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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

COVID-19 परीक्षण की नवीन तकनीक 'फेलुदा'

  • 11 May 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

फेलुदा परीक्षण तकनीक 

मेन्स के लिये:

COVID-19 परीक्षण तकनीक 

चर्चा में क्यों?

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद’ (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) के वैज्ञानिकों ने COVID-19 महामारी परीक्षण के लिये कम लागत वाली ‘पेपर स्ट्रिप टेस्ट’ (Paper Strip Test) तकनीक ‘फेलुदा’ (Feluda) को विकसित किया है।  

प्रमुख बिंदु:  

परीक्षण का नाम फेलुदा क्यों?

  • ‘मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (MIT) और ‘हार्वर्ड यूनिवर्सिटी’ द्वारा विकसित की जा रही ‘पेपर-स्ट्रिप टेस्ट’ का नाम  प्रसिद्ध (काल्पनिक) जासूस 'शेरलोक' (Sherlock) के नाम पर रखा गया है।
  • भारतीय वैज्ञानिक इस तकनीक के भारतीय संस्करण को भारतीय नाम देना चाहते थे। वैज्ञानिकों ने भारतीय फिल्म निर्माता सत्यजीत रे द्वारा विकसित प्रसिद्ध जासूसी चरित्र ‘फेलुदा’ के नाम पर इस तकनीक का नाम रखा है।
  • इस परीक्षण तकनीक का वैज्ञानिक नाम 'Fncas9 एडिटर लिंक्ड यूनिफॉर्म डिटेक्शन एस’ (Fncas9 Editor Linked Uniform Detection Assay) है जिसे  संक्षेप में ‘फेलुदा’ (FELUDA) लिखा जाता है।

परीक्षण तकनीक की आवश्यकता:

  •  'भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद' (Indian Council of Medical Research) के अनुसार, भारत की 135 सरकारी और 56 निजी प्रयोगशालाएँ RT-PCR मशीनों से प्रति दिन केवल 18,000 परीक्षण कर सकती हैं। जबकि COVID-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए अधिक तेज़ी के साथ व्यापक परीक्षण की आवश्यकता है।

परीक्षण तकनीक की कार्यविधि: 

  • सर्वप्रथम रोगी की नाक से वायरस के ‘राइबोन्यूक्लीक एसिड’ (Ribonucleic Acid- RNA) के नमूने प्राप्त किये जाते हैं। इसके बाद RNA को आनुवंशिक सामग्री; जिसे पूरक DNA (Complementary DNA- cDNA) कहा जाता है, में परिवर्तित किया जाता है। 
  • फिर PCR मशीन द्वारा 'पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन' के माध्यम से cDNA में वृद्धि करके इसे Cas9 प्रोटीन के साथ मिलाते हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि ‘इंस्टिट्यूट ऑफ़ जेनॉमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी’ (Institute of Genomics and Integrative Biology- IGIB) द्वारा Cas9 का विशिष्ट प्रोटीन FnCas9 विकसित किया गया है, जो अनुक्रम को निर्धारित करता है।
  • अंत में इस मिश्रण को एक पेपर स्ट्रिप पर लगाया जाता है। यदि इस मिश्रण में COVID-19 DNA उपस्थित रहता है तो पेपर स्ट्रिप पर नियंत्रित या सामान्य रेखाओं के अलावा वायरस की रेखाएँ भी दिखाई देती हैं।
  • यदि वायरल में RNA भी कम मात्रा में उपस्थिति है, तो इस तकनीक द्वारा उसका भी पता लगा लिया जाता है।  

तकनीक की परीक्षण का महत्त्व:

  • तेज़ी से परीक्षण:
    • इस तकनीक के आधार पर परीक्षण का परिणाम 1.5 घंटे के भीतर ज्ञात कर लिया जाता है। अत: इस वायरस परीक्षण तकनीक के आधार पर बहुत तेज़ी से वायरस की जाँच की जा सकती है।
  • आर्थिक लागत कम:
    • इस तकनीक से COVID-19 परीक्षण की लागत 500-700 रुपए के आसपास होने का अनुमान है जबकि RT-PCR परीक्षण तकनीक की लागत 4,500 रुपए है।
  • परीक्षण की सटीकता: 
    • इस परीक्षण तकनीक से यदि किसी COVID-19 पॉज़िटिव मरीज की जाँच की जाती है तो परीक्षण की सटीकता 100% है। जबकि सामान्य परीक्षण मामलों में 90% सटीकता है अर्थात यदि 10 सामान्य लोगों का परीक्षण किया जाए तो उसमें से हो सकता है यह तकनीक किसी एक को पॉज़िटिव बताए।

निष्कर्ष: 

  • हालाँकि यह तकनीक मात्रात्मक दृष्टिकोण से अधिक कारगर है तथा व्यापक परीक्षण करने में मदद कर सकती है परंतु गुणात्मक परीक्षण की दृष्टि से RT-PCR तकनीक अधिक सटीक है।

स्रोत: बिजनेस लाइन

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