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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कुवैत में एक्सपैट (प्रवासी) कोटा बिल को मंज़ूरी

  • 09 Jul 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

कुवैत का एक्सपैट कोटा बिल, खाड़ी सहयोग परिषद

मेन्स के लिये:

कुवैत का एक्सपैट कोटा बिल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, कुवैत की नेशनल असेंबली की 'कानूनी और विधायी समिति' ने ड्राफ्ट एक्सपैट (प्रवासी) कोटा बिल को मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • ड्राफ्ट एक्सपैट (प्रवासी) कोटा बिल कुवैत में प्रवासियों की संख्या को सीमित करने से संबधित है।
  • ड्राफ्ट एक्सपैट कोटा बिल एक संवैधानिक बिल है अत: इसे संबंधित समिति को स्थानांतरित किया जाएगा ताकि आगे एक व्यापक योजना बनाई जाए। 

एक्सपैट बिल के प्रमुख प्रावधान: 

  • बिल के अनुसार, भारतीयों की कुवैत में आबादी 15% से अधिक नहीं होनी चाहिये। 
  • मसौदा कानून के तहत प्रवासियों की संख्या पर एक सीमा आरोपित की जाएगी तथा प्रवसियों की संख्या में प्रतिवर्ष लगभग 5% की कमी की जाएगी।
  • कुवैत के प्रधानमंत्री सहित कानूनविद् और सरकारी अधिकारी कुवैत की आबादी को 70% से 30% तक कम करना चाहते हैं। 

निर्णय के कारण:

प्रवासी विरोधी आकांक्षा: 

  • COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से कुवैत में प्रवासी विरोधी आकांक्षाओं में वृद्धि हुई है।
  • कुवैत में अधिकतर COVID-19 संक्रमण के मामले विदेशी प्रवासियों में देखने को मिले हैं क्योंकि ये प्रवासी श्रमिक भीड़-भाड़ वाले आवास में निवास करते हैं, जिससे उनके मध्य वायरस संक्रमण आसानी से प्रसारित होता है।

खुद के देश में अल्पसंख्यक:

  • कुवैत, विदेशी श्रमिकों पर अपनी निर्भरता को कम करने की दिशा में कार्य कर रहा है। कुवैती नागरिक अपने ही देश में अल्पसंख्यक के रूप में हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि कुवैत की 4.3 मिलियन की कुल आबादी में से 3 मिलियन बाहरी नागरिक हैं।

अन्य देशों का प्रभाव:

  • वर्तमान में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन सहित अनेक देश संरक्षणवादी नीतियों को अपना रहे हैं। 
  • यह कदम संयुक्त राज्य अमेरिका के उस निर्णय के समान है, जिसके तहत अप्रवासी और गैर-अप्रवासी श्रमिकों के वीज़ा पर 60-दिवसीय प्रतिबंध का विस्तार किया गया है। 

जनसंख्या संरचना पर दबाव:

  • बड़ी संख्या में प्रवासियों के कारण कुवैत को अपनी जनसंख्या संरचना में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लगभग एक तिहाई प्रवासी या तो अनपढ़ हैं या बहुत कम पढे-लिखे हैं। उनका कुवैत के विकास में नगण्य योगदान है अत: उनकी कुवैत को और अधिक आवश्यकता नहीं है।

कुवैत की जनसांख्यिकी में भारतीय:

  • कुवैत में भारतीय प्रवासी समुदाय की जनसंखया 1.45 मिलियन है। यह कुवैत का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। 
  • लगभग 28,000 भारतीय विभिन्न सरकारी नौकरियों जैसे नर्स, राष्ट्रीय तेल कंपनियों में इंजीनियर और वैज्ञानिक के रूप में में कार्य करते हैं।
  • अधिकांश भारतीय (लगभग 5 लाख) निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं।
  • कुल भारतीय प्रवासियों में लगभग 1.16 लाख लोग आश्रित हैं, जिनमें लगभग 60,000 छात्र भी शामिल हैं।

भारतीयों का योगदान:

  • भारत-कुवैत द्विपक्षीय संबंधों के निर्धारण में भारतीय समुदाय हमेशा से ही एक महत्त्वपूर्ण कारक रहा है।
  • वर्तमान में कुवैत के लगभग सभी सामाजिक क्षेत्रों में भारतीय अपना योगदान दे रहे हैं।
  • कुवैत में भारतीय समुदाय को काफी हद तक अनुशासित, मेहनती और कानूनी का पालन  करने वाले नागरिकों के रूप में देखा जाता है।

भारत के लिये योगदान:

  • कुवैत भारत के लिये प्रेषण (Remittance) का एक शीर्ष स्रोत है। वर्ष 2018 में भारत ने कुवैत से प्रेषण के रूप में लगभग 4.8 बिलियन अमरीकी डॉलर प्राप्त किये।

भारत पर निर्णय के संभावित प्रभाव:

  • बिल के अनुसार, भारतीयों की कुवैत में आबादी 15% से अधिक नहीं होनी चाहिये।अगर कानून को लागू किया जाता है, तो इससे 8 लाख से अधिक भारतीयों को कुवैत से वापस भारत आना पड़ सकता है।
  • खाड़ी देशों में सबसे ज़्यादा भारतीय कामगार काम करते हैं। इन देशों में यह संख्या लगभग 90 लाख है। अन्य देश भी कुवैत से प्रेरित होकर ऐसे ही कदम उठा सकते हैं।
  • भविष्य में खाड़ी देशों तथा भारत के मध्य प्रवासियों को लेकर व्यापक टकराव देखने को मिल सकता है, इससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
  • केरल जैसे राज्यों को विपरीत-प्रवास तथा COVID-19 महामारी जैसी दोहरी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 

आगे की राह:

  • भारत को खाड़ी देशों के साथ सहयोग के नए क्षेत्रों यथा स्वास्थ्य सेवा, दवा अनुसंधान और उत्पादन, पेट्रोकेमिकल, कम विकसित देशों में कृषि, शिक्षा और कौशल में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • खाड़ी देश वर्तमान में अर्थव्यवस्था में बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। वे वर्तमान में पेट्रोलियन उत्पादन के अलावा अन्य क्षेत्रों की और अर्थव्यवस्था को दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे में भारत यहाँ विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाकर प्रमुख भूमिका निभा सकता है। 

 निष्कर्ष:

  • भारतीय दूतावास प्रस्तावित कानून से जुड़े घटनाक्रमों का बारीकी से अनुसरण कर रहा है। हालाँकि अभी तक भारत द्वारा इस मुद्दे कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। 

‘फारस की खाड़ी क्षेत्र’ (Persian Gulf Region):

  • आठ देशों बहरीन, ईरान, इराक, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा फारस की खाड़ी के आसपास की भूमि साझा की जाती हैं।

खाड़ी सहयोग परिषद’ (Gulf Cooperation Council- GCC):

  • UAE, बहरीन, सऊदी अरब, ओमान, कतर, कुवैत GCC के सदस्य हैं।

 'पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन' (Organization of the Petroleum Exporting Countries- OPEC):

  • फारस की खाड़ी के देशों में से ईरान, इराक, कुवैत, UAE और सऊदी अरब 'पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन' (OPEC) के सदस्य हैं।

Kuwait

स्रोत: द हिंदू

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