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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विपंजीकृत कंपनियों की जांच।

  • 04 Jul 2017
  • 5 min read

संदर्भ

  • हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खुलासे के बाद कि सरकार के एक ही झटके में एक लाख से अधिक कंपनियाँ बंद हो चुकी हैं, प्रवर्तन निदेशालय अब इस बात की जाँच करेगा कि कहीं ये कंपनियाँ धन-शोधन (money–laundering) के कारोबार में तो नहीं लगी थीं।

 प्रमुख बिंदु 

  • कंपनी रजिस्ट्रार ने ऐसी एक लाख कंपनियों को हटा दिया है। सरकार को उम्मीद है कि  ऐसी और भी कंपनियाँ होंगी और उन सभी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
  • रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ द्वारा अपने नामों को हटाने के कारण कार्पोरेट मंत्रालय भी तीन लाख से अधिक कंपनियों को कारण बताओ नोटिस ज़ारी करने जा रहा है। सरकार की यह कार्रवाई कालेधन के विरुद्ध उसके अभियान तथा विमुद्रीकरण के बाद उपजी स्थिति के मद्देनज़र है। प्रवर्तन निदेशालय अब इस पूरे मामले की जांच करने जा रहा है।

प्रवर्तन निदेशालय 

  • यह एक बहु-अनुशासनिक संगठन है, जिसका कार्य विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 और धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों को प्रवर्तित करना है।  
  • यह धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत अपराध में संलिप्त पाई जाने वाली कंपनियों की संपत्ति को ज़ब्त कर उनके विरुद्ध कार्रवाई कर सकता है। 
  • यह धन-शोधन में शामिल अभियुक्तों के विरुद्ध अभियोजन चला सकता है।

विमुद्रीकरण के पश्चात् 

  • विमुद्रीकरण के पश्चात् (नवंबर 2016 से) सरकार ने उन कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई  प्रारंभ की है, जिन्होंने अपने अस्तित्व में आने के एक वर्ष के पश्चात् भी व्यवसाय आरम्भ नहीं किया है। इस मामले में तेज़ी तब आई, जब कंपनी रजिस्ट्रार ने अप्रैल में दो लाख से अधिक कंपनियों को व्यवसाय प्रारंभ न करने के लिये कारण बताओ नोटिस ज़ारी किया।
  • कंपनी अधिनियम की धारा 252 के तहत पीड़ित पक्ष (कंपनी) अपने विरुद्ध इस आदेश के खिलाफ तीन साल के अंदर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण ( NCLT) में अपील कर सकता है। यदि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण को यह लगता है कि कंपनी के नाम को हटाया जाना अनुचित था तो वह उसे पुनः स्थापित करने का आदेश दे सकता है।
  • कार्पोरेट मंत्रालय के अनुसार 31 मई 2017 तक भारत में पंजीकृत कंपनियों की कुल संख्या 16,59,965 थी, जिनमें से 13,22,175 कंपनियाँ ही सक्रिय थीं। 

वस्तु और सेवा कर 

  • सरकार वस्तु और सेवा कर की प्रगति पर नज़र बनाए हुए है। वह एक जुलाई से लागू  इस कर के अमल को ट्रैक कर रही है। सरकार ने सभी विभागों से वस्तुओं  की आपूर्ति को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, ताकि उपभोक्ता वस्तुओं की कोई कमी न हो एवं कीमतें स्थिर रहें। आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं पर सरकार की विशेष नज़र है।
  • सरकार यह सुनिश्चित करवाना चाहती है कि डीलर, खुदरा कारोबारी एवं दुकानदार वस्तु और सेवा कर के तहत वस्तुओं की सूची बनाकर रखें, ताकि कीमत की कमी का लाभ अंतिम उपभोक्ताओं को मिले एवं मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न न हो सके ।
  • वस्तु और सेवा कर के लागू होने के तीन दिन के अंदर ही 22 राज्यों ने अपने चेक पोस्ट हटा लिये हैं। इसी तरह आठ और राज्य चेक पोस्ट हटाने की प्रक्रिया में हैं। 
  • राज्यों की सीमाओं पर लगे चेक पोस्ट के द्वारा जाँच प्रक्रिया के कारण देश के अंदर ही वस्तुओं के समय पर आपूर्ति में देर होती थी, परन्तु अब इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा और वस्तुओं की आवाजाही निर्बाध हो जाएगी।
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