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जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन पर 28वीं मंत्रिमंडलीय बैठक

  • 19 Aug 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (United Nations Framework Convention on Climate Change-UNFCC) की कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP-25) की बैठक का आयोजन दिसंबर 2019 में सुनिश्चित किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि इस संदर्भ में बेसिक (BASIC) देशों- ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, भारत एवं चीन ने 14 से 16 अगस्त तक जलवायु परिवर्तन पर अपनी 28वीं मंत्रिस्तरीय बैठक साओ पोलो (ब्राज़ील) में आयोजित की गई।
  • सभी देशों द्वारा पेरिस समझौते को स्वीकार करने में BASIC समूह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • बैठक के अंतिम दिन BASIC समूह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन से संबंधित अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का प्रयास करने चाहिये, ताकि अल्पविकसित एवं विकासशील देशों पर उत्सर्जन को कम करने हेतु वित्तीय बोझ कम किया जा सके।
  • BASIC देशों ने संयुक्त रूप से विकसित देशों से विकासशील देशों के लिये वर्ष 2020 तक सालाना 100 अरब डॉलर जुटाने का अपना वादा पूरा करने का आग्रह किया है।
  • विकासशील देश यह संभावना व्यक्त कर रहे हैं कि ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) के तहत विकसित देशों द्वारा वर्ष 2020 तक विकासशील देशों को शमन (Mitigation) और अनुकूलन (Adaptation) की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये विभिन्न स्रोतों से संयुक्त रूप से प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर प्रदान किये जाएंगे।
  • ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन में दुनिया के भौगोलिक क्षेत्र का एक-तिहाई भाग है और दुनिया की आबादी का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं देशों में निवास करता है, अतः जलवायु परिवर्तन से संबंधित खतरों से लड़ने में ये देश बहुत योगदान कर सकते हैं।

BASIC समूह

यह 4 विकासशील देशों - ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन द्वारा 28 नवंबर, 2009 को बनाया गया एक समूह है जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये धारणीय उपायों पर चर्चा करना है।

हरित जलवायु कोष (GCF)

  • यह UNFCCC के तहत् एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है।
  • वर्ष 2009 में कोपेनहेगन में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हरित जलवायु कोष के गठन का प्रस्ताव किया गया था जिसे वर्ष 2011 में डरबन में हुए सम्मेलन में स्वीकार कर लिया गया।
  • यह कोष विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये सहायता राशि उपलब्ध कराता है।
  • कोपेनहेगेन व कॉनकुन समझौते में विकसित देश इस बात पर सहमत हुए थे कि वर्ष 2020 तक लोक व निजी वित्त के रूप में हरित जलवायु कोष के तहत विकासशील देशों को 100 बिलियन डॉलर उपलब्ध कराया जाएगा।
  • वहीं 19वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में वर्ष 2016 तक 70 बिलियन डॉलर देने का लक्ष्य तय किया गया जिसे विकासशील राष्ट्रों ने अस्वीकार कर दिया।
  • उल्लेखनीय है कि नवंबर 2010 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के 16वें सत्र (Cop-16) में स्टैडिंग कमिटी ऑन फाइनेंस के गठन का निर्णय किया गया ताकि विकासशील देशों की ज़रूरतों का ध्यान रखा जा सके।

कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़

(Conference of Parties-COP)

  • यह संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (United Nations Framework Convention on Climate Change-UNFCCC) के हस्ताक्षरकर्त्ता देशों (कम-से-कम 190 देशों) का एक समूह है, जो हर साल जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों को हल करने के उपायों पर चर्चा करने के लिये बैठक आयोजित करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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