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ऑनलाइन बिक्री हेतु कड़े किये गए नियम

  • 27 Dec 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केंद्र सरकार ने कहा है कि ई-कॉमर्स कंपनियों (e-commerce companies) को उन फर्मों से उत्पाद बेचने पर रोक लगाईं जाएगी जिनमें उनकी ‘हिस्सेदारी’ या उन पर ‘नियंत्रण’ है।

मंत्रालय का रुख?

  • वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) ने समेकित एफडीआई नीति परिपत्र 2017 (Consolidated FDI Policy Circular 2017) के संबंध में इसे एक स्पष्टीकरण के रूप में जारी किया है। यह स्पष्टीकरण पहले की नीति में खामियों को दूर करने पर लक्षित है।
  • वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, ई-कॉमर्स के ‘मार्केटप्लेस मॉडल (marketplace model)’ में स्वचालित प्रक्रिया के तहत 100% एफडीआई की अनुमति है। ई-कॉमर्स के ‘इन्वेंट्री-आधारित मॉडल (inventory-based model)’ में FDI की अनुमति नहीं है।

नियंत्रण से तात्पर्य

  • ‘इन्वेंट्री-आधारित मॉडल’

♦ किसी भी ई-कॉमर्स को ‘इन्वेंट्री-आधारित मॉडल’ तब कहा जाता है जब उपभोक्ताओं को बेची जाने वाली ‘वस्तु एवं सेवा’ पर ई-कॉमर्स इकाई का ही स्वामित्व हो।

  • ‘मार्केटप्लेस मॉडल’

♦ किसी भी ई-कॉमर्स को ‘मार्केटप्लेस मॉडल’ तब कहा जाता है जब कोई ई-कॉमर्स कंपनी खरीदार और विक्रेता के बीच एक सुविधा प्रदाता (Service Provider) के रूप में मात्र एक सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) प्लेटफॉर्म प्रदान करती है।

  • मंत्रालय का रुख उक्त परिभाषाओं से ही स्पष्ट हो जाता है। मंत्रालय के अनुसार, मार्केटप्लेस उपलब्ध कराने वाली ई-कॉमर्स इकाई बेचे जानी वाली किसी भी वस्तु या सेवा पर स्वामित्व या नियंत्रण कायम नहीं करेगी।
  • इन्वेंट्री पर इस तरह का स्वामित्व या नियंत्रण ‘मार्केटप्लेस मॉडल’ को इन्वेंट्री-आधारित मॉडल व्यापार के रूप में संदर्भित करेगा।
  • यदि किसी विक्रेता की 25% से अधिक बिक्री ‘ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस’ इकाई विशिष्ट या उस समूह की अन्य कंपनियों से हो रही हो तो उस विक्रेता की इन्वेंट्री को ‘ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस’ इकाई विशिष्ट द्वारा नियंत्रित माना जाएगा ।

मंत्रालय के निर्देश

  • मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण में यह भी कहा गया है कि एक ‘ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस’ किसी भी विक्रेता को अपने प्लेटफॉर्म पर किसी भी उत्पाद को बेचने के लिये मजबूर नहीं करेगा।
  • ‘ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस इकाई’ को हर साल 30 सितंबर तक वैधानिक लेखा परीक्षक (statutory auditor) की रिपोर्ट के साथ एक प्रमाण पत्र भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करना आवश्यक होगा, जिसमें सभी दिशा-निर्देशों के अनुपालन की पुष्टि होगी।

स्रोत-द हिंदू

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