लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

विदेशज़ पशु

  • 20 Apr 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह उन विदेशी पशुओं को संरक्षण के लिये नियमों का निर्माण करे जो वर्तमान में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के दायरे में नहीं आते हैं।

  • अदालत का यह आदेश जीव अधिकार समूह, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा उत्तर प्रदेश के एशियाड सर्कस से बचाए गए एक नर दरियाई घोड़े (hippopotamus) की स्थिति के बारे में दायर याचिका के जवाब में आया।
  • इससे पूर्व जून 2020 में ‘ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ (MoEFCC) ने विदेशज़ जानवरों के आयात को विनियमित करने के संबंध में एक एडवाइज़री जारी की है।

प्रमुख बिंदु:

विदेशज़ जीव 

  • विदेशज़ शब्द की कोई निर्धारित परिभाषा नहीं है, लेकिन आमतौर पर यह एक ऐसा पालतू जानवर है जिसे रखना अपेक्षाकृत दुर्लभ या असामान्य है, या आमतौर पर एक ऐसा पालतू जानवर (बिल्ली और कुत्ता) जिसे एक जंगली प्रजाति के रूप में  रखा जा सकता है
  • ये प्रजातियाँ सामान्यत: उनकी प्राकृतिक भौगोलिक सीमा के बाहर के क्षेत्रों में पाई जाती हैं जिसका स्थानांतरण मानव द्वारा किसी अन्य क्षेत्र में किया जाता है ।

पशुओं  के अवैध व्यापार से संबंधित प्रावधान:

  • सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 111 के अंतर्गत वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन (CITES) और भारत की विदेश व्यापार नीति (आयात-निर्यात नीति) के साथ मिलकर अवैध पशुओं को संरक्षित किया जा रहा है।
    • CITES (वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन) सरकारों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जंगली जानवरों और पौधों की प्रजातियों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उनके अस्तित्व के लिये खतरा नहीं है। यह समझौता 1 जुलाई, 1975 से लागू है लेकिन भारत इस समझौते के लागू होने के लगभग एक साल बाद 18 अक्तूबर, 1976 को इसमें शामिल हुआ और इस समझौते में शामिल होने वाला 25वाँ सदस्य बना।
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 48 और 49 जंगली जानवरों के  मांस, खाल या अन्य अंगों के व्यापार या वाणिज्य पर रोक लगाती हैं।

दरियाई घोड़ा (Hippopotamus)

Hippopotamus

परिचय:

  • हिप्पोपोटामस, जिसे हिप्पो या  "वाटर हॉर्स" यानी "जल का घोड़ा" भी कहा जाता है, एक उभयचर अफ्रीकी स्तनधारी प्राणी है।
  • इसे दूसरा सबसे बड़ा स्थलीय पशु (हाथी के बाद) माना जाता है ।
  • हिप्पो की शारीरिक बनावट जलीय जीवन के लिये अनुकूल है। इसके कान, आँख और नासिका जल के ऊपर दिखाई देते जबकि शरीर के बाकी हिस्से जल में डूबे रहते है । 
  • हिप्पोपोटामस 18वीं शताब्दी में उत्तरी अफ्रीका में और 19वीं  शताब्दी में दक्षिण अफ्रीका के नटाल और ट्रांसवाल प्रांत से विलुप्त हो चुके थे। पूर्वी अफ्रीका में अभी भी वे सामान्य रूप से पाए जाते हैं, लेकिन उनकी आबादी में लगातार कमी जारी है

वैज्ञानिक नाम: 

  • हिप्पोपोटामस एम्फीबियस(Hippopotamus amphibius)

खतरा:

  • मानव-वन्यजीव संघर्ष और आवासीय अतिक्रमण।
  • उनके अक्सर संरक्षण की आड़ में  मांस, वसा और दांतों के लिये मारा जाता है। 

संरक्षण की स्थिति:

स्रोत- डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2