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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में लोकप्रिय हो रहा ईएसजी फंड्स

  • 29 Sep 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये 

ईएसजी फंड, यूनाइटेड नेशंस प्रिंसिपल फॉर रिस्पॉन्सिबल इन्वेस्टमेंट 

मेन्स के लिये 

भारत में ईएसजी फंड्स का बढ़ता दायरा

चर्चा में क्यों?

भारत के म्यूचुअल फंड उद्योग में ‘ईएसजी फंड’ (ESG Funds) तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे हैं। हाल ही में ‘आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड’ (ICICI Prudential Mutual Fund) ने अपने ईएसजी फंड की शुरुआत की है।

प्रमुख बिंदु:

  • पहला ईएसजी म्यूचुअल फंड ‘भारतीय स्टेट बैंक’ द्वारा लॉन्च किया गया था। जिसे ‘एसबीआई मैग्नम इक्विटी ईएसजी फंड’ (SBI Magnum Equity ESG Fund) के नाम से जाना जाता है।

ईएसजी फंड (ESG Funds):

  • ईएसजी (ESG) तीन शब्दों अर्थात् पर्यावरण (Environment), सामाजिक (Social) और शासन (Governance) का संयोजन है।
  • यह एक तरह का म्यूचुअल फंड है। इसमें निवेश स्थायी रूप से सतत् निवेश (Sustainable Investing) या सामाजिक रूप से उत्तरदायी निवेश (Socially Responsible Investing) के साथ किया जाता है।
  • आमतौर पर म्युचुअल फंड किसी कंपनी के अच्छे स्टॉक को दर्शाता है जिसमें कमाई, प्रबंधन गुणवत्ता, नकदी प्रवाह, व्यवसाय संचालन, प्रतिस्पर्द्धा आदि की क्षमता होती है।
  • हालाँकि निवेश के लिये एक स्टॉक का चयन करते समय सबसे पहले ‘ESG फंड शॉर्टलिस्ट कंपनियों’ के पर्यावरण, सामाजिक ज़िम्मेदारी एवं कॉर्पोरेट प्रशासन पर उच्च स्कोर को देखा जाता है, इसके बाद वित्तीय कारकों पर गौर किया जाता है।
    • इसलिये ‘ईएसजी फंड’ एवं अन्य फंडों के बीच महत्त्वपूर्ण अंतर 'निवेशक के विवेक' पर आधारित होता है अर्थात् ईएसजी फंड पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं, नैतिक व्यापार प्रथाओं एवं एक कर्मचारी-अनुकूल रिकॉर्ड वाली कंपनियों पर केंद्रित होता है।
  • इस फंड को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा विनियमित किया जाता है।

लोकप्रियता का कारण:

  • आधुनिक निवेशक पारंपरिक दृष्टिकोणों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं और पारंपरिक निवेश से पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों का भी मूल्यांकन कर रहे हैं। इस प्रकार निवेशकों ने अपनी निवेश प्रथाओं में ईएसजी कारकों को शामिल करना शुरू कर दिया है।
  • यूनाइटेड नेशंस प्रिंसिपल फॉर रिस्पॉन्सिबल इन्वेस्टमेंट’ (United Nations Principles for Responsible Investment- UN-PRI) नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन निवेश निर्णय लेने में पर्यावरणीय, सामाजिक एवं कॉर्पोरेट प्रशासन कारकों के समावेश को बढ़ावा देने के लिये कार्य करता है।

प्रभाव: 

  • जैसे-जैसे भारत में ‘ईएसजी फंड्स’ को गति मिलेगी वैसे-वैसे कंपनियों को बेहतर प्रशासन, नैतिक प्रथाओं, पर्यावरण के अनुकूल उपायों एवं सामाजिक ज़िम्मेदारी का पालन करने के लिये भी मज़बूर होना पड़ेगा।
  • जो कंपनियाँ ‘सतत् व्यवसाय मॉडल’ का पालन नहीं करती हैं उन्हें इक्विटी एवं ऋण दोनों जुटाने में मुश्किल होगी।
  • वैश्विक स्तर पर पेंशन फंड, सॉवरेन वेल्थ फंड आदि में निवेश करने वाले निवेशक उन कंपनियों में निवेश नहीं करते हैं जिन्हें प्रदूषणकारी के रूप में देखा जाता है और जो सामाजिक ज़िम्मेदारी का पालन नहीं करती हैं जैसे- तंबाकू कंपनियाँ।
    • प्रति वर्ष वैश्विक तंबाकू उद्योग को 35 बिलियन अमेरिकी डालर का लाभ होता है। हालाँकि तंबाकू की वजह से प्रतिवर्ष लगभग 6 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है। अतः निवेशक ऐसी वास्तविकताओं के प्रति संवेदनशील हो रहे हैं।

आगे की राह:

  • ईएसजी अनुपालक कंपनियों (ESG Compliant Companies) का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि ये तब और अधिक सुरक्षित हो जाएंगी जब नियामक और भी कठोर नियमों को लागू करेंगे।
  • ईएसजी अनुपालक कंपनियों के लिये महत्त्वपूर्ण बाज़ार हिस्सेदारी हासिल करने की ज़रूरत उनके गैर-अनुपालन प्रतियोगियों की तुलना में अधिक होगी। 
  • ESG अनुपालन होने के कारण कंपनी की विश्वसनीयता एवं प्रतिष्ठा कई गुना बढ़ जाती है और निवेशकों को उनकी स्थिरता के कारण आकर्षित करना सुनिश्चित हो जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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