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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

डिजाइनर यीस्ट : कृत्रिम जीवन की दिशा में बड़ा कदम

  • 15 Mar 2017
  • 6 min read

सन्दर्भ

हाल ही में वैज्ञानिकों  ने यीस्ट के पाँच संश्लेषित गुणसूत्रों का निर्माण किया है जिसे वे कृत्रिम जीवन की उत्पत्ति में एक बड़ा कदम मान रहे हैं| यह कृत्रिम जीवन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज है, जो संश्लेषित जीवों के विकास में एक नया आयाम सिद्ध हो सकती है |

पृष्ठभूमि 

  • इस प्रक्रिया की शुरुआत वर्ष 2010 में उस समय हुई जब शोधकर्ताओं ने पूर्णतः संश्लेषित जीनोम (completely synthetic genome) युक्त पहले जीवित-जीव (first live organism) माइकोप्लाज्मा मायकोइड्स (Mycoplasma mycoides) नामक एक जीवाणु (bacterium) का निर्माण किया|
  • तब से ही विश्व के वैज्ञानिकों ने जीवन के लिये आवश्यक कई जीनों की खोज करनी प्रारंभ कर दी थी|
  • यह नया अध्ययन संश्लेषित यीस्ट जीनोम प्रोजेक्ट (Synthetic Yeast Genome Project) का ही एक भाग है | 
  • अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं का एक समूह यीस्ट के पाँच गुणसूत्रों का निर्माण कर चुका हैं| 

प्रमुख बिंदु 

  • इस अध्ध्ययन का उद्देश्य अंततः यीस्ट के गुणसूत्रों (yeast chromosomes) के सभी 16 संश्लेषित रूपों को प्रतिस्थापित करना है जिससे अधिक अच्छे रसायन और अधिक गुणवत्तापूर्ण प्रतिजैविकों का निर्माण किया जा सके| 
  • ध्यातव्य है कि इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर की फाइलों को देखकर शोध किया जिनमें प्राकृतिक बेकर (baker) यीस्ट से सम्बंधित सभी आनुवंशिक डाटा समाहित थे|
  • इसके पश्चात उन्होंने उस जीनोम का विश्लेषण किया जिसकी उन्होंने प्रतिकृति बनाने की आशा जताई थी तथा इसके अतिरिक्त उन्होंने कंप्यूटर में संदर्भित जीनोम में भी बदलाव किये थे|
  • उन्होंने फाइलों को छोटी श्रृंखलाओं में तोड़ दिया जिनका निर्माण एक प्रयोगशाला में किया जा सकता था|
  • इसके बाद समूह ने सभी आधार युग्मों (base pairs ) को संश्लेषित किया तथा यीस्ट में डालने से पूर्व उन्हें डीएनए के विशिष्ट टुकड़ों में संगठित किया|
  • उन्होंने इस प्रक्रिया की तब तक अनेक बार पुनरावृत्ति की जब तक कि यीस्ट ने आखिरकर अपने गुणसूत्रों को इसकी संश्लेषित प्रतिकृतियों से प्रतिस्थापित नहीं कर दिया|
  • बाल्टिमोर स्थित जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह अद्भुत है कि डीएनए को कोशिकाओं में डाल डाला जा रहा है और यीस्ट कोशिकाएँ इन्हें गुणसूत्रों के रूप में संगठित कर रहीं हैं |
  • नए गुणसूत्र उन साधारण आधार युग्मों से बने होते हैं जो डीएनए का निर्माण करते हैं| उनका क्रम नियमित यीस्ट से थोडा-सा ही अलग होता है |
  • इस तथ्य के फलस्वरूप, शोधकर्ताओं के समूह ने कुछ ऐसे जीनों को हटा दिया जिन्हें वे अनावश्यक मानते थे और वे ऐसी थ्री लैटर स्टॉप कोडंस (three-letter stop codons) में से एक थे जो एक कोशिका को डीएनए के कुछ विशेष हिस्सों (snippets) को पढ़ने से रोकता है|
  • यद्यपि इस नए शोध में भी पूर्व के अध्ययनों के समान ही जीन संपादन तकनीकों (gene-editing techniques) का उपयोग किया गया है परन्तु अब से किसी एक प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिये अत्याधुनिक कंप्यूटर प्रोग्राम एवं  बड़े समूहों को भी अनुमति प्रदान की जायेगी  |
  • इससे सूचनाओं के चक्रीय प्रवाह में सहायता प्राप्त हो सकेगी और समूहों को अधिक तेज गति से कार्य करने का अवसर उपलब्ध होगा |
  • शोधकर्ताओं को आशा है कि पूर्णतः संश्लेषित यीस्ट के निर्माण से डीएनए की भूमिका से सम्बन्धित कुछ आधारभूत प्रश्नों पर भी विचार किया जा सकेगा| उदाहरण के लिये,यह उन्हें ऐसी डीएनए श्रृंखलाओं के उद्देश्य की खोज करने में भी सहायता करेगा जो अब तक स्पष्ट नहीं हैं |
  • इसके बाद इन सूचनाओं का उपयोग अधिक जटिल अणुओं के निर्माण में भी किया जा सकता है जैसे- कैंसर के नए उपचारों में उपयोग की जाने वाले शर्करा युक्त एंटीबाडी प्रोटीन (sugar-tipped antibody proteins) जो सामान्यतः बेशकीमती स्तनधारियों के कोशिकीय संवर्धन से बनाए जाते हैं|
  • न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के आनुवंशिक वैज्ञानिकों  के अनुसार, इस प्रकार कि खोज के माध्यम से निश्चित ही अधिक बड़े जीनोम (जैसे कि पौंधों,जानवरों और मानव जीनोम) में उचित परिवर्तन किये जा सकेंगे और यह प्रयोग भविष्य के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोलेगा |
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