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महत्त्वपूर्ण संस्थान

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद

  • 07 Jun 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

CSIR तथा इसकी विभिन्न पहलें

मेन्स के लिये:

CSIR तथा भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में इसका योगदान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research-CSIR) सोसायटी की बैठक की अध्यक्षता की।

  • इससे पहले CSIR फ्लोरीकल्चर मिशन (CSIR Floriculture Mission) को भारत के 21 राज्यों और केंद्र शासितप्रदेशों में लागू करने की मंज़ूरी दी गई थी।
  • यह बीमारी के लिये अद्वितीय आनुवंशिक लक्षण, संवेदनशीलता (और प्रतिरोधकता) निर्धारित करने के लिये लगभग 1000 भारतीय ग्रामीण युवाओं के नमूने की जीनोम अनुक्रमण करने की भी योजना बना रहा है।

प्रमुख बिंदु

CSIR के बारे में:

  • यह भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन है। 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 दूरस्थ केंद्रों, 3 नवोन्मेषी परिसरों और 5 इकाइयों के एक सक्रिय नेटवर्क के साथ इसकी उपस्थिति पूरे भारत में है।
  • स्किमागो इंस्टीट्यूशंस रैंकिंग वर्ल्ड रिपोर्ट 2021 (Scimago Institutions Ranking World Report 2021) के अनुसार, यह विश्व भर के 1587 सरकारी संस्थानों में 37वें स्थान पर है और शीर्ष 100 वैश्विक सरकारी संस्थानों में एकमात्र भारतीय संगठन है।
    • एशिया में CSIR 7वें स्थान पर है।
  • प्रधानमंत्री इसका अध्यक्ष (पदेन) होता है तथा केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री इसका उपाध्यक्ष (पदेन) होता है।

वित्तपोषण

  • CSIR विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा का वित्तपोषण किया जाता है तथा यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में पंजीकृत है।

स्थापना: 

  • सितंबर 1942

अवस्थिति

  • नई दिल्ली

उद्देश्य:

  • परिषद का उद्देश्य राष्ट्रीय महत्त्व से संबंधित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान करना है। रेडियो एवं अंतरिक्ष भौतिकी (Space Physics), समुद्र विज्ञान (Oceanography), भू-भौतिकी (Geophysics), रसायन, ड्रग्स, जीनोमिक्स (Genomics), जैव प्रौद्योगिकी और नैनोटेक्नोलॉजी से लेकर खनन, वैमानिकी (Aeronautics), उपकरण विज्ञान (Instrumentation), पर्यावरण अभियांत्रिकी और सूचना प्रौद्योगिकी तक की एक विस्तृत विषय शृंखला इसके दायरे में आती है।
  • यह सामाजिक प्रयासों के संबंध में कई क्षेत्रों जैसे- पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा, कृषि-क्षेत्र और गैर-कृषि क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण तकनीकी हस्तक्षेप प्रदान करता है

CSIR की कुछ प्रमुख पहलें:

  • कोविड-19 से संबंधित:
    • महामारी के कारण उभरती स्थिति से निपटने के लिये CSIR ने पाँच प्रौद्योगिकी कार्यक्षेत्र स्थापित किये हैं:
      1. डिजिटल और आणविक निगरानी।
      2. रैपिड तथा किफायती निदान।
      3. औषधियों, वैक्सीन और कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा थेरेपी का पुनर्प्रयोजन (Repurpose)।
      4. अस्पताल सहायक उपकरण और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (Personal Protective Equipment- PPE)।
      5. आपूर्ति शृंखला और लॉजिस्टिक्स समर्थन प्रणाली।
  • सामरिक क्षेत्र में:
    • हेड-अप-डिस्प्ले (HUD): इसने भारतीय हल्के लड़ाकू विमान तेज़स के लिये स्वदेशी हेड-अप-डिस्प्ले (HUD) विकसित किया है। HUD विमान की उड़ान और हथियार लक्ष्यीकरण सहित महत्त्वपूर्ण उड़ान युद्धाभ्यास में विमान चालक की सहायता करता है। 
  • ऊर्जा तथा पर्यावरण के क्षेत्र में:
    • सोलर ट्री (Solar Tree): यह स्वच्छ बिजली का उत्पादन करने के लिये न्यूनतम स्थान घेरता है।
    • लिथियम-आयन बैटरी: 4.0 V/14 h मानक सेल बनाने के लिये स्वदेशी नवीन सामग्री पर आधारित भारत की पहली लिथियम आयन बैटरी निर्माण सुविधा स्थापित की गई है।
  • कृषि के क्षेत्र में:
    • सांबा मसूरी चावल प्रजाति: ICAR के साथ मिलकर इसने सांबा मसूरी चावल की एक बेहतर बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी किस्म विकसित की है।
    • चावल की किस्म (मुक्ताश्री): चावल की एक ऐसी किस्म विकसित की गई है जो अनुमेय सीमा के भीतर आर्सेनिक को आत्मसात करने से रोकती है।
    • सफेद मक्खी (Whitefly) प्रतिरोधी कपास प्रजाति: एक ट्रांसजेनिक कपास किस्म विकसित की गई जो कि सफेद-मक्खी के लिये प्रतिरोधी है।
  • स्वास्थ्य-देखभाल क्षेत्र में:
    • चिकित्सा निर्णय को सक्षम करने के लिये जीनोमिक्स तथा अन्य ओमिक्स प्रौद्योगिकियाँ (GOMED): नैदानिक ​​समस्याओं को हल करने के संदर्भ में रोग जीनोमिक्स का एक मंच प्रदान करने हेतु CSIR द्वारा GOMED (Genomics and other Omics Technologies for Enabling Medical Decision) का विकास किया गया गया है।
  • खाद्य एवं पोषण के क्षेत्र में:
    • क्षीर स्कैनर (Ksheer-scanner): यह 10 पैसे की लागत पर 45 सेकंड में दूध के मिलावट स्तर और मिलावटी पदार्थ का पता लगाता है। 
    • डबल फोर्टिफाइड नमक (Double-Fortified Salt): CSIR ने आयोडीन और आयरन के साथ फोर्टिफाइड नमक का विकास किया गया है जो लोगों में एनीमिया रोग को दूर कर सकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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