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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बीस वर्ष पुराने वाणिज्यिक वाहनों पर प्रतिबंध

  • 27 Mar 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा नई वाहन कबाड़ नीति (Vehicle Scrappage Policy) को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है और अब इसे जीएसटी परिषद के समक्ष अनुमोदन के लिये रखा जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • इस नीति के तहत 20 वर्ष से अधिक पुराने वाणिज्यिक वाहनों को अनिवार्य रूप से तोड़कर कबाड़ (Scrappage) में बदला जाएगा। इससे अधिक पुराने वाणिज्यिक वाहनों को सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 
  • इस नीति का लक्ष्य वाणिज्यिक वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिये, इन्हें सड़कों से हटाने के साथ ही ऑटोमोबाइल उद्योग की उच्च बिक्री में सहायता करना है।
  • यह योजना 1 अप्रैल, 2020 से BS-VI उत्सर्जन मानकों के लागू होने के साथ ही कार्यान्वित की जाएगी। 
  • अप्रैल 2020 से नई नीति के लागू होने के बाद वर्ष 2000 से पहले के पंजीकृत सभी वाणिज्यिक वाहनों का पंजीकरण रद्द हो जाएगा।
  • पंजीकरण रद्द होने पर पुराने वाहनों के मालिकों को स्क्रैपेज के अनुसार मूल्य, जीएसटी में छूट और नए वाहन की खरीदारी पर वाहन निर्माताओं से छूट मिल सकती है।
  • हालाँकि, इस तरह की नई रियायतों का अंतिम रूप से निर्धारण किया जाना बाकी है।

पृष्ठभूमि

  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा मई 2016 में जारी नीति के मसौदे में स्क्रैपेज योजना के तहत, लाभ के लिये 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों का उल्लेख किया गया था।
  • लेकिन बाद में इस अवधि को बदलकर 20 वर्ष कर दिया गया। ऐसा नए वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिये ऋण लेने वालों के हितों की रक्षा के लिये लिया गया है।
  • इस योजना को वॉलेंटरी व्हीकल फ्लीट मॉडर्नाइज़ेशन प्रोग्राम नाम दिया गया था जिसके तहत लगभग 2.80 करोड़ प्रदूषणकरी वाहनों को सड़कों से हटाया जाएगा।
  • इसके लिये त्रिस्तरीय प्रोत्साहन प्रणाली पर कार्य किया जा रहा है।
  • अब GST परिषद द्वारा कबाड़ में बदले जाने वाले पुराने वाहनों के स्थान पर खरीदे जाने वाले नए वाणिज्यिक वाहनों पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली छूट का निर्धारण किया जाएगा।
  • GST परिषद् से कबाड़ वाहनों के स्थान पर खरीदे जाने वाले नए कमर्शियल वाहनों पर कर को 28% से घटाकर 18% वाले स्लैब में रखने का अनुरोध किया जाएगा। 

लाभ

  • ऑटोमोबाइल उद्योग के लिये कच्चा माल सस्ते दामों पर उपलब्ध होगा, क्योंकि नए वाहनों के उत्पादन में इन पुराने वाहनों से निकले प्लास्टिक, रबर तथा एल्यूमीनियम, तांबा जैसी धातुओं का प्रयोग किया जाएगा।
  • एक बार, इस नीति के अमल में आने पर केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा स्क्रैपिंग सेंटर खोले जाएंगे और सागरमाला पहल के तहत कांडला जैसे बंदरगाहों के पास कई क्लस्टर्स का विकास किया जाएगा।
  • ये क्लस्टर्स भारत को ग्लोबल स्क्रेप्पिंग के हब के रूप में विकसित करने में सहायता करेंगे और पुराने वाहनों के स्टील, एल्यूमिनियम, कॉपर के पार्ट्स के पुनर्चक्रण का कार्य भी करेंगे जिससे ऑटोमोबाइल पार्ट्स की कीमतों में 30 से 40% तक की कमी आ सकती है।
  • वाहन-जनित प्रदूषण में पुराने वाणिज्यिक वाहनों का हिस्सा 65% तक होता है। इन पर प्रतिबंध लगाने से वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • इस नीति के लागू होने पर सरकार के राजस्व में 10000 करोड़ रुपए तथा नए वाहनों के उत्पादन में 22% तक की बढ़ोतरी होगी।
  • इसके साथ ही 4.5 लाख करोड़ रुपए वाले भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग का आकार बढ़कर 20 लाख करोड़ तक हो जाएगा।

संबंधित मुद्दे 

  • रेटिंग एजेंसियों के मुताबिक, केंद्र की नई वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी का बढ़ती मांग के मामले में ऑटोमोबाइल उद्योग पर किसी भी महत्त्वपूर्ण प्रभाव की संभावना कम है।
  • वाणिज्यिक वाहनों, मुख्य रूप से ट्रक और सामान ढोने वाले हल्के वाणिज्यिक वाहनों की कुल परिचालन अवधि 20 वर्ष किये जाने के प्रस्ताव का मुख्य रूप से देश के आंतरिक इलाकों पर अधिक प्रभाव पड़ेगा।
  • क्योंकि जिन वाहनों का पंजीकरण रद्द होगा, उनमें से ज़्यादातर छोटे शहरों और देश के आंतरिक हिस्सों में परिचालन कर रहे वाहन शामिल होंगे।
  • नई दिल्ली सहित कई शहरों में इतने पुराने वाहनों को शहर की सीमा के अंदर चलाने की अनुमति नहीं है।
  • सितंबर 2017 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 10 वर्ष पुराने डीजल-आधारित वाहनों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सड़कों से हटाने का आदेश दिया था।
  • इस मामले से जुड़े कुछ पक्षों के अनुसार, 2020 से पुराने वाहनों का पंजीकरण रद्द किये जाने से वाहन बाज़ार मज़बूत होगा, लेकिन यह मज़बूती कबाड़ वाहनों के मालिकों को दी जाने वाली रियायतों पर निर्भर करेगी। 
  • कुछ अनुमानों के मुताबिक़, इस प्रतिबंध से लगभग 7 लाख वाहन प्रभावित होंगे। वर्तमान में लगभग 94 लाख वाणिज्यिक वाहन भारतीय सड़कों पर मौजूद हैं, जिनमें वर्ष 2020 के बाद से निरंतर कमी आती जाएगी। 
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