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जैव विविधता और पर्यावरण

ई-कचरा प्रबंधन

  • 22 Jan 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

इलेक्ट्रॉनिक कचरा प्रबंधन नियमों के अनुपालन में भारी गिरावट का हवाला देते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने हाल ही में आदेश दिया है कि नियमों के अनुरूप ई-कचरे का वैज्ञानिक तरीके निपटान सुनिश्चित किया जाना चाहिये।

  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा ये दिशा-निर्देश केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को जारी किये गए हैं।

ई-कचरा

  • कंप्यूटर तथा उससे संबंधित अन्य उपकरण तथा टी.वी., वाशिंग मशीन एवं फ्रिज जैसे घरेलू उपकरण और कैमरे, मोबाइल फोन तथा उससे जुड़े अन्य उत्पाद जब चलन/उपयोग से बाहर हो जाते हैं तो इन्हें संयुक्त रूप से ई-कचरे की संज्ञा दी जाती है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के घटक और पुर्जे आदि शामिल हैं।
  • इसे दो व्यापक श्रेणियों के तहत 21 प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
    • सूचना प्रौद्योगिकी और संचार उपकरण।
    • विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण।
  • ई-कचरे के प्रबंधन को लेकर वर्ष 2011 से ही भारत में कानून मौजूद है, जिसके मुताबिक केवल अधिकृत विघटनकर्त्ता (Dismantlers) और पुनर्चक्रणकर्त्ता (Recyclers) ही ई-कचरा एकत्र कर सकते हैं। 
    • ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 को वर्ष 2017 में लागू किया गया था।
  • भोपाल (मध्य प्रदेश) में घरेलू और वाणिज्यिक इकाइयों से कचरे के पृथक्करण, प्रसंस्करण और निपटान के लिये भारत का पहला ई-कचरा क्लिनिक स्थापित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

भारत में ई-कचरे का उत्पादन

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, भारत में वर्ष 2019-20 में 10 लाख टन से अधिक ई-कचरा उत्पन्न हुआ था। वर्ष 2017-18 के मुकाबले वर्ष 2019-20 में ई-कचरे में 7 लाख टन की बढ़ोतरी हुई थी। इसके विपरीत ई-कचरे के विघटन और पुनर्चक्रण की क्षमता में बढ़ोतरी नहीं हुई है।
  • वर्ष 2018 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ट्रिब्यूनल को बताया था कि भारत में ई-कचरे का 95 प्रतिशत पुनर्नवीनीकरण अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा किया जाता है, और अधिकांश स्क्रैप डीलरों द्वारा इसका निपटान अवैज्ञानिक तरीके से इसे जलाकर या एसिड के माध्यम से किया जाता है।

ट्रिब्यूनल के निर्देश

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्टों के आलोक में ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 के वैज्ञानिक तरीके से प्रवर्तन हेतु और अधिक प्रयास किया जाना चाहिये।
    • ट्रिब्यूनल ने ई-कचरा संग्रहण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मिली असफलता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि वर्ष 2018-19 में तकरीबन 78,000 टन ई-कचरा एकत्रित किया गया था, जो कि 1.54 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले काफी कम है। 
  • CPCB ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 के नियम 16 के अनुपालन पर विचार कर सकती है, जो कि बिजली एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उनके घटकों या उपभोग्य वस्तुओं अथवा पुर्जों के निर्माण में खतरनाक पदार्थों के उपयोग में कमी से संबंधित है।
  • ट्रिब्यूनल ने इस बात की और भी ध्यान आकर्षित किया कि ई-कचरे को अवैज्ञानिक रूप से नियंत्रित करने से आवासीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में दुर्घटनाएँ होती हैं। इस विषय पर सतर्कता बनाए रखने और इस पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके लिये CPCB द्वारा ई-कचरे से संबंधित साइटिंग मानदंडों की समीक्षा और उन्हें अपडेट किये जाने की आवश्यकता है, इस समीक्षा तीन माह के भीतर की जा सकती है।
  • सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को रोकने और कानून के सही ढंग से प्रवर्तन के लिये ज़िला प्रशासन के साथ निरंतर सतर्कता के माध्यम से हॉटस्पॉट की पहचान करने हेतु समन्वय करना चाहिये। 

ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 को अधिसूचित किया गया था।
    • इस नियम से पहले ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2011 लागू था।
  • इस नियम के दायरे में कुल 21 प्रकार के उत्पाद (अनुसूची-1) शामिल किये गए हैं। इसमें अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अलावा कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप (CFL) और मरकरी पारा युक्त लैंप शामिल हैं।
  • इस अधिनियम के तहत पहली बार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माताओं को विस्तारित निर्माता ज़िम्मेदारी (EPR) के दायरे में लाया गया। उत्पादकों को ई-कचरे के संग्रहण तथा आदान-प्रदान के लिये उत्तरदायी बनाया गया है।
  • डिपॉज़िट रिफंड स्कीम को एक अतिरिक्त आर्थिक साधन के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें निर्माता इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री के समय जमा राशि के रूप में एक अतिरिक्त राशि वसूलता है और उपभोक्ता को यह राशि उपकरण लौटाने पर ब्याज समेत लौटा दी जाती है।
  • निराकरण और पुनर्चक्रण कार्यों में शामिल श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास सुनिश्चित करने का कार्य राज्य सरकारों को सौंपा गया है।
  • नियमों के उल्लंघन की स्थिति में दंड का प्रावधान भी सुनिश्चित किया गया है।
  • ई-कचरे के निराकरण और पुनर्चक्रण के लिये मौजूदा और आगामी औद्योगिक इकाइयों को उचित स्थान के आवंटन की भी व्यवस्था की गई है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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