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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

विभेदीकृत जीएसटी व्यवस्था

  • 09 Sep 2021
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद, क्षमता आधारित कर

मेन्स के लिये:

विभेदीकृत जीएसटी व्यवस्था से अधिक कर चोरी वाले क्षेत्रों में पड़ने वाले प्रभाव

चर्चा में क्यों?

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद द्वारा उन क्षेत्रों के लिये विभेदीकृत जीएसटी व्यवस्था शुरू करने को लेकर एक मंत्री समूह की रिपोर्ट पर विचार करने की संभावना है जहाँ कर की चोरी बहुत अधिक है।

  • कर चोरी, कर योग्य आय के जान-बूझकर कम विवरण या खर्चों को बढ़ाने जैसी कपटपूर्ण तकनीकों के माध्यम से कर देयता को कम करने का एक अवैध तरीका है। यह किसी के कर बोझ को कम करने का एक गैरकानूनी प्रयास है।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद:

  • यह वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार को सिफारिशें करने के लिये एक संवैधानिक निकाय (अनुच्छेद 279A) है।
  • जीएसटी परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करता है तथा अन्य सदस्य केंद्रीय राजस्व या वित्त मंत्री और सभी राज्यों के वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्री होते हैं।
  • इसे एक संघीय निकाय के रूप में माना जाता है जहां केंद्र और राज्यों दोनों को उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।

प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि:
    • जीएसटी परिषद ने पहले कुछ राज्यों की मांगों पर विचार करने के लिये मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन किया था, जो उत्पादन के बजाय उत्पादन क्षमता (यानी विशेष संरचना योजनाओं) के आधार पर उच्च कर चोरी वाले क्षेत्रों पर कर लगाते थे।
      • क्षमता आधारित कर, उत्पादन के बजाय विनिर्माण क्षमता पर आधारित है।
    • उच्च कर चोरी वाले क्षेत्रों के कुछ उदाहरणों में ईंट भट्टे, रेत खनन और गुटखा एवं पान मसाला उत्पादन शामिल हैं।
      • उदाहरण के लिये इससे पहले वर्ष 2021 में एक पान मसाला इकाई में 830 करोड़ रुपए की चोरी का पता चला था।
  • चिंताएँ:
    • क्षमता आधारित कर (Capacity Based Tax) जीएसटी की संरचना के विरुद्ध है क्योंकि इसका एक उद्देश्य बिक्री की मात्रा में वृद्धि के साथ राजस्व वृद्धि को भी सुनिश्चित करना था।
      • यह कपड़ा जैसे अन्य क्षेत्रों की मांगों के लिये भी द्वार खोल सकता है।
    • क्रियान्वयन की दृष्टि से भी यह आसान नहीं होगा और हो सकता है कि यह अपवंचन को रोकने के वांछित परिणाम भी न दे, जिसका मुख्य कारण अत्यधिक उच्च कर दरें हैं।
    • इस तरह का बदलाव जीएसटी के मूल विचार के लिये हानिकारक होगा और ईमानदार करदाताओं को गलत संकेत देगा। यह जीएसटी संरचना में अतिरिक्त जटिलता को बढ़ाने का कार्य करेगा।

आगे की राह 

  • चूंँकि पूर्व की योजनाओं के घटक कर चोरी को रोकने में प्रभावी नहीं रहे हैं जिसके कारण राजस्व अधिकारियों और उत्पादकों के बीच बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता (Production Capacity) विवादों पर मुकदमेबाज़ी हुई है, अत: सरकार को बेहतर डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके जीएसटी चोरी की जांँच करनी चाहिये, साथ ही कर चोरी से बचने के लिये अभिनव, कड़े कानूनी प्रावधानों को पेश करना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू 

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