भारतीय राजव्यवस्था
ई-आईएलपी प्लेटफॉर्म : मणिपुर
- 03 Sep 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में मणिपुर के मुख्यमंत्री ने राज्य में इनर लाइन परमिट (ILP) प्रणाली के प्रभावी नियमन हेतु ई-आईएलपी (e-ILP ) प्लेटफॉर्म को वर्चुअली लॉन्च किया।
- ILP प्रणाली 1 जनवरी, 2020 को मणिपुर में लागू हुई।
- मणिपुर में चार तरह के परमिट जारी किये जाते हैं- अस्थायी, नियमित, विशेष और श्रमिक या लेबर परमिट।
प्रमुख बिंदु
- ILP प्रणाली की पृष्ठभूमि :
- ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट, 1873’ के तहत अंग्रेज़ों ने निर्दिष्ट क्षेत्रों में बाहरी लोगों के प्रवेश और ठहरने को नियंत्रित करने वाले नियमों को तैयार किया।
- यह 'ब्रिटिश विषयों' (भारतीयों) को अपने क्षेत्रों में व्यापार करने से रोककर क्राउन के वाणिज्यिक हितों की रक्षा के लिये लागू किया गया था।
- 1950 में भारत सरकार ने 'ब्रिटिश विषयों' को 'सिटीज़न ऑफ इंडिया' या भारत के नागरिक से प्रतिस्थापित कर दिया।
- यह अन्य भारतीय राज्यों से संबंधित बाहरी लोगों से स्वदेशी लोगों के हितों की रक्षा के बारे में स्थानीय चिंताओं को दूर करने के लिये था।
- परिचय :
- इनर लाइन परमिट (ILP) एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज़ है, जिसे अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, नगालैंड और मणिपुर जैसे राज्यों में प्रवेश करने के लिये अन्य राज्यों के भारतीय नागरिकों के पास ILP होना आवश्यक है।
- यह पूर्णतः यात्रा के प्रयोजन से संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है।
- ऐसे राज्यों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के प्रावधानों से छूट दी गई है।
- CAA, भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले तीन देशों के प्रवासियों की कुछ श्रेणियों के लिये पात्रता मानदंड में छूट प्रदान करता है। यह इनर लाइन सिस्टम द्वारा संरक्षित क्षेत्रों सहित कुछ श्रेणियों को छूट देता है।
- विदेशी लोगों के लिये नियम:
- विदेशियों को पर्यटन स्थलों का दौरा करने के लिये ‘संरक्षित क्षेत्र परमिट’ (PAP) की आवश्यकता होती है, जो घरेलू पर्यटकों के लिये आवश्यक ILPs से भिन्न होता है।
- विदेशी (संरक्षित क्षेत्र) आदेश 1958 के तहत उक्त आदेश में परिभाषित 'इनर लाइन' के तहत आने वाले क्षेत्रों और विभिन्न राज्यों के अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे सभी क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है।
- एक विदेशी नागरिक को आमतौर पर किसी संरक्षित/प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं दी जाती है जब तक कि यह स्थापित न हो जाए कि इस तरह की यात्रा को उचित ठहराने के लिये उस व्यक्ति के पास विशिष्ट कारण है।
- विदेशियों को पर्यटन स्थलों का दौरा करने के लिये ‘संरक्षित क्षेत्र परमिट’ (PAP) की आवश्यकता होती है, जो घरेलू पर्यटकों के लिये आवश्यक ILPs से भिन्न होता है।