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प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना पर अध्ययन-रिपोर्ट

  • 06 Feb 2019
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana- PMUY) पर तैयार की गई अध्ययन-रिपोर्ट पंजीकरण के बाद पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सौंपी गई।

अध्ययन-रिपोर्ट के बारे में

  • अध्ययन-रिर्पोट का शीर्षक ‘लाइटिंग अप लाईव्ज थ्रू कुकिंग गैस एंड ट्रांसफॉर्मिंग सोसाइटी’ (Lighting up Lives through Cooking Gas and transforming Society) है और इसमें देश के सबसे बड़े सामाजिक परिवर्तन कार्यक्रमों में शामिल प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का सफर पेश किया गया है।
  • यह रिर्पोट प्रोफेसर एस. के. बरुआ (S.K. Barua) ने तैयार की है, जो IIM अहमदाबाद के पूर्व निदेशक हैं।
  • इस अध्ययन में बताया गया है कि किस तरह रसोई गैस ने गरीबों के जीवन को बदला है और सामाजिक-आर्थिक समावेश के ज़रिये उन्हें शक्ति संपन्न बनाया है।
  • अध्ययन रिर्पोट में योजना के पूरे सफर के बारे में जानकारी दी गई है और बताया गया है कि इस योजना की बदौलत पहली बार रसोई गैस का इस्तेमाल करने वालों को कितना लाभ हुआ।
  • अध्ययन रिपोर्ट के लेखक और उनके दल ने लाभार्थियों के साथ विस्तार से बातचीत के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है।
  • अध्ययन रिर्पोट को पंजीकृत कर लिया गया है और अब दुनिया भर के प्रबंधन संस्थानों में इसका उपयोग किया जा सकता है।
  • यह अध्ययन रिपोर्ट अब विश्व के सामने है और विश्व के देश इस योजना के संबंध में भारत के अनुभवों से लाभ उठा सकते हैं। इस तरह प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना कई देशों के लिये आदर्श के रूप में सामने आएगी।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)

  • BPL (Below Poverty Line) यानी गरीबी रेखा से नीचे गुज़र-बसर करने वाले परिवारों की महिलाओं को निःशुल्क LPG कनेक्शन देने के लिये प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 10 मार्च, 2016 को ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ को स्वीकृति दी थी।
  • इस योजना की शुरुआत 1 मई, 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से हुई थी।
  • इस योजना में नया LPG कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिये 1600 रुपए की नकद सहायता देना शामिल है और यह सहायता राशि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।

अध्ययन-रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • सरकारी तंत्र, सरकारी स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों (Oil Marketing Companies- OMCs) और बैंकिंग प्रणाली के बीच उत्कृष्ट समन्वय के माध्यम से इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन का पैमाना तैयार किया गया जिसने इस कार्यक्रम को गति प्रदान की।
  • केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के अधिकारियों एवं ग्राम प्रधानों (सरपंचों) के प्रतिनिधित्त्व वाली सरकारी प्रणाली ने BPL लाभार्थियों की पहचान करने और लोगों को खाना पकाने के लिये प्रयुक्त होने वाले पारंपरिक ईंधन के स्थान पर LPG के उपयोग करने के विचार को स्वीकार करने में मदद की है।
  • OMCs (कार्यान्वयन में शामिल तीन कंपनियाँ IOCL, BPCL और HPCL) ने खाना पकाने के लिये प्रयुक्त होने वाले गैस सिलिंडर की बॉटलिंग और वितरण के लिये आवश्यक मज़बूत लॉजिस्टिक सिस्टम का निर्माण किया। उन्होंने पूरी प्रणाली के लिये आसान लेन-देन और रिकॉर्ड रखने हेतु आवश्यक IT प्लेटफॉर्म भी स्थापित किया।
  • बैंकों ने सरकार की तरफ से सब्सिडी उपलब्ध कराने और लेखांकन सहित धन के प्रवाह के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा प्रदान किया।
  • PMUY स्पष्ट रूप से इस तरह के चुनौतीपूर्ण वातावरण में दुनिया में कहीं भी निष्पादित सबसे बड़ी सामाजिक मध्यवर्ती योजनाओं में से एक है। इसका सफल कार्यान्वयन इस प्रकार के अन्य मध्यवर्ती योजनाओं के प्रबंधन हेतु अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

आगे की राह

  • PMUY को ऐसे समय में लागू किया गया है जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल और रसोई गैस की कीमतें देश की अर्थव्यवस्था के अनुकूल हैं। लेकिन यदि भविष्य में इन कीमतों में वृद्धि होती है तो संभवतः LPG का उपयोग करना BPL परिवारों के लिये महँगा हो सकता है। लागत बढ़ने से ये परिवार फिर से पारंपरिक इंधन के उपयोग की ओर अग्रसर हो सकते हैं। इस तरह के पलायन को रोकने के लिये सरकार को ऊर्जा सब्सिडी के लिये अधिक धनराशि निर्धारित करनी होगी।
    सरकार को ऐसी स्थिति का सामना करने के लिये नीतिगत विकल्प चुनने पर भी विचार करना होगा।
  • सौर ऊर्जा समय के साथ सस्ती होती जा रही है और भारत में वर्ष भर पर्याप्त धूप उपलब्ध होती है। ऐसे में दूर-दराज़ के क्षेत्रों में सौर-पैनलों को आसानी से लगाया भी जा सकता है। ऐसे में सौर ऊर्जा भविष्य में प्राथमिक ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोत बन सकती है। यदि ऐसा होता है, तो खाना पकाने के लिये LPG से सौर ऊर्जा की ओर अग्रसर होने के लिये किस प्रकार की नीतियों को अपनाया जाना चाहिये इस पर विचार करना भी आवश्यक है।
  • उज्ज्वला ने महिलाओं (साथ ही पुरुषों, जो ईंधन के लिये लकड़ी इकट्ठा करने में समय खर्च करते थे) का काफी समय बचाया है क्योंकि खाना पकाने में अब पहले की तुलना में कम समय लगता है और LPG की प्राप्ति में भी बहुत समय नहीं लगता है। अतः सरकार को इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या इस बचे हुए समय का उपयोग ग्रामीण घरेलू आय को बढ़ाने के लिये किया जा सकता है यदि हाँ तो कैसे?

तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन कराने का सुझाव

  • कार्यक्रम के प्रभाव का आकलन किसी विश्वसनीय तीसरे पक्ष द्वारा किया जाना अधिक उपयोगी होगा। भले ही सरकार और OMCs द्वारा किये गए आंतरिक मूल्यांकन ने यह संकेत दिया था कि इस योजना के महत्त्वपूर्ण लाभ प्राप्त हुए हैं लेकिन कार्यक्रम के प्रभाव का आकलन किसी विश्वसनीय तीसरे पक्ष द्वारा किया जाना अधिक उपयोगी होगा क्योंकि तीसरे पक्ष द्वारा किया गया मूल्यांकन अधिक विश्वसनीय होगा।

स्रोत : पी.आई.बी.

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