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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

‘बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान’ संबंधी मुद्दा

  • 02 May 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान

मेन्स के लिये:

वन्य जीवों के संरक्षण संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान (Bannerghatta Biological Park) ने ‘एनिमल एडॉप्टेशन प्रोग्राम’ (Animal Adoption Programme) के तहत नागरिकों को एक वर्ष के लिये उद्यान के वन्य जीवों को गोद लेने की अनुमति प्रदान की है।

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान के वन्य जीवों को गोद लेने हेतु नागरिकों को कुछ धनराशि अदा करनी होगी।
    • भारतीय कोबरा (Indian Cobra) तथा एशियाई हाथी (Asiatic Elephant) को गोद लेने हेतु प्रति वर्ष क्रमशः 2 हज़ार तथा 1.75 लाख रुपए देना होगा।
    • बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान से किंग कोबरा, जंगली बिल्ली, असमिया लंगूर, काला हिरन, सांभर इत्यादि को एक वर्ष के लिये गोद लिया जा सकता है।
    • उद्यान के अनुसार, वर्तमान में 21 हाथी इंटरनेट के माध्यम से गोद लेने हेतु उपलब्ध हैं। 
  • उद्यान के वन्य जीवों को गोद लेने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये उपहार देने का भी प्रावधान किया गया है। उदाहरण के लिये, उद्यान में निःशुल्क प्रवेश, प्रमाणपत्र, 3 वर्ष के लिये उद्यान के महत्त्वपूर्ण सम्मलेनों में निःशुल्क प्रवेश, इत्यादि।
  • ‘एनिमल एडॉप्टेशन प्रोग्राम’ के अनुसार, उद्यान के वन्य जीवों के भरण-पोषण, चिकित्सीय देखभाल खर्चों में शामिल होने का एक अवसर है जिसमें भाग लेने वाले लोगों हेतु  ‘आयकर अधिनियम’ की धारा 80जी (दान से संबंधित) के तहत कर में छूट देने  का प्रावधान भी है।
  • इस पहल से लोगों को वन्य जीवों के संरक्षण के बारे में जागरूक करने के साथ ही वन्य जीवों के विभिन्न व्यवहारों से अवगत कराया जा सकेगा। 
  • यह पहल वन्यजीवों के उत्तरजीविता संबंधी कारकों को चिह्नित करने, वन्यजीवों के विभिन्न आवास स्थलों की पहचान करने में मदद करेगी। 

भारतीय कोबरा (Indian Cobra):    

  • इसका वैज्ञानिक नाम ‘नाजा नाजा’ (Naja naja) है।
  • यह भारत, श्रीलंका और पाकिस्तान में पाया जाता है।
  • यह साँप आमतौर पर खुले जंगल के किनारों, खेतों और गाँवों के आसपास के क्षेत्रों में रहना पसंद करते हैं।

बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान

(Bannerghatta Biological Park):

  • कर्नाटक के बंगलूरू में स्थित बन्नेरघट्टा उद्यान की स्थापना वर्ष 1972 में की गई थी जिसे वर्ष 1974 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
  • वर्ष 2002 में उद्यान के एक हिस्से को जैविक रिज़र्व बना दिया गया जिसे बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान कहा जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में देश का पहला तितली पार्क यहीं स्थापित किया गया था।
  • यह उद्यान जंगली बिल्लियों, भारतीय तेंदुओं, बाघ, चीतों एवं हाथियों को एक सुरक्षित आवास प्रदान करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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