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जैव विविधता और पर्यावरण

शून्य मसौदा: वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क

  • 25 Feb 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

COP-13, आईची लक्ष्य , एजेंडा 2030

मेन्स के लिये:

वर्ष 2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क का शून्य मसौदा (Zero Draft)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क (वर्ष 2020 के बाद के लिये) के शून्य मसौदे (Zero Draft) में विश्व की जैव विविधता की गिरती स्थिति और इसे संरक्षित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।

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मुख्य बिंदु:

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के तहत वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण (Conservation of Migratory Species of Wild Animals- CMS) पर 13वें COP (Conference of Parties) में इस मसौदे पर चर्चा हुई।
  • 6 मई, 2019 को पेरिस में जैव विविधता पर जारी रिपोर्ट ‘जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति मंच (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services)’ का पालन करते हुए जनवरी 2020 को शून्य मसौदा को जारी किया गया।
  • शून्य मसौदे के अनुसार-
    ‘जैव विविधता वाले क्षेत्रों तथा पारिस्थितिकी तंत्र में मानव जनित गतिविधियों के कारण अतीत एवं वर्तमान में तेज़ी से गिरावट का मतलब है कि अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक एवं पर्यावरणीय लक्ष्य जैसे- आइची जैव विविधता लक्ष्य (Aichi Biodiversity Targets) और सतत् विकास के लिये एजेंडा 2030 (2030 Agenda for Sustainable Development) इस आधार पर हासिल नहीं किये जा सकेंगे।’

नया फ्रेमवर्क:

  • नया फ्रेमवर्क ‘परिवर्तन के सिद्धांत’ पर आधारित होगा। इस फ्रेमवर्क में वर्तमान वैश्विक रुझानों और भविष्य के परिदृश्यों को भी समाहित किया गया है। इसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल होंगे-
    • संसाधन जुटाना।
    • वंचित समूहों को मुख्य धारा में लाना।
    • डिजिटल अनुक्रम से संबंधित जानकारी प्राप्त करना।
    • सतत् उपयोगी क्षमता-निर्माण।
    • राष्ट्रीय स्तर पर योजना तैयार करना।
    • रिपोर्टिंग की प्रक्रिया को बढ़ावा देना।
    • ज़िम्मेदारी एवं पारदर्शिता से जुड़े मुद्दों पर ध्यानाकर्षण।
    • लक्ष्यों की प्रगति का आकलन करने के लिये संकेतकों का प्रयोग।
  • इसे एक अधिकार-आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करके और ‘अंतर-पीढ़ी इक्विटी के सिद्धांत’ को मान्यता देते हुए लागू किया जाएगा। जबकि फ्रेमवर्क के विवरण को इस वर्ष के अंत तक अंतिम रूप दिया जाएगा, इसे वर्ष 2020-30 के बीच लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।

उद्देश्य:

  • इस कार्रवाई का उद्देश्य विज़न 2050 के तहत जैव विविधता के संरक्षण के साथ-साथ प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना है।
  • इस फ्रेमवर्क के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सरकारों एवं समाज के सभी देशज़ लोगों और स्थानीय समुदायों, नागरिक समाज तथा औद्योगिक समूहों के साथ मिलकर तत्काल एवं परिवर्तनकारी कार्रवाई को बढ़ावा देना है।

परिवर्तन का सिद्धांत (Theory of Change):

  • इस फ्रेमवर्क में परिवर्तन के सिद्धांत के तहत सामाजिक, आर्थिक एवं वित्तीय मॉडल को बदलने के लिये वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल नीतिगत कार्रवाई की आवश्यकता बताई गई है ताकि अगले 10 वर्षों (वर्ष 2030 तक) में जैव विविधता के नुकसान को कम करने वाली प्रवृत्तियों में स्थिरता लाई जा सके और अगले 20 वर्षों तक (वर्ष 2050 तक) प्रमुख सुधारों के साथ प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों में सुधार करके वर्ष 2050 तक प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
  • परिवर्तन का सिद्धांत सतत् विकास के लिये एजेंडा 2030 का पूरक एवं सहायक है। यह जैव विविधता से संबंधित तथा रियो सम्मेलनों सहित अन्य बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों की दीर्घकालिक रणनीतियों और लक्ष्यों को भी ध्यान में रखता है।
  • असमान व्यापार परिदृश्यों के कारण जैव विविधता में गिरावट जारी रहने या बिगड़ने का अनुमान लगाया गया है।
  • शून्य मसौदे के अनुसार, यह फ्रेमवर्क जैव विविधता के साथ समाजिक संबंधों में परिवर्तन लाने के लिये व्यापक कार्रवाई को लागू करने हेतु एक महत्त्वाकांक्षी योजना तैयार करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वर्ष 2050 तक प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाने का साझा विज़न पूरा हो।
  • जैव विविधता लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये लोगों की भागीदारी को लेकर मसौदे में बताया गया है कि फ्रेमवर्क के लिये परिवर्तन का सिद्धांत लैंगिक समानता, महिला सशक्तीकरण, युवा, लैंगिक उत्तरदायी दृष्टिकोण की उचित पहचान की आवश्यकता को स्वीकार करता है और इस फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन में स्वदेशी लोगों एवं स्थानीय समुदायों की पूर्ण व प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करता है।
  • इस फ्रेमवर्क में जैव विविधता के लिये 2050 विज़न से संबंधित वर्ष 2050 हेतु पाँच दीर्घकालिक लक्ष्य हैं। इन लक्ष्यों में से प्रत्येक लक्ष्य वर्ष 2030 के परिणाम से संबद्ध है। ये पाँच दीर्घकालिक लक्ष्य निम्नलिखित हैं-
    • अनुवांशिक विविधता, पारिस्थिकी तंत्र और प्रजातियों का संरक्षण।
    • संसाधनों का सतत् उपयोग।
    • लाभांश का सामान वितरण।
    • स्वस्थ्य एवं सुदृढ पारिस्थिकी तंत्र तथा स्वस्थ्य प्रजातियाँ।
    • मनुष्य की जरूरत को पूरा करना।
  • यह फ्रेमवर्क सतत् विकास के लिये एजेंडा 2030 के कार्यान्वयन में योगदान देगा। साथ ही सतत् विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति से फ्रेमवर्क को लागू करने में मदद मिलेगी।

आईची जैव विविधता लक्ष्य:

  • वर्ष 2010 में नगोया, जापान के आईची प्रांत में आयोजित जैव विविधता अभिसमय (सीबीडी) के 10वें सम्मेलन में जैव विविधता की अद्यतन रणनीतिक योजना जिसे आईची लक्ष्य नाम दिया गया, को स्वीकार किया गया।
  • जैव विविधता अभिसमय के एक भाग के रूप में लघु अवधि की रणनीतिक योजना-2020 के तहत 2011-2020 के लिये जैव विविधता पर एक व्यापक रूपरेखा तैयार की गई। इसके अंतर्गत सभी पक्षकारों को जैव विविधता के लिये कार्य करने हेतु एक 10 वर्षीय ढाँचा उपलब्ध कराया गया है।
  • यह लघुवधि की योजना 20 महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों, जिसे सम्मिलित रूप से आईची लक्ष्य (Aichi Targets) कहते हैं, का एक समूह है।
  • भारत ने 20 वैश्विक आईची जैव विविधता लक्ष्यों के अनुरूप 12 राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य (NBT) विकसित किये है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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