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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

DRDO ने विकसित किया ‘यूवी ब्लास्टर’

  • 05 May 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये

यूवी ब्लास्टर

मेन्स के लिये

महामारी से निपटने में विभिन्न संगठनों की भूमिका

चर्चा में क्यों?

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने अधिक संक्रमण वाले क्षेत्रों के त्वरित एवं रसायन मुक्त कीटाणुशोधन (Disinfection) के लिये एक अल्ट्रा वॉयलेट डिसइंफेक्सन टॉवर (Ultra Violet Disinfection Tower) विकसित किया है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘यूवी ब्लास्टर’ (UV blaster) नाम का यह उपकरण एक अल्ट्रा वॉयलेट (UV) आधारित क्षेत्र सैनिटाइज़र (Sanitizer) है, जिसे DRDO की दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित प्रयोगशाला ‘लेज़र साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर’ (Laser Science & Technology Centre-LASTEC) द्वारा विकसित किया गया है।
  • इस उपकरण में 360 डिग्री प्रकाश के लिये 254 LM वेवलेंथ पर 6 लैम्प हैं, जिसमें से प्रत्येक लैम्प की क्षमता 43 वाट यूवीसी (UVC) पावर है।
  • इस उपकरण के माध्यम से 12x12 फुट आकार के एक कमरे को लगभग 10 मिनट और 400 वर्ग फुट के कमरे को 30 मिनट में कीटाणुमुक्त किया जा सकता है।
  • अचानक कमरा खुलने या मानवीय दखल पर यह सैनिटाइजर बंद हो जाता है।

प्रयोग

  • ‘यूवी ब्लास्टर’ को प्रयोगशालाओं और कार्यालयों में ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, कंप्यूटरों और अन्य गैजेटों की सतह को कीटाणुमुक्त करने में प्रयोग किया जा सकता है, जिन्हें रासायनिक विधियों से कीटाणु मुक्त नहीं किया जा सकता है।
  • यह उत्पाद हवाई अड्डों, शॉपिंग माल, मेट्रो, होटलों, कारखानों, कार्यालयों आदि क्षेत्रों के लिये भी प्रभावी है, जहाँ लोगों की आवाजाही काफी ज़्यादा होती है।
  • UV आधारित इस क्षेत्र सैनिटाइज़र (Area Sanitiser) को वाईफाई (WiFi) का प्रयोग करते हुए लैपटॉप अथवा मोबाइल के माध्यम से दूरस्थ परिचालन (Remote Operation) के द्वारा प्रयोग किया जा सकता है।

COVID-19 से लड़ने में DRDO की भूमिका

  • डीआरडीओ की स्थापना वर्ष 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation-DSO) के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Development Establishment-TDEs) और तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (Directorate of Technical Development & Production-DTDP) के संयोजन के माध्यम से किया गया था।
  • DRDO रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के तहत काम करता है।
  • DRDO रक्षा प्रणालियों के डिज़ाइन एवं विकास के साथ-साथ तीनों रक्षा सेवाओं की आवश्यकताओं के अनुरूप विश्व स्तर की हथियार प्रणाली एवं उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।
  • सशस्त्र बल और DRDO समेत रक्षा मंत्रालय के विभिन्न विंग्स देश में महामारी के प्रसार को रोकने का काफी प्रयास कर रहे हैं और अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार, विभिन्न प्रकार के उत्पादों को डिज़ाइन और विकसित कर रहे हैं।
  • DRDO ने महामारी से निपटने के लिये कई उत्पाद विकसित किये हैं, जिनमें वेंटिलेटर, पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (Personal Protective Equipment-PPE) किट, बड़े क्षेत्रों को सैनिटाइज़ करने हेतु उपाय और COVID-19 परीक्षण के नमूने एकत्रित करने हेतु कियोस्क आदि शामिल हैं।
  • DRDO ने एक ‘मोबाइल वायरोलॉजी रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक्स लैबोरेटरी’ (Mobile Virology Research and Diagnostics Laboratory- MVRLL) भी विकसित की है जो कोरोनोवायरस की जाँच और अन्य COVID-19 अनुसंधान तथा विकास गतिविधियों को गति प्रदान करेगी।
    • यह मोबाइल वायरोलॉजी रिसर्च लैब COVID-19 के निदान और वायरस संवर्द्धन में ड्रग स्क्रीनिंग हेतु प्लाज़्मा थेरेपी, टीके के प्रति रोगियों की व्यापक प्रतिरक्षा प्रोफाइलिंग आदि में सहायक होगी।

स्रोत: पी.आई.बी.

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