भारतीय राजव्यवस्था
ऑटोक्रेटाइज़ेशन गोज़ वायरल रिपोर्ट
- 13 Mar 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वीडन के वैरायटीज़ ऑफ डेमोक्रेसी (Varieties of Democracy- V-Dem) इंस्टीट्यूट की ऑटोक्रेटाइज़ेशन गोज़ वायरल (Autocratisation Goes Viral) नामक वार्षिक रिपोर्ट में भारत को "चुनावी निरंकुशता" वाले देश के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- यह रिपोर्ट अमेरिकी थिंक टैंक, फ्रीडम हाउस (Freedom House) द्वारा प्रकाशित ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021’ (Freedom in the World 2021) रिपोर्ट में भारत को ‘स्वतंत्र’ (Free) से 'आंशिक रूप से स्वतंत्र' (Partly Free) श्रेणी में शामिल करने के बाद आई है।
प्रमुख बिंदु:
वी-डेम के बारे में:
- वी-डेम इंस्टीट्यूट एक स्वतंत्र शोध संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 2014 में स्वीडिश राजनीतिक वैज्ञानिक स्टैफर्ड लिंडबर्ग द्वारा की गई थी।
- यह 202 देशों के लगभग 30 मिलियन डेटा बिंदुओं के डेटासेट के आधार पर वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र की स्थिति के बारे में अपनी वार्षिक रिपोर्ट तैयार करता है।
वैश्विक परिदृश्य:
- पिछले 10 वर्षों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र, मध्य एशिया, पूर्वी यूरोप और लैटिन अमेरिकी क्षेत्रों में ‘उदार लोकतांत्रिक’ (Liberal Democracies) की स्थिति में वैश्विक स्तर पर गिरावट आई है।
- भारत के अलावा जी-20 देशों में शामिल ब्राज़ील और तुर्की जैसे देश उन शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं जिनका स्थान रैंकिंग में नीचे है।
भारत की स्थिति :
- भारत को पहले एक ‘चुनावी लोकतंत्र’ (Electoral Democracy) देश के रूप में वर्गीकृत किया गया था जिसे नवीनतम रिपोर्ट में ‘चुनावी निरंकुशता’ (Electoral Autocracy) के रूप में वर्गीकृत किया है।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत की स्थिति अब उतनी ही निरंकुश देश की है जितनी कि उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान की है। भारत में निरंकुशता की स्थिति बांग्लादेश और नेपाल दोनों देशों से खराब है ।
- वर्ष 2014 से देश में राजनीतिक अधिकार और नागरिक स्वतंत्रता में गिरावट आई है, जिसमें मानवाधिकार संगठनों पर दबाव बढ़ने के साथ शिक्षाविदों और पत्रकारों को धमकी एवं धर्म के नाम पर मुसलमानों की हत्या सहित बड़े हमलों की आशंका में वृद्धि देखी गई है।
भारत की स्थिति में गिरावट के कारण:
- हाल ही में भारत सरकार द्वारा आलोचकों को चुप कराने तथा आतंकवाद को समाप्त करने के उद्देश्य से राजद्रोह अधिनयम की धारा 124 A, मानहानि अधिनयम (धारा 499) का उपयोग किया गया है।
- सरकार ने नागरिक समाज संगठनों (Civil Society Organisations) के प्रवेश, निकास और कामकाज को प्रतिबंधित करने हेतु विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (Foreign Contributions Regulation Act- FCRA), 2010 का प्रयोग किया है।
- गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक,1967 जैसे कानूनों का बार- बार प्रयोग किया जाना।