लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

शिवालिक एलीफेंट रिज़र्व: उत्तराखंड

  • 31 Oct 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये

शिवालिक एलीफेंट रिज़र्व, हाई कंज़र्वेशन वैल्यू

मेन्स के लिये

विस्तार परियोजना के निहितार्थ और संबंधित चिंताएँ

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार से देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे के विस्तार के लिये शिवालिक एलीफेंट रिज़र्व के संवेदनशील क्षेत्रों का प्रयोग न करने को कहा है।

प्रमुख बिंदु

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन संरक्षण प्रभाग द्वारा यह अवलोकन उत्तराखंड सरकार के उस प्रस्ताव के जवाब में किया गया है, जिसमें जॉली ग्रांट हवाई अड्डे के विस्तार के लिये देहरादून में 87 हेक्टेयर वन भूमि प्रदान करने की बात की गई थी।
  • वन संरक्षण प्रभाग के अनुसार, इस प्रस्ताव के तहत शामिल किया गया क्षेत्र ‘हाई कंज़र्वेशन वैल्यू’ (High Conservation Value) क्षेत्र है, और यदि हवाईअड्डे के विस्तार के लिये इसका प्रयोग किया जाता है तो इससे मौजूदा रनवे और नदी के बीच स्थित वनों का विखंडन हो सकता है।

हाई कंज़र्वेशन वैल्यू (High Conservation Value)

  • हाई कंज़र्वेशन वैल्यू क्षेत्र ऐसे प्राकृतिक क्षेत्र होते हैं, जो अपने उच्च जैविक, पारिस्थितिक, सामाजिक अथवा सांस्कृतिक मूल्यों के कारण काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं, इसलिये इन क्षेत्रों की महत्ता बरकरार रखने हेतु इन्हें उचित रूप से प्रबंधित करने की आवश्यकता होती है।

पृष्ठभूमि

  • हाल ही में उत्तराखंड मंत्रीमंडल ने चिनूक (Chinooks) हवाई जहाज़ के संचालन के लिये केदारनाथ मंदिर में एक हेलीपैड के विस्तार के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी थी। हालाँकि इस हेलीपैड का सर्दियों के मौसम में प्रयोग नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस दौरान यह क्षेत्र पूरी तरह से बर्फ से कवर हो जाता है। 
    • ऐसी स्थिति से निपटने के लिये राज्य सरकार देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे के विस्तार की योजना बना रही थी। रणनीतिक दृष्टिकोण के अलावा इस हवाईअड्डे के विस्तार का एक अन्य उद्देश्य इसे अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के रूप में पहचान प्रदान करना है।
  • विस्तार परियोजना के अंतर्गत हवाई अड्डे और पार्किंग क्षेत्र का विकास, तथा एक नया हवाई अड्डा यातायात नियंत्रण टॉवर का निर्माण करना शामिल है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिये मौजूदा रनवे को 3.5 किमी तक विस्तारित किया जाएगा।
  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि हवाईअड्डे के विस्तार के लिये चुना गया क्षेत्र शिवालिक एलीफेंट रिज़र्व का एक हिस्सा है और यह राजाजी नेशनल पार्क के 10 किलोमीटर के दायरे में आता है।

संबंधित चिंताएँ

  • कई पर्यावरण विशेषज्ञों ने यह चिंता ज़ाहिर की है कि हवाईअड्डे के विस्तार से इसके आस-पास के वन क्षेत्रों में सैकड़ों वन्यजीव प्रजातियों पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • एक अनुमान के अनुसार, इस परियोजना के कारण आस-पास के क्षेत्रों में 10000 पेड़ काटे जा सकते हैं। भूकंप ज़ोनिंग मैप के अनुसार, उत्तराखंड भूकंप की दृष्टि से काफी संवेदनशील क्षेत्रों में आता है, और यदि यहाँ पेड़ उखाड़े जाते हैं तो इससे मिट्टी का क्षरण होगा, अनगिनत लोगों का जीवन खतरे में आ सकता है।
  • इस परियोजना से शिवालिक एलीफेंट रिज़र्व में हाथियों का मुक्त आवागमन प्रभावित होगा।

शिवालिक एलीफेंट रिज़र्व

  • शिवालिक एलीफेंट रिज़र्व को वर्ष 2002 में ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ के तहत देश का 11वाँ टाइगर रिज़र्व अधिसूचित किया गया था। 
    • प्रोजेक्ट एलीफेंट एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे वर्ष 1992 में हाथियों के आवास एवं गलियारों की सुरक्षा के लिये लॉन्च किया गया था।
  • कंसोरा-बड़कोट एलीफेंट गलियारा भी इसके पास स्थित है।
  • शिवालिक एलीफेंट रिज़र्व को भारत में पाए जाने वाले हाथियों के सबसे उच्च घनत्त्व वाले एलीफेंट रिज़र्व में से एक माना जाता है।

आगे की राह

  • यद्यपि हवाईअड्डे के विस्तार की परियोजना रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हो सकती है, किंतु यहाँ यह याद रखना आवश्यक है कि शिवालिक एलीफेंट रिज़र्व उत्तराखंड का जैव विविधता हब है और यहाँ तमाम जानवर खासतौर पर हाथी और तेंदुए आदि निवास करते हैं।
  • इन कानूनों को पारित करने से पहले सरकार को इस तथ्य पर भी विचार करना चाहिये कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) और क्योटो प्रोटोकॉल जैसे वैश्विक जलवायु समझौतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताएँ व्यक्त की हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2