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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

अफ्रीकन स्वाइन फीवर

  • 26 Jun 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये 

अफ्रीकन स्वाइन फीवर, विश्व व्यापार संगठन, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, क्लासिकल स्वाइन फीवर

मेन्स के लिये 

अफ्रीकन स्वाइन फीवर एवं क्लासिकल स्वाइन फीवर का संक्षिप्त परिचय तथा इसके प्रभाव, इसकी रोकथाम में विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन की भूमिका

चर्चा में क्यों?

नगालैंड में पिछले दो सप्ताह में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू (African Swine Flu) का कोई नया मामला सामने नहीं आया है।

  • पहली बार इस बीमारी की पहचान नवंबर-दिसंबर 2019 में अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे चीनी क्षेत्रों में की गई थी।
  • इससे पहले अप्रैल 2020 में क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF) के कारण सूअरों की मौत की जानकारी मिली थी।

ASF

प्रमुख बिंदु

परिचय :

  • यह  एक अत्यधिक संक्रामक और घातक पशु रोग है, जो घरेलू तथा जंगली सूअरों को संक्रमित करता है। इसके संक्रमण से सूअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार (Hemorrhagic Fever) से पीड़ित होते हैं।
  • रोग की अन्य अभिव्यक्तियों में तेबुखार, अवसाद, एनोरेक्सिया, भूख न लगना, त्वचा में रक्तस्राव, उल्टी और दस्त शामिल हैं। 
  • इसे पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था।
    • ऐतिहासिक रूप से अफ्रीका और यूरोप, दक्षिण अमेरिका तथा कैरेबियन के कुछ हिस्सों में प्रकोप की सूचना मिली है।
    • हालाँकि हाल ही में (2007 से) अफ्रीका, एशिया और यूरोप के कई देशों में घरेलू और जंगली दोनों सूअरों में यह बीमारी पाई गई।
  • इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है और चूँकि इस बुखार का कोई इलाज नहीं है, अतः इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है।
  • अफ्रीकी स्वाइन फीवर मनुष्य के लिये खतरा नहीं होता है, क्योंकि यह केवल जानवरों से जानवरों में फैलता है।
  • अफ्रीकी स्वाइन फीवर, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) के पशु स्वास्थ्य कोड में सूचीबद्ध एक ऐसी बीमारी है जिसके संदर्भ में तुरंत OIE को सूचना देना आवश्यक है।

क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF) :

  • क्लासिकल स्वाइन बुखार को हॉग हैजा (Hog Cholera) के नाम से भी जाना जाता है, यह सूअरों से संबंधित एक गंभीर बीमारी है।
  •  यह दुनिया में सूअरों से संबंधित आर्थिक रूप से सर्वाधिक हानिकारक महामारी, संक्रामक रोगों में से एक है। 
  • यह Flaviviridae फैमिली के जीनस पेस्टीवायरस के कारण होता है, जो कि इस वायरस से निकटता से संबंधित है जो मवेशियों में ‘बोवाइन संक्रमित डायरिया’ और भेड़ों में ‘बॉर्डर डिज़ीज़’ का कारण बनता है।
  • इसमें मृत्यु दर 100% है।
  • हाल ही में इससे बचने के लिये ICAR-IVRI ने एक ‘सेल कल्चर CSF वैक्सीन (लाइव एटेन्यूटेड या जीवित ऊतक) विकसित की, जिसमें लैपिनाइज़्ड वैक्सीन वायरस का उपयोग एक बाह्य स्ट्रेन के माध्यम से किया गया।
    • नया टीका टीकाकरण के 14 दिन से 18 महीने तक सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रदान करता है।

विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन

(World Organisation for Animal Health or OIE)

  • यह दुनिया-भर में पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार हेतु उत्तरदायी एक अंतर-सरकारी संगठन (Intergovernmental Organisation) है।
  • वर्तमान में कुल 182 देश इसके सदस्य हैं। भारत इसके सदस्य देशों में से एक है।
  • यह नियमों से संबंधित मानक दस्तावेज़ विकसित करता है जिनके उपयोग से सदस्य देश बीमारियों और रोगजनकों से स्वयं को सुरक्षित कर सकते हैं। इसमें से एक क्षेत्रीय पशु स्वास्थ्य संहिता भी है।
  • इसके मानकों को विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा संदर्भित संगठन (Reference Organisation) के अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता नियमों के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • इसका मुख्यालय पेरिस (फ्राँस) में स्थित है।

स्रोत : डाउन टू अर्थ

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