लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम के तहत ईपीआर

  • 29 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016

मेन्स के लिये:

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम के तहत ईपीआर

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal-NGT) से कहा है कि ई-कॉमर्स कंपनी (अमेज़न और फ्लिपकार्ट) को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत अपनी विस्तारित निर्माता ज़िम्मेदारी (Extended Producer Responsibility-EPR) को पूरा करने की आवश्यकता है।

  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, प्रयोग किये गए बहु-स्तरीय प्लास्टिक पाउच और पैकेजिंग प्लास्टिक के संग्रहण की प्राथमिक ज़िम्मेदारी उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों की है जो बाज़ार में उत्पादों को पेश करते हैं।
    • उन्हें अपने उत्पादों की पैकेजिंग में प्रयोग किये प्लास्टिक कचरे को वापस इकट्ठा करने के लिये एक प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है।

विस्तारित निर्माता ज़िम्मेदारी

(Extended Producer Responsibility-EPR):

  • यह एक नीतिगत दृष्टिकोण है जिसके तहत उत्पादकों को उपभोक्ता द्वारा प्रयोग किये गए उत्पादों के उपचार या निपटान के लिये एक महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारी (वित्तीय/भौतिक) दी जाती है।
  • सैद्धांतिक तौर पर इस तरह की ज़िम्मेदारी सौंपने से उत्पादन स्रोत से कचरे को रोकने, पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देने और सार्वजनिक पुनर्चक्रण एवं सामग्री प्रबंधन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम

(Plastic Waste Management Rules)

  • इन नियमों को वर्ष 2016 में तैयार किया गया था, जिनमें उत्पादों से उत्पन्न कचरे को अपने उत्पादकों (यानी विनिर्माताओं या प्लास्टिक थैलों के आयातकों, बहु स्तरीय पैकेजिंग या इस तरह की अन्य पैकेजिंग करने वाले उत्पादक) और ब्रांड मालिकों को एकत्र करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी।
    • उन्हें निर्धारित समय सीमा के भीतर प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिये योजना/प्रणाली के निर्माण हेतु स्थानीय निकायों से संपर्क करना होगा।
  • इन नियमों का विस्तार गाँवों में भी किया गया है। पहले ये नियम नगरपालिकाओं तक ही सीमित थे।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को थर्मोसेट प्लास्टिक (इस प्लास्टिक का पुनर्चक्रण करना मुश्किल होता है) के लिये दिशा-निर्देश तैयार करने को कहा गया है।
    • इससे पहले थर्मोसेट प्लास्टिक के लिये कोई विशेष प्रावधान नहीं था।
    • गैर-पुनर्नवीनीकरण बहु स्तरीय प्लास्टिक का विनिर्माण और उपयोग करने वालों को दो वर्षों में अर्थात् वर्ष 2018 तक सूचीबद्ध किया जाना था।

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में संशोधन:

  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत नियमों में वर्ष 2018 में संशोधन किया गया था जिसमें बहु स्तरीय प्लास्टिक के अलावा अन्य प्लास्टिक के प्रकारों पर चरणबद्ध तरीके से जोर देना है जो गैर पुनर्चक्रण या गैर-ऊर्जा प्राप्ति योग्य या बिना वैकल्पिक उपयोग के साथ हैं।
    • संशोधित नियमों में निर्माता/आयातक/ब्रांड के मालिक के पंजीकरण के लिये एक केंद्रीय पंजीकरण प्रणाली का भी प्रावधान है।
    • संशोधित नियमों में यह बताया गया है कि पंजीकरण स्वचालित होना चाहिये और उत्पादकों, रिसाइकलर्स और निर्माताओं के लिये व्यापार में सुविधा को ध्यान में रखना चाहिये।
    • जबकि दो से अधिक राज्यों में उपस्थिति वाले उत्पादकों के लिये एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री निर्धारित की गई है और एक या दो राज्यों के भीतर काम करने वाले छोटे उत्पादकों/ ब्रांड मालिकों के लिये एक राज्य-स्तरीय पंजीकरण निर्धारित किया गया है।

आगे की राह

  • भारत में प्लास्टिक पैकेजिंग से उत्पन्न कुल प्लास्टिक कचरा 40% से अधिक है और यह महत्त्वपूर्ण है कि ई-खुदरा विक्रेताओं को दिशा निर्देश जारी किये जाएँ कि वे प्लास्टिक पैकेजिंग सामग्री का उपयोग करना बंद करें और पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग सामग्री के विकल्प को अपनाएँ।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2