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सामाजिक न्याय

उपभोक्ता संरक्षण नियम, 2021

  • 31 Dec 2021
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019, ई-दाखिल पोर्टल।

मेन्स के लिये:

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की मुख्य विशेषताएंँ।


चर्चा में क्यों?

हाल ही में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण (ज़िला आयोग, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग के क्षेत्राधिकार) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है।

  • अधिनियम, उपभोक्ता आयोग के प्रत्येक स्तर के आर्थिक क्षेत्राधिकार को निर्धारित करता है।
  • नए नियमों ने उपभोक्ता की शिकायतों के लिये आर्थिक क्षेत्राधिकार को संशोधित किया।
  • इससे पहले केंद्र ने प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग के लिये उपभोक्ता संरक्षण (प्रत्यक्ष बिक्री) नियम, 2021 को अधिसूचित किया था।

प्रमुख बिंदु:

  • संशोधित आर्थिक क्षेत्राधिकार:

    • ज़िला आयोगों के लिये 50 लाख रुपए (पहले 1 करोड़ से कम),
    • 50 लाख रुपए से अधिक 2 करोड़ रुपए राज्य आयोगों के लिये (पहले 1 करोड़ से 10 करोड़),
    • 2 करोड़ रुपए से अधिक राष्ट्रीय आयोग के लिये (पहले 10 करोड़ से अधिक)।
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के बारे में:

    • उत्पाद दायित्त्व (Product Liability): यदि किसी उत्‍पाद या सेवा में दोष पाया जाता है तो उत्पाद निर्माता/विक्रेता या सेवा प्रदाता को क्षतिपूर्ति के लिये ज़िम्मेदार माना जाएगा। विधेयक के अनुसार, किसी उत्पाद में निम्नलिखित आधारों पर दोष हो सकता है:
      • त्रि-स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र: अधिनियम उपभोक्ता विवादों के निवारण के लिये एक त्रि-स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र जैसे ज़िला आयोग, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग की घोषणा करता है।
    • शिकायत का समयबद्ध निपटान: अधिनियम में कहा गया है कि प्रत्येक शिकायत का यथासंभव शीघ्र निपटारा किया जाएगा।
      • यदि वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता नहीं है तो विरोधी पक्ष द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 3 महीने की अवधि के भीतर और यदि वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता है तो विरोधी पक्ष द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 5 महीने की अवधि के भीतर शिकायत पर निर्णय लेने का प्रयास किया जाएगा।
    • इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायत दर्ज करना: अधिनियम उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायत दर्ज करने का विकल्प भी प्रदान करता है।
      • उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करने में सुविधा हेतु केंद्र सरकार ने ‘ई-दाखिल’ पोर्टल की स्थापना की है।
    • मध्यस्थता मार्ग: अधिनियम में दोनों पक्षों की सहमति से मध्यस्थता के लिये उपभोक्ता विवादों का संदर्भ भी शामिल है।
      • इससे न केवल विवाद में शामिल पक्षों के समय और धन की बचत होगी, बल्कि लंबित मामलों को कम करने में भी मदद मिलेगी।

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स्रोत-पी.आई.बी

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