लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

भारतीय राजव्यवस्था

जाँच में देरी पर CVC के निर्देश

  • 20 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने हाल ही में केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों को सतर्कता संबंधी मामलों में अनुशासनात्मक कार्यवाही के विभिन्न चरणों के लिये समयसीमा का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है, क्योंकि इस प्रकार की देरी से आरोपित अधिकारियों को या तो अनुचित लाभ प्राप्त हो रहा है या फिर उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।

प्रमुख बिंदु

मुद्दा

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने पहले भी चिंता व्यक्त की है कि आयोग और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बावजूद जाँचकर्त्ता निर्धारित समयसीमा का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप जाँच में अधिक समय लगता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने भी कुछ विशिष्ट मामलों को छोड़कर किसी भी न्यायालय द्वारा जारी ‘स्टे आदेश’ की अवधि को छह माह तक सीमित कर दिया है।

कारण

  • न्यायालय द्वारा जारी किया गया ‘स्टे आदेश’।
  • न्यायपालिका के समक्ष लंबित मामले।
  • अधिकारी द्वारा सेवा समाप्त किये जाने के बाद से मामला यथावत रखा जाना।

प्रभाव

  • अनुचित उदाहरण 
    • अनुचित देरी के कारण भ्रष्ट लोक सेवकों को अनुचित गतिविधियों में लिप्त होने का अधिक अवसर मिलता है, जिससे अन्य लोक सेवकों के समक्ष एक खराब उदाहरण प्रस्तुत होता है।
  • ईमानदार अधिकारियों का हतोत्साहन
    • सतर्कता संबंधी मामलों के निपटान में होने वाली देरी के कारण प्रायः उन ईमानदार लोक सेवकों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, जो ऐसे मामलों में शामिल होते हैं।

केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC)

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission-CVC) एक शीर्ष सतर्कता संस्‍थान है जो किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियंत्रण से मुक्‍त होता है तथा केंद्र सरकार के अंतर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है। 
    • यह केंद्रीय सरकारी संगठनों में विभिन्‍न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, उनके निष्‍पादन, समीक्षा एवं सुधार के संबंध में सलाह भी देता है।

संरचना

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1964 में के. संथानम की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।
  • वर्ष 2003 में आयोग को वैधानिक दर्जा देते हुए संसद द्वारा केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम पारित किया गया।

कार्य

  • CVC भ्रष्टाचार या कार्यालय के दुरुपयोग से संबंधित शिकायतें सुनता है और इस दिशा में उपयुक्त कार्रवाई की सिफारिश करता है। निम्नलिखित संस्थाएँ, निकाय या व्यक्ति CVC के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं:
    • केंद्र सरकार 
    • लोकपाल
    • सूचना प्रदाता/मुखबिर/सचेतक (Whistleblower) 
  • विदित हो कि केंद्रीय सतर्कता आयोग कोई अन्वेषण एजेंसी नहीं है। यह या तो CBI के माध्यम से या सरकारी कार्यालयों में मुख्य सतर्कता अधिकारियों (CVO) के माध्यम से मामले की जाँच/अन्वेषण कराता है। 

शासन

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग के पास स्वयं का सचिवालय, मुख्य तकनीकी परीक्षक खंड (CTE) और विभागीय जाँच आयुक्त खंड (CDI) है। वहीं अन्वेषण कार्य के लिये CVC दो बाहरी स्रोतों- CBI और मुख्य सतर्कता अधिकारियों (CVO) पर निर्भर रहता है।
  • संरचना
    • केंद्रीय सतर्कता आयोग एक बहु-सदस्यीय आयोग है, जिसमें एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (अध्यक्ष) और अधिकतम दो सतर्कता आयुक्त (सदस्य) होते हैं।
    • केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), गृह मंत्री (सदस्य) और लोकसभा में विपक्ष का नेता (सदस्य) शामिल होता है। 
  • मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO)
    • विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों में सतर्कता संबंधी कार्यों का नेतृत्त्व मुख्य सतर्कता अधिकारियों (CVOs) द्वारा किया जाता है और सतर्कता संबंधी मामलों की जाँच से संबंधित आयोग की गतिविधियों का संचालन भी इन्ही अधिकारियों के माध्यम से होता है।
    • सभी विभागों/संगठनों में मुख्य सतर्कता अधिकारियों की नियुक्ति आयोग से पूर्व-परामर्श के बाद की जाती है।
  • कार्यकाल
    • CVO का कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक होता है।
  • निष्कासन
    • केंद्रीय सतर्कता आयुक्त या किसी सतर्कता आयुक्त को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा केवल कदाचार साबित होने या असमर्थता की स्थिति में हटाया जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2