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सामाजिक न्याय

एक-चौथाई भारतीय डिमेंशिया को खतरनाक मानते हैं

  • 24 Sep 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

21 सितंबर को विश्व अल्ज़ाइमर दिवस पर लंदन स्थित गैर-लाभकारी संगठन अल्ज़ाइमर डिज़ीज़ इंटरनेशनल (Alzheimer’s Disease International-ADI) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में इस रोग के प्रति लोगों के व्यवहार पर प्रकाश डाला गया है।

प्रमुख बिंदु

  • लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स द्वारा 155 देशों में लगभग 70,000 लोगों पर किये गए इस सर्वेक्षण का उद्देश्य पीड़ित लोगों, स्वास्थ्य चिकित्सकों और देखभाल कर्मियों के बीच डिमेंशिया के प्रति दृष्टिकोण का मापन करना था।
  • रिपोर्ट के अनुसार सर्वेक्षण में शामिल लगभग एक-चौथाई भारतीय, डिमेंशिया से पीड़ित लोगों को "खतरनाक" मानते हैं जबकि लगभग तीन-चौथाई लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि डिमेंशिया से पीड़ित लोगों का व्यवहार आक्रामक और अप्रत्याशित होता है।
  • सर्वे के अनुसार, डिमेंशिया से प्रभावित सभी लोगों में से 50% को कभी भी औपचारिक निदान नहीं मिलता है और चीन तथा भारत में ऐसे लोगों की संख्या 70-90% तक है।
  • रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या वर्ष 2050 तक बढ़कर 152 मिलियन होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
  • जनसांख्यिकी अनुमानों के अनुसार, भारत में वर्ष 2100 तक कार्यशील आबादी के प्रत्येक 3 सदस्यों पर एक बुजुर्ग व्यक्ति होगा और इसके साथ ही वृद्धावस्था में डिमेंशिया से पीड़ित बुजुर्गों में भी वृद्धि होगी क्योंकि इंडियन जर्नल ऑफ़ साइकेट्री की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, बुजुर्गों में डिमेंशिया का प्रसार बढ़ रहा है।

क्या है अल्ज़ाइमर रोग?

  • डॉ.अलोइस अल्जाइमर (Alois Alzheimer) के नाम पर इस रोग का नामकरण किया गया है।
  • अल्ज़ाइमर रोग अपरिवर्तनीय और समय के साथ बढ़ने वाला मस्तिष्क रोग है, जो धीरे-धीरे स्मृति और सोचने की क्षमता को नष्ट कर देता है। अंततः यह रोग दैनिक जीवन के सरल कार्यों को पूरा करने की क्षमता को भी समाप्त कर देता है।

Alzheimer Disease

  • अल्ज़ाइमर रोग का सबसे सामान्य प्रकार डिमेंशिया है जिसे संज्ञानात्मक विकास की गंभीर क्षति द्वारा पहचाना जाता है।
  • डिमेंशिया एक सिंड्रोम है, न कि बीमारी। यह रोग वृद्ध व्यक्तियों में अधिक पाया जाता है।
  • आमतौर पर यह वृद्धावस्था में पाया जाने वाला विकार है, लेकिन यह विकार कुछ अन्य स्थितियों में पहले से अक्षम व्यक्तियों में भी पाया जा सकता है।
  • वैज्ञानिक अभी तक अल्ज़ाइमर रोग होने के सटीक कारणों के बारे में जानकारी नहीं जुटा पाए हैं। इस प्रकार यह इडियोपैथिक रोग है।
  • वे रोग इडियोपैथिक रोग कहलाते हैं जिनकी उत्पति का कारण अथवा स्रोत अज्ञात हो।

अल्ज़ाइमर के लक्षण

  • विस्मृति।
  • भाषा संबंधी कठिनाई, जिसमें नाम याद रखने में परेशानी शामिल है।
  • योजना निर्माण और समस्या के समाधान में परेशानी।
  • पूर्व परिचित कार्यों को करने में परेशानी।
  • एकाग्रता में कठिनाई।
  • स्थानिक रिश्तों जैसे कि सड़कों और गंतव्य के लिए विशेष मार्गों को याद रखने में परेशानी।
  • सामाजिक व्यवहार में परेशानी।

अल्ज़ाइमर के चरण

  • प्राथमिक डिमेंशिया या मध्यम संज्ञानात्मक विकार - इस रोग की पहचान संज्ञानात्मक स्तर में गिरावट के आधार पर की जाती है। इस रोग में दैनिक जीवन की गतिविधियों को स्वतंत्रतापूर्ण बनाए रखने के लिये प्रतिपूरक रणनीतियों और सामजंस्य की आवश्यकता होती है।
  • मध्यम अल्ज़ाइमर डिमेंशिया - इस रोग को दैनिक जीवन की बाधित होने वाली गतिविधियों के लक्षणों द्वारा पहचाना जाता है। रोगी को जटिल कार्यों जैसे कि वित्तीय प्रबंधन के लिये पर्यवेक्षण की ज़रूरत पड़ती है।
  • गंभीर अल्ज़ाइमर डिमेंशिया - इस विकार को दैनिक जीवन की गंभीर रूप से बाधित गतिविधियों के लक्षणों द्वारा पहचाना जाता है। इसमें रोगी आधारभूत ज़रूरतों को पूरा करने के लिये पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर होता है।

प्रबंधन

अल्ज़ाइमर रोग के लिये उपचार को चिकित्सा, साइकोसोशल और देखभाल में विभाजित किया जा सकता है।

1. चिकित्सा

  • कोलीनेस्टेरेस इन्हीबिटर्स-एसिटाइलकोलाइन एक रसायन है, जो कि तंत्रिका संकेतों को गतिशील बनाए रखता है तथा मस्तिष्क की कोशिकाओं के भीतर संदेश प्रणाली में मदद करता है।
  • अल्ज़ाइमर के उपचार के लिये विभिन्न प्रकार की दवाओं का उपयोग किया जाता है। डोनेपेजिल, रिवाइस्टिंगमिन, गेलन्टामाइन दवाओं तथा मिमेन्टाइम केमिकल का उपयोग मध्यम अल्ज़ाइमर रोग के साथ-साथ गंभीर अल्ज़ाइमर रोग के लिये किया जा सकता है।

2. साइकोसोशल

  • साइकोसोशल इन्टर्वेन्शन के उपयोग को संयुक्त रूप से सहयोगात्मक, संज्ञानात्मक और व्यवहारिक दृष्टिकोण में वर्गीकृत किया जा सकता है।

3. देखभाल

  • औषधीय उपचार से अल्ज़ाइमर से पीड़ित रोगी को पूरी तरह से उपचारित नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार अनिवार्य देखभाल ही उपचार है तथा इसके माध्यम से इस रोग की अवधि को सावधानीपूर्वक प्रबंधित किया जा सकता है।

स्रोत : द हिंदू

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