राज्यों के हमले से या यूएसएसआर में शामिल होने से बचाया।
  • इसने देश को महान शक्तियों के बीच होने वाले संघर्ष से बाहर रखते हुए लोकतंत्र और पूंजीवाद के मार्ग पर चलने की अनुमति दी।
  • फिनलैंड ने मार्शल प्लान में भाग नहीं लिया। इसने उन मामलों पर तटस्थ रुख अपनाया जिन पर सोवियत संघ और पश्चिम असहमत थे। यह उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) तथा यूरोपीय सैन्य शक्तियों से अलग रहा एवं सोवियत ब्लॉक या वारसा संधि का हिस्सा बनने के लिये मास्को के दबाव को दूर करने हेतु इस स्थिति का इस्तेमाल किया।
    • मार्शल प्लान एक यू.एस.प्रायोजित कार्यक्रम था जिसे 17 पश्चिमी और दक्षिणी यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्वास के लिये डिज़ाइन किया गया था ताकि स्थिर परिस्थितियों का निर्माण किया जा सके जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लोकतांत्रिक संस्थान जीवित रह सकें।

आगे की राह

  • यूक्रेन को यूरोप सहित अपने आर्थिक और राजनीतिक संघों को स्वतंत्र रूप से चुनने का अधिकार होना चाहिये।
  • यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं होना चाहिये। इसे अपने लोगों की व्यक्त इच्छा के अनुरूप सरकार बनाने के लिये स्वतंत्र होना चाहिये।
  • यह राष्ट्र अधिकांश क्षेत्रों में पश्चिम के साथ सहयोग करता है लेकिन रूस के प्रति शत्रुता से सावधानी से बचता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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