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प्रतिमान और डेटा समावेशन सुनिश्चित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

  • 25 Feb 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

समष्टि विधियों द्वारा प्रतिमान और डेटा समावेशन सुनिश्चित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

मेन्स के लिये:

भारत में मौसमी डेटा समावेशन संबंधी समस्याएँ

चर्चा में क्यों?

24 फरवरी, 2020 से नोएडा में तीन दिवसीय ‘समष्टि विधियों द्वारा प्रतिमान और डेटा समावेशन सुनिश्चित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ [Ensemble Methods in Modelling and Data Assimilation (EMMDA)] का आयोजन किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • इस सम्मेलन का आयोजन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) के अंतर्गत स्थापित ‘राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र’ [National Centre for Medium Range Weather Forecasting (NCMRWF)] द्वारा किया जा रहा है।
  • इस सम्मेलन का उद्देश्य मौसम पूर्वानुमान की वर्तमान स्थिति, भविष्य की संभावनाओं और साथ ही ‘एसेंबल प्रेडिक्शन सिस्टम (Ensemble Prediction System-EPS) के इष्टतम उपयोग पर ठोस चर्चा और विचार-विमर्श करना है।

‘एसेंबल प्रेडिक्शन सिस्टम’

(Ensemble Prediction System-EPS):

  • एसेंबल प्रेडिक्शन सिस्टम मौसम की भविष्यवाणी करने की एक संख्यात्मक प्रणाली है जो मौसम के पूर्वानुमान के साथ-साथ संभावित परिणाम में अनिश्चितता का अनुमान लगाने में सहायता करती है। संख्यात्मक प्रणाली के अंतर्गत मौसम की भविष्यवाणी केवल एक नियतकालिक पूर्वानुमान के स्थान पर अलग-अलग प्रारंभिक स्थितियों के आधार पर की जाती है।
  • भारत द्वारा हाल ही में दो वैश्विक EPS को प्रचलन में लाया गया है जिसका विश्व में उच्चतम रेज़ोल्‍यूशन है।

सम्मेलन के प्रमुख विषय:

(The Major themes of the Conference):

  • मौसम की वैश्विक भविष्‍यवाणी के लिये एक सामूहिक प्रणाली विकसित करना।
  • डेटा समावेशन के लिये एक सामूहिक प्रणाली विकसित करना।
  • मासिक और मौसमी पूर्वानुमान हेतु एक सामूहिक प्रभाव प्रणाली विकसित करना।
  • संवहन प्रभाव संबंधी पूर्वानुमान के लिये सामूहिक प्रणाली विकसित करना।
  • मौसम के पूर्वानुमान के सामूहिक प्रभाव का सत्यापन करना।
  • मौसम के पूर्वानुमान के सामूहिक प्रभाव के अनुप्रयोगों पर चर्चा करना।

सम्मेलन से संबंधित अन्य बिंदु:

  • इस सम्मेलन में विभिन्न देशों की निम्नलिखित संस्थाएँ तथा विशेषज्ञ भाग लेंगे-
    • ब्रिटेन के मौसम कार्यालय के विशेषज्ञ
    • अमेरिका का नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन
    • दक्षिण कोरिया का मौसम विभाग
    • ऑस्ट्रेलिया का मौसम विभाग
    • अमेरिका का मेरीलैंड विश्वविद्यालय
    • ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी
    • न्यूजीलैंड का मौसम विभाग
    • सउदी अरब का मौसम विभाग
    • थाइलैंड के मौसम विभाग के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ
  • उपर्युक्त प्रमुख संगठनों के जाने-माने विशेषज्ञ भारतीय वैज्ञानिकों के साथ डेटा के सामूहिक समावेशन और प्रतिमान के क्षेत्र में तथा नवीनतम घटनाक्रमों के संबंध में चर्चा करेंगे।
  • लगभग 20 युवा वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्त्ता अपने अनुसंधान के निष्कर्षों को प्रस्तुत करेंगे।
  • इनके अलावा सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रों के साझेदार, भविष्यवक्ताओं सहित करीब 100 प्रतिनिधि शामिल होंगे।

राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र:

(National Centre for Medium Range Weather Forecasting- NCMRWF):

  • राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत मौसम और जलवायु मॉडलिंग में उत्कृष्टता का केंद्र है।
  • इस केंद्र का उद्देश्य उन्नत संख्यासूचक मौसम भविष्यवाणी प्रणालियों को लगातार विकसित करना है जिसका कार्य भारत और पड़ोसी क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास करना है। साथ ही नए अनुप्रयोगों के माध्यम से ज्ञान और कौशल के उच्चतम स्तर को बनाए रखते हुए मौसम पूर्वानुमान में विश्वसनीयता और सटीकता बढ़ाना है।

आगे की राह:

हालाँकि अत्‍याधुनिक संख्यासूचक पूर्वानुमान प्रणालियों (Numerical Weather Prediction) को लागू करके और डेटा समावेशन की नवीनतम तकनीक को अपना कर पूर्वानुमान प्राप्त करने की दिशा में बेहतर कौशल हासिल कर लिया गया है, लेकिन यह सर्वविदित है कि मौसम की संख्यासूचक भविष्यवाणी से जुड़ी कुछ अनिश्चितताओं का हल खोजा जाना अभी भी ज़रूरी है।

स्रोत- पीआईबी

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