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सामाजिक न्याय

ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार

  • 22 Feb 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (Autism Spectrum Disorder-ASD) से ग्रसित महाराष्ट्र की एक 12 वर्षीय लड़की ने अरब सागर को बांद्रा-वर्ली सी लिंक (Bandra-Worli Sea Link) से गेटवे ऑफ इंडिया (मुंबई) तक सफलतापूर्वक तैरकर पार किया।

प्रमुख बिंदु:

  • ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार के बारे में:
    • ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) सामाजिक विकृतियों, संवाद में परेशानी, प्रतिबंधित, व्यवहार का दोहराव और व्यवहार का स्टिरियोटाइप पैटर्न द्वारा पहचाना जाने वाला तंत्रिका विकास संबंधी जटिल विकार है।
    • यह एक जटिल मस्तिष्क विकास विकलांगता (Brain Development Disability) है जो व्यक्ति के जीवन के पहले 3 वर्षों के दौरान उत्पन्न होती है।
    • यह मानसिक मंदता की स्थिति नहीं है क्योंकि ऑटिज़्म से पीड़ित लोग कला, संगीत, लेखन आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट कौशल दिखा सकते हैं। ASD के साथ व्यक्तियों में बौद्धिक कामकाज का स्तर अत्यंत परिवर्तनशील होता है, जो अत्यधिक नुकसान से लेकर श्रेष्ठ स्तर तक होता है।
  • ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार के कारण:
    • एक बच्चे में ASD के संभवतः कई कारक होते हैं जिनमें पर्यावरण और आनुवंशिक कारक शामिल हैं।
  • ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार के लक्षण:
    • ASD से ग्रसित बच्चों में सामाजिक संचार और सहभागिता का अभाव, सीमित रुचियों का होना तथा एक ही व्यवहार को बार-बात दोहराना आदि कुछ मुख्य लक्षण विद्यमान होते हैं।
  • उपचार:
    • हालांँकि ASD का कोई इलाज़ नहीं है फिर भी इसके लक्षणों को देखते हुए उचित चिकित्सा परामर्श प्रदान किया जा सकता है। इनमें लक्षणों के आधार पर मनोवैज्ञानिक सलाह, माता-पिता और अन्य देखभालकर्त्ताओं हेतु स्वास्थ्य संवर्द्धन, देखभाल, पुनर्वास सेवाओं आदि के लिये व्यवहार उपचार और कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल है।
  • ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार के संबंध में जागरूकता हेतु वैश्विक और राष्ट्रीय पहल:
    • विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention on the Rights of Persons with Disabilities- UNCRPD), सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) ऑटिज़्म सहित विकलांग लोगों के अधिकारों से संबंधित है।
    • विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 ने विकलांगता के प्रकार को 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया जिसमें ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार भी शामिल था। इसे पहले के अधिनियम में काफी हद तक नज़रअंदाज़ किया गया था।
    • वर्ष 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) द्वारा ‘ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकारों के प्रबंधन हेतु व्यापक और समन्वित प्रयासों’ (Comprehensive and Coordinated Efforts for the Management of Autism Spectrum Disorders) से संबंधित एक संकल्प को अपनाया गया जिसे 60 से अधिक देशों द्वारा समर्थन दिया गया।
    • वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 2 अप्रैल को ‘विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस’ ( World Autism Awareness Day) के रूप में घोषित किया।

स्रोत: पी.आई.बी.

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