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कृषि

न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रत्यक्ष भुगतान

  • 08 Apr 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय खाद्य निगम (FCI) के नवीनतम आदेशों के बाद फार्म यूनियनों ने चेतावनी दी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के प्रत्यक्ष भुगतान पर केंद्र का आग्रह फसल खरीद प्रक्रिया में बाधक बन सकता है।

प्रमुख बिंदु:

FCI का आदेश:

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का प्रत्यक्ष भुगतान:
    • मध्यस्थों को प्रक्रिया से हटाने के लिये केंद्र सरकार ऑनलाइन प्रक्रिया के ज़रिये सीधे किसानों के बैंक खातों में MSP का भुगतान करना चाहती है।
      • यह फसल की वह कीमत होती है, जिसका भुगतान सरकारी एजेंसी द्वारा फसल विशेष की खरीद करते समय किया जाता है।
    • वर्तमान में आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) को उनके खातों में भुगतान किया जाता है और इसके बाद वे चेक के माध्यम से किसानों को भुगतान करते हैं।
    • केंद्र को 2.5 प्रतिशत कमीशन आढ़तियों को देना पड़ता है जो किसानों से लेकर सरकारी एजेंसियों तक फसल की खरीद की सुविधा प्रदान करते हैं और इसके लिये सरकार से कमीशन लेते हैं।
  • जमाबंदी प्रणाली:
    • FCI के आदेश में कहा गया है कि पट्टेदार किसानों और अंशधारकों को एक जमाबंदी समझौता प्रस्तुत करना होगा।
    • जमाबंदी एक कानूनी समझौता है जो साबित करता है कि उन्हें पट्टे की समयावधि तक उस ज़मीन पर अधिकार है, ताकि खरीद की गई फसलों का भुगतान किया जा सके।
  • FCI ने गेहूँ और धान की खरीद के लिये उनकी गुणवत्ता को प्रभावी बनाए जाने का प्रस्ताव किया है।

महत्त्व: 

  • पारदर्शिता और जवाबदेही: FCI ने इस बात पर अधिक बल दिया है कि किसानों के बैंक खातों में सीधे भुगतान करने से शक्तिशाली आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) को हटाने से  और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाई जा सकती है। 
  • गैर-भेदभाव की प्रकृति: जाति और भूमि आकार जैसी मापन विधि के आधार पर लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया में कोई पूर्वाग्रह शामिल नहीं है।

FCI आदेश को चुनौती:

  • चूँकि आढ़ति समुदाय पंजाब और हरियाणा के कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में कृषि ऋण प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिये इस आदेश का विरोध पंजाब सरकार के साथ-साथ किसानों के एक बड़े वर्ग ने किया है।
  • फार्म यूनियनों के अनुसार, सरकार को बैंक खाते में सीधे भुगतान के प्रावधान को वापस लेना चाहिये क्योंकि इसे ज़ल्दबाज़ी में लागू करने से कई जटिल समस्याएँ पैदा हो सकती हैं जो कई किसानों को उनकी फसल की कीमत पाने से बाहर कर देंगी।
  • हज़ारों शेयरधारकों के पास इस तरह की जमाबंदी या कानूनी समझौता नहीं है और वे इस आदेश  से बहुत प्रभावित होंगे।
  • गेहूँ और धान की खरीद के लिये गुणवत्ता की आवश्यकताओं को प्रभावी बनाने  के FCI के  प्रस्ताव का विरोध किया जा रहा है।
  • व्यापक स्तर पर किसानों ने FCI के साथ कृषि कानूनों को निरस्त करने और सभी फसलों की खरीद के लिये कानूनी गारंटी देने और MSP लागू करने के लिये अपने मुद्दों को  जोड़ा है।

भारतीय खाद्य निगम (FCI)

  • भारतीय खाद्य निगम एक सांविधिक निकाय है जिसे भारतीय खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत वर्ष 1965 में स्थापित किया गया।
  • FCI उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय’ के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अंतर्गत शामिल सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
  • देश में भीषण अन्न संकट, विशेष रूप से गेहूँ के अभाव के चलते इस निकाय की स्थापना की गई थी।
    • इसके साथ ही कृषकों के लिये लाभकारी मूल्य की सिफारिश (MSP) करने हेतु वर्ष 1965 में कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) का भी गठन किया गया। कृषि लागत और मूल्य आयोग भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से संलग्न कार्यालय है।
  • इसका मुख्य कार्य खाद्यान्न एवं अन्य खाद्य पदार्थों की खरीद, भंडारण, परिवहन, वितरण और बिक्री करना है।
  • FCI के उद्देश्य:
    • किसानों को उनकी फसल लाभकारी मूल्य प्रदान करना।
    • खाद्यान्नों के कार्यात्मक बफर स्टॉक का संतोषजनक स्तर बनाकर राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
    • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से संपूर्ण देश में खाद्यान्न का वितरण।
    • किसानों के हितों की सुरक्षा के लिये प्रभावी मूल्य सहायता ऑपरेशन (Effective Price Support Operations) लागू करना।

स्रोत: द हिंदू

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