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शासन व्यवस्था

उत्तर-पूर्वी राज्यों के ज़िला परिषदों को स्वायत्तता

  • 24 Jan 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा उत्तर-पूर्वी राज्यों - असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा में ज़िला परिषदों की स्वायत्तता और वित्तीय संसाधनों तथा कार्यकारी शक्तियों को बढ़ाने के लिये अनुच्छेद 280 एवं संविधान की छठी अनुसूची में संशोधन की मंजूरी दी गई है।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • केंद्र के अनुसार, यह संशोधन असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में रहने वाले लगभग 1 करोड़ आदिवासियों की आबादी को प्रभावित करेगा।
  • इसके अनुसार किये जाने वाले संशोधन से असम, मिज़ोरम और त्रिपुरा में गाँवों एवं नगरपालिका परिषदों में महिलाओं के लिये 30% आरक्षण सुनिश्चित हो जाएगा।
  • सरकार द्वारा दिये गए एक आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया गया है कि अब वित्त आयोग द्वारा ज़िला परिषदों के वित्तीय संसाधनों से विकास कार्य किया जाएगा। अब तक स्वायत्त परिषदें केंद्रीय मंत्रालयों और विशिष्ट परियोजनाओं के लिये राज्य सरकारों के अनुदान पर निर्भर थीं।
  • इस संशोधन के अनुसार, असम में स्थित कार्बी आंग्लोंग स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद और दीमा हसाओ स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद में सार्वजनिक कार्य, वन, सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, शहरी विकास तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग सहित अन्य 30 विषयों को भी स्थानांतरित करने का प्रावधान किया गया है।
  • इस ऐतिहासिक संशोधन का महत्त्वपूर्ण कार्य असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा राज्यों में स्वायत्त ज़िला परिषदों के वित्तीय संसाधनों और शक्तियों में सुधार करना है जिसकी मांग पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी आबादी द्वारा बहुत लंबे समय से की जा रही है।

संशोधन से लाभ

  • प्रस्तावित संशोधन द्वारा चुने हुए ग्रामों एवं नगरपालिका परिषदों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र सुनिश्चित होगा।
  • ग्राम सभाओं को उनके कृषि, भूमि सुधार, भूमि सुधारों के कार्यान्वयन, लघु सिंचाई, जल प्रबंधन, पशुपालन, ग्रामीण विद्युतीकरण, लघु उद्योग और सामाजिक वानिकी सहित आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की योजना तैयार करने की स्वायत्तता होगी।
  • राज्य चुनाव आयोग असम, मिज़ोरम और त्रिपुरा क्षेत्रों में स्वायत्त परिषदों, ग्राम और नगरपालिका परिषदों का चुनाव संपन्न करेगा। इसके अंतर्गत दलबदल विरोध के लिये भी प्रावधान किया जाएगा।
  • मेघालय में कुछ समय के लिये कुछ चुने हुए ग्राम एवं नगरपालिका परिषदों के निर्वाचन में महिलाओं हेतु एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

उद्देश्य

  • संशोधन में कुछ मौजूदा स्वायत्त परिषदों का नाम परिवर्तन का प्रस्ताव किया गया है क्योंकि इन परिषदों का वर्तमान क्षेत्राधिकार एक से अधिक ज़िलों में है इनमें कुछ परिषदें निम्नलिखित हैं - करबी आंगलोंग स्वायत्त प्रादेशिक परिषद (KAATC), दीमा हसाओ स्वायत्त प्रादेशिक परिषद (DHATC), गारो हिल्स स्वायत्तशासी प्रादेशिक परिषद (GHATC), खासी हिल्स स्वायत्त प्रादेशिक परिषद (KHATC), जयंतिया हिल्स स्वायत्तशासी प्रादेशिक परिषद (JHATC), त्रिपुरा ट्राइबल एरिया ऑटोनॉमस टेरिटोरियल काउंसिल (TTAATC)।
  • इस प्रकार स्वायत्त प्रादेशिक परिषदों की सीटों की संख्या में भी वृद्धि होगी जैसे कि - KAATC (30 से 50), DHATC (30 से 40), GHATC (30 से 42), KHATC (30 से 40) और JHATC (30 से 34)।

स्रोत – द हिंदू,लाइवमिंट

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