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भारतीय अर्थव्यवस्था

सोशल स्टॉक एक्सचेंज

  • 02 Jun 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये

सोशल स्टॉक एक्सचेंज

मेन्स के लिये

समिति की प्रमुख सिफारिशें, सोशल स्टॉक एक्सचेंज की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) द्वारा गठित कार्यकारी समूह ने गैर-लाभकारी संगठनों (Non-Profit Organisations) को बॉण्ड जारी करके सीधे सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Stock Exchanges-SSE) पर सीधे सूचीबद्ध होने की अनुमति देने की सिफारिश की है।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने सामाजिक उद्यम और स्वैच्छिक संगठनों (Voluntary Organisations) को सूचीबद्ध करने के लिये SEBI के विनियामक दायरे के तहत एक सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) गठित करने की दिशा में कदम उठाने का प्रस्ताव दिया था।
  • वित्त मंत्री के निर्देशानुसार, SEBI सितंबर, 2019 में इशरात हुसैन की अध्यक्षता में सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Stock Exchanges-SSE) पर एक कार्यकारी समूह का गठन किया था, जिसमें सामाजिक कल्याण (Social Welfare) की दिशा में सक्रिय हितधारक तथा वित्त मंत्रालय, स्टॉक एक्सचेंज और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे।
  • इस कार्यकारी समूह ने देश में सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) के निर्माण के लिये निम्नलिखित सिफारिशें की हैं-
    • गैर-लाभकारी संगठन सीधे बॉण्ड जारी करने के माध्यम से SSE पर सूचीबद्ध हो सकते हैं।
    • वैकल्पिक निवेश कोष (Alternative Investment Funds) के तहत कुछ मौजूदा तंत्रों जैसे कि सामाजिक उद्यम निधि (Social Venture Funds-SVFs) समेत विभिन्न फंडिंग तंत्रों की सिफारिश की गई है।
    • उन संगठनों के लिये एक नया न्यूनतम रिपोर्टिंग मानक प्रस्तावित किया गया है जो SSE के तहत धन एकत्रित करेंगे। 
    • इसके अतिरिक्त कार्यकारी समूह ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) पर भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिये कुछ कर प्रोत्साहन देने की भी सिफारिश की है।
    • कार्यकारी समूह ने प्रतिभूति लेन-देन कर (Securities Transaction Tax-STT) और पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax-CGT) को समाप्त करने की सिफारिश की है।
    • साथ ही परोपकारी दानकर्त्ताओं (Philanthropic Donors) को 100 प्रतिशत कर छूट देने की भी सिफारिश की गई है।
    • कार्यकारी समूह के अनुसार, लाभ कमाने वाले सामाजिक संगठन भी सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) पर सूचीबद्ध हो सकेंगे, किंतु उन्हें कुछ अधिक रिपोर्टिंग मानकों का पालन करना होगा।

सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) की अवधारणा

  • सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो निवेशकों को सामाजिक उद्यमों में शेयर खरीदने की अनुमति देता है।
  • केंद्रीय बजट-2019 में भारत में अपनी तरह के पहले सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया था।
  • इस संबंध में घोषणा करते हुए वित्तीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ‘यह समय पूंजी बाज़ार को आम जनता के और अधिक करीब ले जाने और समावेशी विकास तथा वित्तीय समावेशन से संबंधित विभिन्न सामाजिक कल्याण उद्देश्यों को पूरा करने का समय है।
  • अपने गठन के बाद सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) एक सामान्य मंच के रूप में कार्य करेगा जहाँ सामाजिक उद्यम आम जनता और निवेशकों से धन जुटा सकते हैं।
  • यह देश के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज जैसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) आदि की तर्ज पर ही कार्य करेगा, हालाँकि सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) का उद्देश्य लाभ कमाना न होकर सामाजिक कल्याण करना होगा।

सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) की आवश्यकता

  • संयुक्त राष्ट्र जैसे विभिन्न वैश्विक निकायों द्वारा निर्धारित मानव विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिये आगामी वर्षों में भारत को बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होगी और यह केवल सरकारी व्यय अथवा निवेश के माध्यम से नहीं किया जा सकता है।
  • सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले निजी उद्यमों को भी अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • वर्तमान में, भारत में सामाजिक उद्यम बहुत सक्रिय हैं, हालाँकि उन्हें धन जुटाने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है आम निवेशकों में विश्वास की कमी।
  • इस विषय पर प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक संपन्न सामाजिक उद्यम पारिस्थितिकी तंत्र है, हालाँकि देश में कई संगठनों को अपनी ज़रूरत की पूंजी प्राप्त करने के लिये संघर्ष का सामना करना पड़ता है।
  • सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) एक ऐसा मंच प्रदान करने का प्रयास करेगा जहाँ निवेशक स्टॉक एक्सचेंज द्वारा अधिकृत सामाजिक उद्यमों में निवेश कर सकेंगे, जिससे निवेशकों में विश्वास पैदा होगा।
    • ऐसे सामाजिक उद्यमों को अपनी गतिविधियों और निवेशों का विवरण पारदर्शी तरीके से आम जनता के साथ साझा करना होगा।

आगे की राह

  • आँकड़ों के अनुसार, भारत में दो मिलियन से भी अधिक सामाजिक उद्यम हैं। इसलिये सामाजिक उद्यमों हेतु सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) का निर्माण करते समय काफी सावधानीपूर्वक योजना के निर्माण की आवश्यकता है।
  • इस संबंध में विश्व के अन्य देशों द्वारा प्रयोग किये जा रहे मॉडल का भी अध्ययन किया जा सकता है और उसे भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप परिवर्तित किया जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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