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भारतीय अर्थव्यवस्था

GST परिषद की 43वीं बैठक

  • 31 May 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये 

वस्तु एवं सेवा कर (GST), ब्लैक फंगस (Black Fungus), कोविड -19, एमनेस्टी (Amnesty) योजना, जीएसटी अधिनियम, 2017 

मेन्स के लिये

वस्तु एवं सेवा कर (GST) की भूमिका, महत्त्वपूर्ण राजकोषीय सुधार, GST परिषद के कार्य एवं मतदान प्रणाली, GST मुआवजा या छूट प्रणाली

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 43वीं बैठक का आयोजन किया गया।

  • वित्त वर्ष 2021-22 में जीएसटी परिषद की यह पहली बैठक थी। इस परिषद की अंतिम बैठक अक्तूबर 2020 में हुई थी।

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद 

  • यह वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) से संबंधित मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार को सिफारिश करने के लिये एक संवैधानिक निकाय (अनुच्छेद 279A) है।
  • इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करता है और अन्य सदस्य केंद्रीय राजस्व या वित्त मंत्री तथा सभी राज्यों के वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्री होते हैं।
  • इसे एक संघीय निकाय के रूप में माना जाता है जहाँ केंद्र और राज्यों दोनों को उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।

प्रमुख बिंदु 

कोविड से संबंधित उपकरणों के लिये तदर्थ छूट:

  • GST परिषद ने ऐसी कई वस्तुओं के आयात को छूट देने का फैसला किया है।
    • GST छूट को 31 अगस्त, 2021 तक बढ़ा दिया गया है।
  • राहत सामग्री के आयात पर तब तक खरीद पर छूट दी जाएगी, जब तक वे राज्य सरकारों को दान के रूप में न दे दी गई हो।
    • इससे पूर्व एकीकृत वस्तु और सेवा कर (IGST) में केवल मुफ्त आयात पर छूट दी जाती थी।
  • ब्लैक फंगस (Black Fungus) के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र, इसके लिये आवश्यक एक विशेष दवा - एम्फोटेरिसिन-बी-(Amphotericin-B) को भी छूट की सूची (कर-मुक्त आयात के लिये) में शामिल किया गया है।
  • इसने कोविड -19 राहत उपाय के मद्देनज़र प्रदान की जा सकने वाली और छूटों पर  निर्णय लेने के लिये मंत्रियों के समूह (GoM) समिति के गठन का भी प्रस्ताव रखा।

 GST एमनेस्टी (Amnesty) योजना:

  • विलंब शुल्क को कम करने की सिफारिश की गई है। करदाता लंबित रिटर्न दाखिल कर सकते हैं, कम विलंब शुल्क के साथ योजना का लाभ उठा सकते हैं।
    • यह छोटे करदाताओं को राहत प्रदान करेगा जिसमें GST दाताओं का 89% भागीदारी है।
  •  विलंब शुल्क को भी युक्तिसंगत बनाया गया है। विलंब शुल्क की अधिकतम राशि कम कर दी गई है और भविष्य की कर अवधि से लागू होगी।
    • इससे छोटे करदाताओं को लंबी अवधि की राहत मिलेगी।

जीएसटी मुआवज़ा उपकर (राज्यों का बकाया): 

  • राज्यों की GST राजस्व की क्षतिपूर्ति के लिये केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2020 के जैसे फार्मूले का अनुसरण इस वर्ष भी किया जा रहा है । इस वर्ष  केंद्र 1.58 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ लेगा जिसे राज्यों को बैक-टू-बैक ऋण के रूप में दिया जाएंगा।
  • राज्यों को वर्ष 2022 से आगे मुआवज़े के भुगतान पर विचार के लिये जीएसटी परिषद विशेष सत्र का आयोजन करेगी।

वैक्सीन निर्माताओं को अग्रिम भुगतान:

  • दो वैक्सीन निर्माताओं को अग्रिम भुगतान के रूप में 4,500 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
  • देश टीकों के लिये जापानी, यूरोपीय संघ सहित आपूर्तिकर्त्ताओं/निर्माताओं के साथ काम कर रहा है।

वार्षिक रिटर्न भरना:

  • इसके अंतर्गत वार्षिक रिटर्न फाइलिंग को सरल बनाया गया है। इस काउंसिल ने केंद्रीय वस्तु और सेवा कर अधिनियम (Central Goods & Services Tax Act), 2017 में संशोधन करने की सिफारिश की है ताकि सुलह बयानों के स्व-प्रमाणन की अनुमति दी जा सके।
  • दो करोड़ रुपए से कम टर्नओवर वाले छोटे करदाताओं की खातिर वार्षिक रिटर्न फाइलिंग वर्ष 2020-21 के लिये वैकल्पिक बनी रहेगी, जबकि वर्ष 2020-21 हेतु सुलह विवरण केवल उन करदाताओं द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा जिनका टर्नओवर पाँच करोड़ रुपए या उससे अधिक है।

जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर

  • जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर जीएसटी अधिनियम, 2017 द्वारा लगाया जाता है। इस उपकर को लगाने का उद्देश्य राज्यों को 1 जुलाई 2017 को जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान के लिये पाँच वर्ष की अवधि या जीएसटी परिषद द्वारा अनुशंसित अवधि हेतु क्षतिपूर्ति करना है।
  • क्षतिपूर्ति उपकर किसी विशेष आपूर्ति के संबंध में लगाए गए जीएसटी की राशि के ऊपर लगाया जाता है। इसकी गणना जीएसटी के समान है जैसे- उपकर देयता के लिये निर्धारित दर सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 15 के तहत किये गए लेनदेन मूल्य पर लागू होती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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