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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

डॉलर-रुपया स्वैप

  • 12 Mar 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डॉलर-रुपया स्वैप नीलामी, तरलता प्रबंधन पहल, मुद्रास्फीति, भुगतान संतुलन (बीओपी) संकट, सीमांत स्थायी सुविधा, स्थायी जमा सुविधा, मौद्रिक नीति।

मेन्स के लिये:

मौद्रिक नीति।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी तरलता प्रबंधन पहल के हिस्से के रूप में 5 बिलियन डॉलर-रुपए की स्वैप नीलामी आयोजित की। इस कदम से डॉलर का प्रवाह मज़बूत होगा और वित्तीय प्रणाली से रुपए की निकासी होगी।

  • इससे महंँगाई कम होगी और रुपए में मजबूती आएगी।

भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में मांग आधारित मुद्रास्फीति में निम्नलिखित में से किसके कारण/वृद्धि हो सकती है? (2021)

1. इक्स्पैन्सनरी पालिसी 
2.राजकोषीय प्रोत्साहन
3. मज़दूरी का मुद्रास्फीति-सूचकांक
4. उच्च क्रय शक्ति
5. बढ़ती ब्याज दरें

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 4 
(b)  केवल 3, 4 और 5 
(c)  केवल 1, 2, 3 और 5 
(d) 1, 2, 3, 4 और  5

उत्तर: (a)

डॉलर-रुपया स्वैप नीलामी:

  • यह एक विदेशी मुद्रा उपकरण (Forex Tool) है जिससे केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा का उपयोग दूसरी मुद्रा या इसके विपरीत खरीद के लिये करता है। 
  • डॉलर-रुपया खरीद / बिक्री स्वैप: केंद्रीय बैंक भारतीय रुपए (INR) के बदले बैंकों से डॉलर (अमेरिकी डॉलर या USD) खरीदता है और तुरंत बाद की तारीख में डॉलर बेचने का वादा करने वाले बैंकों के साथ एक विपरीत (रुपए को बकना) सौदा करता है।
  • जब केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री की जाती है तो समान मात्रा में रुपए की निकासी होती है, इस प्रकार सिस्टम में रुपए की तरलता को कम होती है। 
    • इन स्वैप परिचालनों (Swap Operations) में कोई विनिमय दर या अन्य बाज़ार जोखिम नहीं होते हैं क्योंकि लेन-देन की शर्तें अग्रिम रूप से निर्धारित की जाती हैं।

RBI की योजना:

  • RBI ने बैंकों को 5.135 बिलियन अमेरिकी डाॅलर बेचे और साथ ही स्वैप निपटान अवधि के अंत में डॉलर को वापस खरीदने के लिये सहमति प्रदान की है।
  • यहाँ आशय यह है कि केंद्रीय बैंक विक्रेता से डॉलर प्राप्त करता है तथा दो वर्ष की अवधि के लिये संभव न्यूनतम प्रीमियम वसूल करता है।
  • तद्नुसार नीलामी की निचली सीमा पर बोली लगाने वाले बैंक नीलामी में सफल होते हैं।
    • डॉलर की दर 75 रुपए मानकर सिस्टम की तरलता 37,500 करोड़ रुपए कम हो जाएगी।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय तरलता की समस्या निम्नलिखित में से किसकी अनुपलब्धता से संबंधित है? (2015)

(a) वस्तुओं और सेवाओं
(b) सोना और चांदी
(c) डॉलर और अन्य कठोर मुद्राएँ
(d) निर्यात योग्य अधिशेष

उत्तर: (c)

आरबीआई अब इसका सहारा क्यों ले रहा है? 

  • सिस्टम में अधिशेष तरलता 7.5 लाख करोड़ रुपए आँकी गई है, जिसे मुद्रास्फीति को संतुलित रखने के लिये रोकने की ज़रूरत है।
  • आमतौर पर केंद्रीय बैंक रेपो रेट बढ़ाने या नकद आरक्षित अनुपात (CRR) बढ़ाने जैसे पारंपरिक साधनों का सहारा लेता है लेकिन इसका अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • हालाँकि हाल ही में VRRR नीलामियों को बैंकों द्वारा कम कर दिया था, क्योंकि नकदी बाज़ार ने तत्काल और बेहतर प्रतिफल की पेशकश की जिससे RBI को विदेशी मुद्रा नीलामी जैसे दीर्घकालिक तरलता समायोजन उपकरण पर विचार करने के लिये मजबूर होना पड़ा।

स्वैप का प्रभाव:

  • तरलता को कम करना: प्रमुख रूप से तरलता प्रभावित होगी जो वर्तमान में औसतन लगभग 7.6 लाख करोड़ रुपए घटेगी।
  • भारतीय रुपए के मूल्यह्रास की जाँच: बाज़ार में डॉलर के प्रवाह से रुपए को मज़बूती मिलेगी जो पहले ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77 के स्तर पर पहुँच चुका है।
  • मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: जब मुद्रास्फीति में वृद्धि का खतरा होता है तो आरबीआई आमतौर पर सिस्टम में तरलता को कम कर देता है। निम्नलिखित कारकों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ना तय है:
    • तेल की कीमतों में वृद्धि: रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनज़र कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से आने वाले दिनों में मुद्रास्फीति बढ़ना तय है।
    • संस्थागत निवेश का बहिर्वाह: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारत से धन निकाल रहे हैं। उन्होंने मार्च 2022 में अब तक भारतीय शेयरों से 34,000 करोड़ रुपए निकाल लिये हैं, जिसका रुपए पर गंभीर दबाव पड़ा है।

चलनिधि प्रबंधन पहल क्या है?

  • केंद्रीय बैंक की ‘तरलता प्रबंधन’ पहल को कुछ विशिष्ट फ्रेमवर्क, उपकरणों के समूह और विशेष रूप से उन नियमों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसे केंद्रीय बैंक द्वारा बैंक रिज़र्व की मात्रा को नियंत्रित कर कीमतों (यानी अल्पकालिक ब्याज दरों) को नियंत्रित करने हेतु किया जाता है, जिसका अल्पकालिक उद्देश्य मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करना होता है।
    • बैंक रिज़र्व का आशय उस न्यूनतम राशि से हैं, जो वित्तीय संस्थानों के पास होनी अनिवार्य है।
  • ‘तरलता प्रबंधन’ पहल रिज़र्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति में उपयोग किया जाने वाला एक उपकरण है, जो बैंकों को पुनर्खरीद समझौतों (रेपो) के माध्यम से ऋण लेने या बैंकों को रिवर्स रेपो समझौतों के माध्यम से रिज़र्व बैंक को ऋण देने की अनुमति देता है।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न: यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)

1. वैधानिक तरलता अनुपात में कटौती और अनुकूलन
2. सीमांत स्थायी सुविधा दर में बढ़ोतरी
3. बैंक रेट और रेपो रेट में कटौती

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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