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आंतरिक सुरक्षा

अरुणाचल प्रदेश में छः माह के लिये बढ़ा अफस्पा

  • 04 Oct 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल में गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, अरुणांचल प्रदेश के तीन ज़िलों और असम से लगे 8 थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून अफस्पा [Armed Forces (Special Powers) Act –AFSPA] को अगले छः माह तक के लिये बढ़ा दिया गया है।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार

  • अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगदिंग ज़िलों को और असम से लगे आठ थाना क्षेत्रों को सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (AFSPA), 1958 के तहत 1 अक्तूबर, 2018 से 31 मार्च, 2019 तक ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया गया है।
  • आठ थाना क्षेत्रों- पश्चिम कामेंग ज़िले के बालेमू और भालुकपोंग, पूर्वी कामेंग ज़िले का सीजोसा, पापुमपारे ज़िले का बालिजान, नमसाई ज़िले के नमसाई और महादेवपुर, निचली दिबांग घाटी ज़िले में रोइंग तथा लोहित ज़िले के सुनपुरा थाने में AFSPA कानून को बढ़ाया गया है।
  • यह फैसला इन क्षेत्रों में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद लिया गया है।
  • अरुणाचल प्रदेश के इन क्षेत्रों में प्रतिबंधित उग्रवादी समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (NSCN-K), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) सक्रिय हैं।

क्या है अफस्पा?

  • AFSPA या सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को संसद द्वारा 1958 में पारित किया गया था।
  • शुरुआत में इस कानून को अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड और त्रिपुरा में लागू किया गया था।
  • बढ़ती उग्रवादी गतिविधियों के कारण जम्‍मू-कश्‍मीर में इस कानून को 1990 में लागू किया गया था। तब से जम्‍मू-कश्‍मीर में यह कानून लागू है। उल्लेखनीय है कि राज्‍य का लेह-लद्दाख क्षेत्र इस कानून के अंतर्गत नहीं आता।
  • अफस्पा, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के विवादित इलाकों में सुरक्षाबलों को विशेष अधिकार प्रदान करता है। इस कानून को लेकर काफी विवाद है और इसके दुरुपयोग का आरोप लगाकर लंबे समय से इसे हटाने की मांग की जाती रही है।
  • अफस्पा का सेक्शन 4, सुरक्षाबलों को किसी भी परिसर की तलाशी लेने और बिना वारंट किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। साथ ही खतरे का संदेह होने की स्थिति में उस स्थान को नष्ट करने का आदेश भी देता है।
  • इसके तहत विवादित इलाकों में सुरक्षाबल किसी भी स्तर तक शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं। संदेह की स्थिति में उन्हें किसी गाड़ी को रोकने, तलाशी लेने और उसे सीज करने का अधिकार होता है।
  • इस कानून के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्‍यक्ति पर गोली चलाने का भी अधिकार है। यदि इस दौरान उस व्‍यक्ति की मौत भी हो जाती है तो उसकी जवाबदेही गोली चलाने या ऐसा आदेश देने वाले अधिकारी पर नहीं होगी।
  • अफस्पा के तहत केंद्र सरकार राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर किसी राज्य या क्षेत्र को अशांत घोषित कर, वहाँ केंद्रीय सुरक्षाबलों को तैनात करती है।
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