लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

विविध

वैश्विक कैंसर रिपोर्ट : भारत के संबंध में क्या असंगत है?

  • 06 Jun 2018
  • 7 min read

संदर्भ

जामा ऑन्कोलॉजी (Jama Oncology) के हालिया शोध पत्र में इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (Institute of Health Metrics and Evaluation-IHME) के शोधकर्त्ताओं ने 2016 में 195 देशों में नए कैंसर के मामलों का विश्लेषण किया है|

भारत के संबंध में असंगत विश्लेषण 

  • शोध पत्र के मुताबिक वैश्विक रूप से प्रति 100,000 लोगों में 106.6 नए कैंसर के मामले सामने आए हैं|  भारत को सबसे कम कैंसर की घटना वाले देशों में 10वें स्थान पर रखा गया है।
  • भारतीय अनुसंधान शोध दल के मुताबिक यह शोध भारत के संबंध में असंगत प्रतीत होता है क्योंकि इसमें भारत के लिये इस बहुत बड़ी समस्या को छोटा करके आँका गया है जबकि राज्यों के स्तर पर कैंसर के मामलों को देखते हुए एक विस्तृत विश्लेषण किये जाने की ज़रूरत है।
  • IHME में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज टीम द्वारा की गई भारत की रैंकिंग में भिन्नता हो सकती है, जबकि सच्चाई यह है कि यह भारत की पूर्ण कैंसर की कहानी नहीं बताती है।
  • उदाहरण के लिये ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में भारत में कैंसर की घटनाएँ बहुत कम हो सकती हैं  लेकिन मृत्यु दर इन देशों के लगभग बराबर है।

लासेंट ऑन्कोलॉजी शोध रिपोर्ट का विश्लेषण 

  • द लासेंट ऑन्कोलॉजी में 2014 के एक लेख में  भारतीय कैंसर केंद्रों के शोधकर्त्ताओं ने लिखा है कि कैंसर के लिये आयु-समायोजित घटना दर जनसांख्यिकीय रूप से इस युवा देश में अभी भी काफी कम है।
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, 1.2 अरब की आबादी वाले इस देश में हर साल कैंसर के 1 मिलियन से अधिक नए मामलों की पहचान की जाती है।
  • भारत में 2012 में अनुमानित 600,000-700,000 मौतें कैंसर के कारण हुई थीं।
  • आयु-मानकीकृत के संदर्भ में  यह आँकड़ा उच्च आय वाले देशों में देखे गए मृत्यु दर के करीब है।
  • ऐसे आँकड़े आंशिक रूप से शुरुआती चरण की पहचान में देरी और खराब उपचार परिणामों के संकेतक हैं।

फ्रेड हचिसन कैंसर रिसर्च सेंटर का विश्लेषण 

  • फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर (Fred Hutchinson Cancer Reaserch Centre) ने भी IHME के कैंसर की घटनाओं पर किये गए शोध का विश्लेषण किया है|
  • इसमें कहा गया है कि जिन महिलाओं में स्तन कैंसर की पहचान की गई है उनमें से 60% महिलाओं में कैंसर के लक्षण नहीं थे फिर भी वे स्क्रीनिंग के लिये गईं और उनमें से अधिकतर महिलाओं में लक्षण शुरुआती चरण में थे और उनका उपचार संभव था| 

देश में कैंसर स्क्रीनिंग की दयनीय स्थिति 

  • 2008 में कैंसर, मधुमेह, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक (NPCDCS) की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत पायलट चरण में शुरू की गई थी जिसके अंतर्गत प्रमुख एजेंडा के रूप में कैंसर स्क्रीनिंग को शामिल किया गया था।
  • 2017 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 100 ज़िलों में सार्वभौमिक कैंसर स्क्रीनिंग के रोलआउट करने और कर्मियों को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम शुरू की थी जिसकी प्रगति के संबंध में कोई जानकारी नहीं है| 
  • अर्न्स्ट एंड यंग द्वारा कैंसर पर 2015 के एक शोध के अनुसार रिपोर्ट और वास्तविक घटनाओं के बीच का अंतर प्राथमिक रूप से भारत में कैंसर के निदान के लिये जिम्मेदार ठहराया जा सकता है  जो कि बीमारी की प्रस्तुतीकरण के अपेक्षाकृत देर के चरण में प्रकट होता है।
  • 2009 और 2011 के बीच एकत्र किये गए आँकड़ों से पता चलता है कि भारत में बीमारी का शुरुआती चरण (यानी चरण 1 या चरण II) में केवल 43% स्तन कैंसर के मामलों की पहचान की गई थी, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन और चीन में क्रमशः 62%, 81% और 72% स्तन कैंसर के रोगों की पहचान की गई।
  • भारत में कैंसर रोग की पहचान आमतौर पर अन्य देशों की तुलना में अधिक देरी से होती है जिसमें चरण 1 और II में केवल 20-30% कैंसर की पहचान की जाती है  जो कि अमेरिका, ब्रिटेन और चीन की तुलना में आधे से भी कम है।
  • इस साल की शुरुआत में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च के शोधकर्त्ताओं ने द लासेंट ऑन्कोलॉजी में एक शोध पत्र प्रकाशित किया था जिसमें कहा गया था कि भारत में कैंसर निदान का अनुपात महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक है जो कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में 25% अधिक घटनाओं के विश्वव्यापी आयु-मानकीकृत कैंसर की घटनाओं के विपरीत है।
  • भारत की महिलाओं में 70% से अधिक कैंसर के लिये संचयी रूप से, स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, डिम्ब ग्रंथि और गर्भाशय कैंसर ज़िम्मेदार है|
  • कैंसर के बढ़ते मामले कैंसर देखभाल में उपयुक्त पहुँच की कमी और बीमारी से निपटने के लिये प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी के चलते और जटिल होते जा रहे हैं।
  • भारत में केवल 200-250 व्यापक कैंसर देखभाल केंद्र हैं जिनमें से 40% आठ महानगरीय शहरों में मौजूद हैं और सरकार द्वारा संचालित 15% से कम हैं।
  • देश में 1,600 नए कैंसर रोगियों पर केवल एक ऑन्कोलॉजिस्ट है, जबकि अमेरिका और ब्रिटेन में क्रमशः प्रति 100 और 400 नए कैंसर रोगियों पर एक ऑन्कोलॉजिस्ट है|
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2