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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

आर्थिक मंदी और कार्बन उत्सर्जन

  • 07 Nov 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

कार्बन ब्रीफ, UNFCCC

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दे

संदर्भ:

कार्बन ब्रीफ के अध्ययन के अनुसार, कोयला आधारित विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में धीमी वृद्धि के कारण कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन स्तर वर्ष 2001 के बाद से सबसे धीमी गति से बढ़ रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • अध्ययन के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान में सिल्वर लाइनिंग (वर्तमान में मंदी लेकिन आगे वृद्धि की उम्मीद) की स्थिति से गुज़र रही है।
  • बिजली, कोयला, तेल, गैस और विदेशी व्यापार इत्यादि से संबंधित मंत्रालयों के आँकड़ों के आधार पर विश्लेषण किया गया कि इस वर्ष भारत की कार्बन उत्सर्जन दर में पिछले वर्षों की तुलना में केवल 2% की वृद्धि देखी गई है।
  • वर्ष 2019 के ये आँकड़े अगस्त महीने तक के ही हैं लेकिन कोयले की मांग में कमी और नवीकरणीय ऊर्जा के योगदान को देखते हुए इन आँकड़ों में परिवर्तन की संभावना कम है।

कार्बन उत्सर्जन में गिरावट के कारण:

  • वर्ष 2017 में निर्माण क्षेत्र मंदी की वज़ह से औद्योगिक कोयला की मांग में गिरावट आई है, हालाँकि इस क्षेत्र में वर्ष 2018 में सीमित उछाल देखा गया।
  • कोयले की कम मांग होने के कारण कोयला खदानों में कम खनन हुआ तथा इसके आयात में भी 14% की गिरावट आई।
  • वर्ष 2019 के पहले छह महीनों में पवन ऊर्जा उत्पादन में एक वर्ष पहले इसी अवधि की तुलना में 17%, सौर ऊर्जा में 30% और जल विद्युत ऊर्जा में 22% की वृद्धि हुई।

प्रभाव:

  • इन आँकड़ों के आधार पर भविष्य में वायु प्रदूषण में कमी की संभावना व्यक्त की जा रही है।

महत्त्व:

  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) पर अपनी प्रतिबद्धताओं के अनुसार भारत ने वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में अपनी अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2030 तक कम करने का वादा किया है।
  • भारत ने वर्ष 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा का 40% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की है।

कार्बन ब्रीफ (Carbon Brief)

  • यह यूनाइटेड किंगडम से संचालित की जाने वाली एक वेबसाइट है, जो कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन और इससे संबंधित अन्य आँकड़ों के रुझानों को ट्रैक करती है।
  • इसके अतिरिक्त यह जलवायु विज्ञान, जलवायु नीति और ऊर्जा नीतियों से संबंधित मुद्दों को कवर करती है।
  • यह वेबसाइट जलवायु परिवर्तन की समझ को बेहतर बनाने के लिये आँकड़ों, लेख और ग्राफिक्स का प्रयोग करती है।
  • वर्ष 2019 में कार्बन ब्रीफ ने 1.5C, 2C और उससे आगे के जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर इंटरएक्टिव फीचर (Interactive Feature) के लिये एसोसिएशन ऑफ ब्रिटिश साइंस राइटर्स (Association of British Science Writers) का "इनोवेशन ऑफ द ईयर" (Innovation of the year) पुरस्कार जीता है।

स्रोत: द हिंदू

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