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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

नियामकों के अभाव में चलाई जाने वाली संदिग्ध योजनाओं पर लगेगी लगाम

  • 02 Feb 2017
  • 4 min read

 सन्दर्भ

आम जनता एवं गरीबों की गाढ़ी कमाई लूटने वाली दगाबाज कंपनियाँ और राजनेताओं की मिली भगत से पोंजी स्कीम चलाने वाली कंपनियों पर लगाम लगाने के लिये केंद्र सरकार कमर कस चुकी है। सरकार इन कंपनियों पर ताला लगाने के लिये एक व्यापक कानून ला रही है।

लाए जा रहे कानून की मुख्य विशेषता

  • यह कानून पोंजी स्कीम या इस तरह की अन्य योजनाएँ चलाने वाली सभी वित्तीय कंपनियों पर नियंत्रण के संबंध में राज्यों की भूमिका को सीमित कर देगा, साथ ही, इस सन्दर्भ में केंद्र सरकार के अधिकार बढ़ाए जाएंगे। इस तरह से देश में सारधा समूह जैसी कंपनियों का सफाया हो सकेगा जिनकी वजह से लाखों परिवार खून पसीने की कमाई गँवा बैठते हैं।
  • बहुद्देशीय सहकारी समितियाँ कानून, 2002 में संशोधन लाया जाएगा, इस संशोधन का एक प्रमुख उद्देश्य सहकारी समितियों के सदस्यों के हितों की रक्षा करना भी है।

क्यों लाया जा रहा है यह कानून? 

  • अधिकांशतः पोंजी स्कीम में जमाकर्त्ताओं को ऐसी कम्पनियों द्वारा लाभांश प्राप्त करने का सपना दिखाया जाता है जो वास्तव में आस्तित्व में ही नहीं होती हैं।
  • पर्याप्त लाभ और आय न मिलने की स्थिति में पोंजी स्कीम आरम्भ करने वाले समूह जमाकर्त्ताओं के धन का उपयोग अपने उधार चुकाने में करते हैं। फलस्वरूप वे जमाकर्त्ताओं का पैसा कभी नहीं चुका पाते, इसका परिणाम यह होता है कि लाखों परिवार अपनी खून-पसीने की कमाई गँवा बैठते हैं।

वर्तमान स्थिति

  • वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में ही नियामकों के अभाव में चलाई जा रही संदिग्ध योजनाओं के सन्दर्भ में प्रभावी कदम उठाने की घोषणा की थी, लेकिन इस बार बजट पेश करने के दौरान पक्के तौर पर बताया गया है कि अब जल्द ही इस बारे में नया कानून लागू होगा। बहुद्देशीय सहकारी समितियाँ कानून, 2002 में संशोधन का प्रस्ताव तैयार है और इस पर आम जनता व अन्य विशेषज्ञों से राय ली जा रही है।
  • आम बजट 2017-18 पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा है कि बहुद्देशीय सहकारी समितियाँ कानून, 2002 की खामियों की आड़ में गरीब व अन्जान जनता को संदिग्ध योजनाओं से बचाने के लिये यह कानून बेहद कारगर साबित होगा। गौरतलब है कि सरकार इस नए कानून को 'क्लीन इंडिया' अभियान के तहत लागू करेगी।

निष्कर्ष

  • गौरतलब है कि संसद की स्थायी समिति ने 7 अक्तूबर को लोक सभा अध्यक्ष के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की थी और कहा था कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाली बहु राज्यीय सहकारी समितियों में नियामकों का अभाव है, जिसके चलते ये समितियाँ अवैध धन का आश्रय स्थल भी बन गई थीं| अतः सरकार का यह कदम आम जनता के हित में तो है ही, साथ में यह देश के वित्तीय ढाँचे को भी मज़बूत करेगा।
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