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डेली न्यूज़

आंतरिक सुरक्षा

कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु

  • 22 Oct 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

श्‍योक नदी, काराकोरम और चांग चेनमो पर्वत शृंखला (मानचित्र), सीमा सड़क संगठन

मेन्स के लिये:

सीमा क्षेत्रों में आधारभूत संरचना का विकास व प्रबंधन, चीन के संदर्भ में इसका रणनीतिक महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पूर्वी लद्दाख में दुरबुक और दौलत बेग ओल्‍डी को जोड़ने वाले कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु (Col Chewang Rinchen bridge) का उद्घाटन किया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • यह सेतु श्‍योक नदी (River Shyok) पर सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation- BRO) द्वारा बनाया गया है।
  • काराकोरम और चांग चेनमो पर्वत शृंखलाओं के बीच स्थित कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु 400 मीटर लंबा सेतु है, जिसे माइक्रो पाइलिंग टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल करते हुए करीब 15,000 फीट की ऊँचाई पर बनाया गया है।
  • इस सेतु का नाम कर्नल चेवांग रिनचेन के नाम पर रखा गया है जिनका जन्‍म लद्दाख क्षेत्र के सुमूर, नूब्रा घाटी में 11 नवंबर, 1931 को हुआ था।
  • लेह और परतापुर क्षेत्र की रक्षा करने के लिये उनके अदम्‍य साहस के कारण उन्‍हें ‘लद्दाख के शेर’ के नाम से जाना जाता था। वह सशस्‍त्र सेनाओं के उन छह जवानों में से एक हैं, जिन्‍हें सर्वोच्‍च भारतीय शौर्य पुरस्‍कार, महावीर चक्र दो बार प्रदान किया गया।
  • यह सेतु न केवल दुरबुक को दौलत बेग ओल्‍डी से जोड़ता है, बल्कि लद्दाख के लोगों तथा जम्‍मू-कश्‍मीर के सभी आंतरिक क्षेत्रों को देश के अन्‍य भागों से जोड़ता है, इससे इन क्षेत्रों के लिये विकास का नया अवसर तथा निवेश उपलब्ध होगा।
  • यह सीमा क्षेत्र के विकास हेतु सरकार की रणनीति का एक अभिन्‍न अंग है।
  • यह लद्दाख के चहुँमुखी विकास की दिशा में एक सकारात्‍मक कदम साबित हो सकता है।
  • इसके माध्यम से न केवल घरेलू बल्कि विदेशी पर्यटन के नवीन अवसर सृजित होंगे।

Col Chewang Rinchen Bridge

चीन के संदर्भ में रणनीतिक महत्त्व:

  • यह चीन से जुड़े सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे- जम्मू-कश्मीर में अक्साई चिन, अरुणाचल प्रदेश आदि क्षेत्रों में सीमा सुरक्षा प्रबंधन के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ता प्रदान करने में सहायक होगा।
  • सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी उत्पादों की तस्करी तथा माल की डंपिंग से संबंधित चुनौतियों से निपटने में सहायक होगा।
  • भारत-चीन सीमा पर आधारभूत संरचनाओं का विकास होगा तथा सैन्य वाहनों के अनुकूल सड़कों का निर्माण होगा। साथ ही इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होगा।

स्रोत: पीआईबी

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