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सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों के वर्गीकरण के मानकों में बदलाव

  • 10 Feb 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में मंत्रिमंडल ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों के वर्गीकरण के मानकों को बदलने के लिये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006 में संशोधन तथा लोकसभा में लंबित MSMED (संशोधन) विधेयक, 2015 को वापस लेने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।

वर्तमान में क्या है प्रावधान?

  • मौजूदा MSMED अधिनियम की धारा 7 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों को परिभाषित किया गया है।
  • इसमें विनिर्माण इकाइयों के संबंध में संयंत्र और मशीनरी में निवेश तथा सेवा उपक्रमों के लिये उपकरणों में निवेश के आधार पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों का वर्गीकरण किया गया है।
  • संयंत्र और मशीनरी में निवेश का मानदंड स्व-घोषणा पर आधारित है, जिससे आवश्यकता पड़ने पर इसकी  सत्यापन करने की स्थिति में लेन-देन की लागतें बढ़ जाती हैं।

प्रस्तावित संशोधन

  • उपरोक्त संशोधन में MSMEs के वर्गीकरण का आधार ‘संयंत्र एवं मशीनरी/उपकरण में निवेश’ के स्थान पर ‘वार्षिक कारोबार’ (Annual Turnover) करने का प्रस्ताव है।
  • MSMED अधिनियम, 2006 की धारा 7 में संशोधन होने पर उत्पादित वस्तुओं और दी जाने वाली सेवाओं के संबंध में वार्षिक कारोबार को ध्यान में रखते हुए इकाइयों को निम्नलिखित तरीके से  परिभाषित किया जाएगा-
    ► जिस इकाई में 5 करोड़ रुपए से अधिक का वार्षिक कारोबार नहीं होगा, उसे सूक्ष्म उपक्रम के रूप में परिभाषित किया जाएगा।
    ► जिस इकाई में वार्षिक कारोबार 5 करोड़ रुपए से अधिक लेकिन 75 करोड़ रुपए से ज़्यादा नहीं होगा, उसे लघु उपक्रम के रूप में परिभाषित किया जाएगा।
    ► जिस इकाई में वार्षिक कारोबार 75 करोड़ रुपए से अधिक लेकिन 250 करोड़ रुपए से ज़्यादा नहीं होगा, उसे मध्यम उपक्रम के रूप में परिभाषित किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार अधिसूचना के ज़रिये इस कारोबार की सीमा में बदलाव कर सकेगी, जो MSMED अधिनियम की धारा 7 में उल्लेखित सीमा के तीन गुना से अधिक नहीं हो सकेगी।

संशोधन के अपेक्षित लाभ

  • इससे कारोबार करने में सुगमता को बढ़ावा मिलेगा, वर्गीकरण के मानक संवृद्धि आधारित होंगे और यह इन्हें वस्तु और सेवा कर आधारित नई कर प्रणाली के अनुरूप बनाएगी।
  • संशोधन से सरकार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों के वर्गीकरण को MSMED अधिनियम में संशोधन के बिना बदलते आर्थिक परिदृश्य में लचीला रुख अपनाने में मदद मिलेगी।
  • GST नेटवर्क और अन्य तरीकों से उपलब्ध विश्वसनीय आँकड़ों के आधार पर वार्षिक कारोबार के मानक को सुस्थापित कर वर्गीकरण का एक गैर-विवेकाधीन, पारदर्शी और वस्तुनिष्ट मानक प्राप्त किया जा सकेगा।
  • यह व्यवस्था निरीक्षण की आवश्यकता को खत्म करने, वर्गीकरण प्रणाली को प्रगतिशील तथा विकासोन्मुख बनाने और मशीनरी/उपकरण में निवेश या रोज़गार के आधार पर वर्गीकरण से संबंधित अनिश्चितताओं पर काबू पाने में सहायता करेगी।
  • इससे व्यापार करना सरल होगा और देश के MSMEs क्षेत्र में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार सृजन होगा।
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